सुनीता नारायण

सुनीता नारायण
जल की अग्निपरीक्षा
जानें जल सुरक्षा और सतत विकास के लक्ष्य के बारे में | Learn about water security and sustainable devlopment
Posted on 03 Jan, 2024 12:16 PM

मुझे नहीं लगता कि हम कभी पानी के लिए युद्ध लड़ेंगे या शहरों से पानी पूर्णतया खत्म हो जाएगा या फिर हमारे पास पीने योग्य पानी नहीं बचेगा। हालांकि मैं यह भी स्वीकार करती हूं कि हमारे देश में पानी की कमी का भीषण और गंभीर संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है। लगातार बढ़ती आबादी वाले शहरों और उद्योगों की बढ़ती संख्या पानी के अंधाधुंध उपभोग के लिए जिम्मेदार है। जलवायु परिवर्तन इस संकट की एक नई कड़ी के र

जल की अग्निपरीक्षा
एक एक बूंद का इस्तेमाल करना होगा
Posted on 06 May, 2019 04:12 PM

पिछले साल गर्मियों में हिमालय की गोद में बसे शहर शिमला में पानी की भारी किल्लत हो गई थी। इस शहर को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रोजाना 440 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि हर दिन 150 लाख लीटर पानी जुटाना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण स्थानीय लोगों को तो परेशानी से गुजर ना ही पड़ा, यहां आने वाले पर्यटकों को भी खासी मुश्किलें पेश आई। हालांकि इस तरह का जल संकट

एक-एक बूँद पानी का महत्व समझना होगा
आदतें बदलने पर दिया जाये जोर
Posted on 16 Sep, 2018 03:47 PM
ईज्जत घर (फोटो साभार - डाउन टू अर्थ)वह क्या चीज है जिससे लोगों का व्यवहार बदलता है? क्या वह सामाजिक दबाव है? या फिर जुर्माने का डर? या फिर यह सब कुछ और इससे भी ज्यादा?
ईज्जत घर
परिवर्तन की पीड़ा
Posted on 16 Jun, 2018 06:21 PM

भारत में बाढ़ से तबाही
सूखा क्यों
Posted on 15 Jul, 2016 03:43 PM

झाबुआ, 1980 के दशक का उत्तरार्द्ध। मध्य प्रदेश के इस आदिवासी, पहाड़ी जिले की सतह चंद्रमा जैसी चट्टानी और बंजर नजर आती थी। मेरे चारों तरफ सिर्फ भूरे रंग की पहाड़ियाँ ही थीं। दूर-दूर तक पानी का कोई नामो-निशान नहीं था। किसी के पास कोई काम नहीं था। हर तरफ सिर्फ निराशा का वातावरण था। मुझे अभी तक धूल भरे सड़कों के किनारे, दुबक कर बैठे, पत्थर तोड़ते लोगों के दृश्य याद हैं।

चिलचिलाती धूप में हर साल क्षतिग्रस्त होने वाली सड़कों की मरम्मत का काम। पेड़ों के लिये ऐसे गड्ढों की खुदाई, जो कभी बचते नहीं थे। दीवारों का निर्माण जिनके ओर-छोर का कुछ पता नहीं था। यही थी सूखा राहत की असलियत। ये सब अनुत्पादक काम थे, लेकिन ऐसे संकट के समय में लोगों को जिंदा रहने के लिये यही सब करना पड़ता था।
रोजगार गारण्टी कानून एवं पर्यावरण सुरक्षा
Posted on 21 Mar, 2015 07:13 AM
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना की मूल भावना में कोई कमी नह
सड़क पर अपना हक
Posted on 11 Jan, 2014 03:01 PM
सन् 1995 के आसपास हमारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट ने वायु प्रदूषण के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था। तब हमने जो कुछ भी किया वह लीक का काम था। इस आंदोलन ने ईंधन की गुणवत्ता को ठीक करने पर दबाव डाला। गाड़ियों से निकलने वाले बेहद जहरीले धुएँ को नियंत्रित करने के लिए नए कड़े नियम बनवाए। उनकी जांच-परख का नया ढांचा खड़ा करवाया और उस अभियान ने ईंधन का प्रकार तक बदलने का काम किया। यह लेख मैं अपने बिस्तरे से लिख रही हूं- एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होने के बाद, हड्डियां टूटने के बाद मुझे ठीक होने तक इसी बिस्तर पर रहना है। मैं साइकिल चला रही थी। तेजी से आई एक मोटर गाड़ी ने मुझे अपनी चपेट में ले लिया था। टक्कर मारकर कार भाग गई। खून से लथपथ मैं सड़क पर थी।

ऐसी दुर्घटनाएँ बार-बार होती हैं हमारे यहां। हर शहर में होती हैं, हर सड़क पर होती हैं। यातायात की योजनाएं बनाते समय हमारा ध्यान पैदल चलने वालों और साइकिल चलाने वालों की सुरक्षा पर जाता ही नहीं। सड़क पर उनकी गिनती ही नहीं होती। ये लोग बिना कुछ किए, एकदम साधारण-सी बात में, बस सड़क पार करते हुए अपनी जान गँवा बैठते हैं। मैं इनसे ज्यादा भाग्यशाली थी। दुर्घटना के बाद दो गाड़ियाँ रुकीं, अनजान लोगों ने मुझे अस्पताल पहुंचाया। मेरा इलाज हो रहा है। मैं ठीक होकर फिर वापस इसी लड़ाई में लौटूंगी।
धरती चुकाती है बोतलबंद पानी की कीमत
Posted on 26 Jan, 2013 10:27 AM

पानी के क्षेत्र में और आर्थिक रूप से संपन्न इलाकों में बोतलबंद पानी की शुरूआत विलासिता के रूप में हुई थी जो कि स

यमुना का संकट, जल का संकट
Posted on 26 Jan, 2013 10:07 AM

यमुना सात राज्यों से होकर बहती है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में इसका हिस्सा 21 फीसदी है, इसके अलावा हिमाचल प्रद

लगातार बढ़ रहा है मौसमी आपदाओं का खतरा
Posted on 08 Dec, 2012 02:56 PM
दुनिया भर में मौसम में होने वाले बदलाव जन जीवन को प्रभावित कर रहे
×