भारत डोगरा
खेती बचेगी तो हम बचेंगे
Posted on 28 Oct, 2016 03:51 PMअपनी परम्परागत फसलों की तो खूब समझ किसानों को थी किन्तु इन नई
नदियों पर लड़ें नहीं, मिलकर रक्षा करें
Posted on 20 Sep, 2016 04:18 PMनदी के जल के बँटवारे के न्यायसंगत समाधान के साथ ही नदी की रक्षा के लिये भी विभिन्न राज्यो
राष्ट्रों का संघ और पर्यावरण सन्तुलन
Posted on 27 May, 2016 04:23 PMजलवायु बदलाव और इससे जुड़े पर्यावरणीय खतरों की एक खास बात यह
पर्यावरण विनाश बनाम अस्तित्व का संकट
Posted on 07 May, 2016 09:07 AMविश्व स्तर पर पर्यावरण सम्बन्धी आन्दोलनों का जनाधार इस कारण व
बिना डिग्री-डिप्लोमा विशेषज्ञता
Posted on 26 Mar, 2016 01:20 PMराजस्थान में तिलोनिया स्थित ‘बेयरफुट कॉलेज’ मानव विकास की दिशा में अभूतपूर्व कार्य कर रहा है। हर व्यक्ति में नैसर्गिक प्रतिभा अन्तर्निहित होती है, यह संस्थान उसी प्रतिभा को निखार कर उसे समाजोपयोगी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इतना ही नहीं यह शिक्षा के संस्थानीकरण को लेकर बनाये गये भ्रमों को भी तोड़ रहा है।
बुन्देलखण्ड : संकट में उम्मीद का सहारा
Posted on 15 Jan, 2016 11:31 AMबुन्देलखण्ड यात्रा के दौरान आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार के सदस्यों से मिलने पर
बुन्देलखण्ड का विकट संकट
Posted on 04 May, 2015 10:18 AMहाल के वर्षों में बुन्देलखण्ड क्षेत्र बार-बार सूखे की विकट स्थिति, प्रतिकूल मौसम, भूख व गरीबी क
बेयरफुट कॉलेज ने दिखाई जल-संरक्षण की राह
Posted on 14 Apr, 2015 11:22 AMअनेक स्कूलों के जल संकट का टिकाऊ समाधान मिला
बेयरफुट कालेज के जल-संचयन के महत्त्वपूर्ण कामों में से एक है विद्यालयों के लिये भूमिगत पानी संग्रहण का। इस प्रयास से अब उन सैंकड़ों बच्चों की प्यास बुझती है जो पहले पानी की तलाश में पड़ोस के गाँवों में भटकते रहते थे या फिर कभी-कभी प्यासे ही रह जाते थे। साथ ही उन क्षेत्रों में जहाँ पानी की गुणवत्ता काफी खराब थी, वहाँ अब बच्चों की उपस्थिति में काफी सुधार हुआ है। इससे पानी से होने वाली बीमारियों पर भी रोक लगी है। पानी के संग्रहण के लिये टाँकों की उपलब्धता से अब विद्यालयों में स्वच्छता बनाए रखने में बड़ी मदद मिलती है।
अजमेर जिले (राजस्थान) में स्थित बेयरफुट कॉलेज संस्थान के प्रयासों से न केवल इस जिले में जल-संरक्षण के महत्त्वपूर्ण प्रयास हुए हैं, अपितु देश-विदेश के अनेक कार्यकर्ताओं को यहाँ जल-संरक्षण का प्रशिक्षण भी प्राप्त हुआ जिससे वे दूर-दूर के अनेक अन्य क्षेत्रों में भी जल-संरक्षण की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त कर सकें।बेयरफुट काॅलेज के जल-संचयन सम्बन्धी तमाम कामों की शुरुआत उसके खुद के तिलोनिया-स्थित परिसर से होती है। सावधानी से डिज़ाइन किए गए पाइपों की मदद से छतों के ऊपर जमा हुए वर्षा के पानी को भूमि के अन्दर टाँकों में संग्रहित किया जाता है। आस-पास के बहते वर्षाजल को दिशा-निर्देशित किया जाता है, थोड़े समय के लिये रोका जाता है और फिर एक खुले कुएँ में गिरा दिया जाता है।
कम खर्च में अधिक लोगों की प्यास बुझाने वाले कार्य
Posted on 12 Apr, 2015 03:33 PMजयपुर व अजमेर जिलों से रिपोर्ट
जल-संकट से त्रस्त गाँवों में वर्षा के जल को सावधानी से संरक्षित किया जाए और इस कार्य को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से गाँववासियों की नज़दीकी भागीदारी से किया जाए तो जल-संकट दूर होते देर नहीं लगती है। इस उपलब्धि का जीता-जागता उदाहरण है अजमेर जिले की बढ़कोचरा पंचायत जिसमें बेयरफुट कालेज के जवाजा फील्ड सेंटर के आठ जल-संरक्षण कार्यों ने जल-संकट को जल-प्रचुरता में बदल दिया है। इसके साथ यहाँ की पंचायत ने भी कुछ सराहनीय जल-संरक्षण कार्य विशेषकर मनरेगा के अन्तर्गत किए हैं।
कोरसीना पंचायत व आसपास के कुछ गाँव पेयजल के संकट से इतने त्रस्त हो गए थे कि कुछ वर्षों में इन गाँवों के अस्तित्व का संकट उत्पन्न होने वाला था। दरअसल राजस्थान के जयपुर जिले (दुधू ब्लाक) में स्थित यह गाँव सांभर झील के पास स्थित होने के कारण खारे व लवणयुक्त पानी के असर से बहुत प्रभावित हो रहे थे। सांभर झील में नमक बनता है पर इसका प्रतिकूल असर आसपास के गाँवों में खारे पानी की बढ़ती समस्या के रूप में सामने आता रहा है।गाँववासियों व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण ने खोजबीन कर पता लगाया कि पंचायत के पास के पहाड़ों के ऊपरी क्षेत्र में एक जगह बहुत पहले किसी राजा-रजवाड़े के समय एक जल-संग्रहण प्रयास किया गया था। इस ऊँचे पहाड़ी स्थान पर जल-ग्रहण क्षेत्र काफी अच्छा है व कम स्थान में काफी पानी एकत्र हो जाता है। अधिक ऊँचाई के कारण यहाँ सांभर झील के नमक का असर भी नहीं पहुँचता है।