अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
अब ऊसर नाहीं बा हमार किस्मत
Posted on 28 Apr, 2014 09:00 AM

खेतिहर की क्षमता विकसित करने के लिए कार्यक्रमों का नियोजन किया। तय किया कि प्रबंधन परियोजना को चाक चौबंद कैसे किया जाए? बनाई अनुदान योजना। खड़ी की परियोजना इकाइयां। चयनित किए गांव। अपने खेत पर खुद काम करने वाले भूमालिक को ही बनाया लाभार्थी। हर गांव में बनाई स्थल क्रियान्वयन समिति। गठित किए जलोपयोग और उत्पादक समूह। महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाए गए, ताकि आर्थिक कमजोरी ऊसर सुधार के काम में बाधा न बने।

अमेठी को ले कर एक कहावत है- “जौ न होत अमेठी मा ऊसर, तौ अमेठी कय द इवहौ ते दूसर।’’ यदि अमेठी में ऊसर न होता तो अमेठी का देवता कोई और होता। यह कहावत बताती है कि जमीन के ऊसर-बंजर होने का गवर्नेंस से क्या रिश्ता है। यह कहावत इस नतीजे की ओर संकेत है कि जमीन ऊसर हो तो परावलंबन की मजबूरी खुद-ब-खुद हाथ बांधे रखती है। इसी मजबूरी ने आजादी के बाद भी अमेठी के रजवाड़े को लोगों के मानस में राजा-रानी बनाए रखा।

सरकारी और निजी प्रयासों से कुछ भूमि खेती योग्य हुई जरूर है; बावजूद इसके अमेठी का आज भी काफी बड़ा रकबा ऊसर-बंजर-टांड है। पूरे उत्तर प्रदेश को देखें तो ऐसी भूमि के रकबे का आंकड़ा कई लाख हेक्टेयर में है। हम चाहें तो इस पर बहस कर सकते हैं कि अच्छी-खासी उपजाऊ जमीन को ऊसर बनाने में कितना योगदान शासन-प्रशासन का है और कितना स्वयं खेत मालिकों का, लेकिन इस बात पर कोई बहस नहीं है कि ऐसी भूमि को सुधरना चाहिए।
barren land
उपज घटाती, बंजर बनाती अधिक सिंचाई
Posted on 26 Apr, 2014 11:33 AM
पानी ज्यादा समय तक खेत में टिका रहने से मिट्टी की ऊपरी परत कड़ी होन
irrigation
सिंचाई अनुशासित, खेती वैज्ञानिक तो मुनाफा गारंटीड
Posted on 26 Apr, 2014 09:34 AM

अनुशासित सिंचाई के लिए सरकार से अपेक्षा है कि आपादाकाल न हो तो वह मुफ्त बिजली और मुफ्त नह

irrigation
धरती के धीरज की परीक्षा मत लीजिए, प्लीज
Posted on 22 Apr, 2014 09:47 AM

22 अप्रैल - पृथ्वी दिवस पर विशेष

earth day
जहाजवाली नदी का पुनर्जीवन
Posted on 21 Apr, 2014 10:03 AM

आह्वान

river
संजोने से पहले, पहचान तो लें विरासत के निशान
Posted on 18 Apr, 2014 09:11 AM

18 अप्रैल - विश्व विरासत दिवस पर विशेष

world heritage
कितना जहरीला ‘ड्रैगन’ का विकास
Posted on 16 Apr, 2014 09:12 AM

जिस चीनी विकास की दुहाई देते हम नहीं थक रहे, उसी चीन के बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझो जैसे नामी शहर

pollution
दिल्ली दिल वालों की, पानी पैसे वालों का
Posted on 11 Apr, 2014 12:47 PM
दिल्ली की किसी सरकार को कभी चिंता नहीं रही कि जिस दिल्ली में आजादी
water
घोषणापत्रों में अर्थाभास और पर्यावास
Posted on 09 Apr, 2014 03:49 PM
दरअसल, प्राकृतिक संसाधनों का व्यवसायीकरण रोकना, अंधाधुंध कारपोरेट
water pipeline
पार्टियां अनसुना न करें लोकादेश का जलादेश
Posted on 22 Mar, 2014 12:40 PM
शोषण, प्रदूषण और अतिक्रमण नई चुनौतियां बनकर हमें डरा रहे हैं। इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी ह
pani ke log
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