अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
कितनी शुभ नदी जोड़
Posted on 25 May, 2014 10:43 AM

लाभ के दावे

river
नदी संस्कृति में निहित गंगा निर्देश
Posted on 19 May, 2014 12:15 PM
नदियों को मां का संवैधानिक दर्जा प्राप्त होते ही नदी जीवन समृद्धि के सारे अधिकार स्वतः प्राप्त हो जाएंगे। नदियों से लेने-देने की सीमा स्वतः परिभाषित हो जाएगी। हम कह सकेंगे कि नदी मां से किसी भी संतान को उतना और तब तक ही लेने का हक है, जितना कि एक शिशु को अपनी मां से दूध। दुनिया के किसी भी संविधान की निगाह में मां बिक्री की वस्तु नहीं हैं। अतः नदियों को बेचना संविधान का उल्लंघन होगा। नदी भूमि-जल आदि की बिक्री पर कानूनी रोक स्वतः लागू हो जाएगी। “मैं आया नहीं हूं, मुझे गंगा मां ने बुलाया है।’’ “मां गंगा जैसा निर्देश देगी, मैं वैसा करुंगा।’’ क्रमशः अपनी उम्मीदवारी नामांकन से पहले और जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बनारस में दिए उक्त दो बयानों से गंगा की शुभेच्छु संतानों को बहुत उम्मीदें बंधी होगी। नदियों हेतु एक अलग मंत्रालय बनाने की खबर से एक वर्ग की उम्मीदें और बढ़ी हैं, तो दूसरा वर्ग इसे नदी जोड़ के एजेंडे की पूर्ति की हठधर्मिता का कदम मानकर चिंतित भी है। मैं समझता हूं कि ढांचागत व्यवस्था से पहले जरूरत नीतिगत स्पष्टता की है। समग्र नदी नीति बने बगैर योजना, कार्यक्रम, कानून, ढांचे.. सभी कुछ पहले की तरह फिर कर्ज बढ़ाने और संघर्ष लाने वाले साबित होंगे।

शुभ के लिए लाभ ही भारतीयता


अतः जरूरी है कि सरकार पहले नदी पुनर्जीवन नीति, बांध निर्माण नीति और कचरा प्रबंधन नीति पारित करने संबंधी लंबित मांगों की पूर्ति की स्पष्ट पहल करे, तब ढांचागत व्यवस्था के बारे में सोचे।
Ganga river
पानी एक, परिदृश्य तीन
Posted on 17 May, 2014 02:49 PM

परिदृश्य-एक
उतरता पानी : बैठती धरती

polluted river
फिर भी क्यूं बेपानी हम
Posted on 17 May, 2014 02:22 PM

देश के एक बड़े समुदाय को अभी भी यह समझने की जरूरत है कि हमारी परंपरागत छोटी-छोटी स्वावलंबी जल स

water
नदी जोड़ का विकल्प : छोटी जल संरचनाएं
Posted on 17 May, 2014 09:31 AM
नदियों में जल की मात्रा और गुणवत्ता हासिल करने के लिए फिर छोटी संरच
water map
गंगा प्रश्न
Posted on 16 May, 2014 09:03 AM

ऐ नए भारत के दिन बता...
ए नदिया जी के कुंभ बता!!
उजरे-कारे सब मन बता!!!
क्या गंगदीप जलाना याद तुम्हें
या कुंभ जगाना भूल गए?
या भूल गए कि कुंभ सिर्फ नहान नहीं,
गंगा यूं ही थी महान नहीं।
नदी सभ्यताएं तो खूब जनी,
पर संस्कृति गंग ही परवान चढ़ी।
नदियों में गंगधार हूं मैं,
क्या श्रीकृष्ण वाक्य तुम भूल गए?
ए नए भारत के दिन बता...

Ganga
गंगा तट से बोल रहा हूं
Posted on 16 May, 2014 08:42 AM

गंगा तट पर देखा मैंने
साधना में मातृ के
सानिध्य बैठा इक सन्यासी
मृत्यु को ललकारता
सानंद समय का लेख बनकर
लिख रहा इक अमिट पन्ना
न कोई निगमानंद मरा है,
नहीं मरेगा जी डी अपना
मर जाएंगे जीते जी हम सब सिकंदर
नहीं जिएगा सुपना निर्मल गंगा जी का
प्राणवायु नहीं बचेगी
बांधों के बंधन में बंधकर
खण्ड हो खण्ड हो जाएगा

Ganga
राष्ट्रवाद के नाते भी नकारें नदी जोड़
Posted on 15 May, 2014 03:45 PM

नदी जोड़ घातक - मेनका गांधी

river linking
आखातीज से कीजे सूखे की अगवानी की तैयारी
Posted on 02 May, 2014 12:12 PM

2 मई-अक्षय तृतीया पर विशेष


यदि मौसम विभाग ने सूखे की चेतावनी दी है, तो उसका आना तय मानकर उसकी अगवानी की तैयारी करें। तैयारी सात मोर्चों पर करनी है: पानी, अनाज, चारा, ईंधन, खेती, बाजार और सेहत। यदि हमारे पास प्रथम चार का अगले साल का पर्याप्त भंडारण है तो न किसी की ओर ताकने की जरूरत पड़ेगी और न ही आत्महत्या के हादसे होंगे। खेती, बाजार और सेहत ऐसे मोर्चे हैं, जिन पर महज् कुछ एहतियात की काफी होंगे।

इन्द्र देवता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है। अगले आषाढ़-सावन-भादों में वे कहीं देर से आएंगे; कहीं नहीं आएंगे; कहीं उनके आने की आवृति, चमक और धमक वैसी नहीं रहेगी, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। हो सकता है कि वह किसी जगह इतनी देर ठहर जाएं कि 2005 की मुंबई और 2006 का सूरत बाढ़ प्रकरण याद दिला दें। इस विज्ञप्ति के एक हिस्से पर मौसम विभाग ने अपनी मोहर लगा दी है; कहा है कि वर्ष-2014 का मानसून औसत से पांच फीसदी कमजोर रहेगा। शेष हिस्से पर मोहर लगाने का काम अमेरिका की स्टेनफार्ड यूनिवर्सिटी ने कर दिया है।

पिछले 60 साल के आंकड़ों के आधार पर प्रस्तुत शोध के मुताबिक दक्षिण एशिया में अत्यधिक बाढ़ और सूखे की तीव्रता लगातार बढ़ रही है। ताप और नमी में बदलाव के कारण ऐसा हो रहा है। यह बदलाव ठोस और स्थाई है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत के मध्य क्षेत्र में होने की आशंका व्यक्त की गई है। बुनियादी प्रश्न यह है कि हम क्या करें? इन्द्र देवता की विज्ञप्ति सुनें, तद्नुसार कुछ गुनें, उनकी अगवानी की तैयारी करें या फिर इंतजार करें?
agriculture
कैसे करें ऊसर सुधार
Posted on 28 Apr, 2014 09:28 AM
समाधान हमेशा समस्या के मूल में छिपा होता है। इन्हें अंजाम देने की श
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