भले ही कछुओं की तस्करी हर ओर होती हो लेकिन अर्से तक कुख्यात डाकुओं के आतंक से जूझती रही चंबल घाटी की पांच नदियों में हजारों सालों से प्राकृतिक रूप से दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को जीवनदान मिल रहा है।
कुछ ही वर्षों में देश के अनेक शहरों में जल की उपलब्धता जरूरत के अनुसार संभव ही नहीं रहेगी। इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। हम यह कहते नहीं थकते कि जल ही जीवन है, लेकिन इसके संरक्षण के पारंपरिक उपायों को हमने त्याग दिया है जबकि ये बेहद सरल और सहज थे।
Local microlevel water quality assessments, proactive measures such as floating bed remediation and immediate regulatory actions are urgently need to save the river Danro from further deterioration.
जीविका द्वारा महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देने की बाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में जागृति आयी है। गांव के स्तर पर महिलाएं नये-नये काम करके आर्थिक रूप से सबल हो रही हैं। महिलाओं के बनाये गये इन समूहों में से कई समूह वर्मी कंपोस्ट बनाने काम कर रहे हैं।
बद्दी, सोलन में स्थित डाबर इंडिया की इकाई ने 2030 तक वाटर पॉजिटिव होने के अपने मिशन के अंतर्गत धर्मपुर गांव में एक तालाब के पुनर्जीवन की योजना की और पूरा किया। इस पुनर्जीवन अभियान से थाना पंचायत के 350 से अधिक परिवारों को लाभ होगा।
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2019 के बीच भारत की कुल रिपोर्टेड जमीन की 30.51 करोड़ हेक्टेयर भूमि की गुणवत्ता गिरी, बंजर हुई है। इसका मतलब है कि 2019 में देश की कुल जमीन का 9.45% गुणवत्ता गिर चुका था, जो 2015 में केवल 4.42% था। यह जानकारी यूएनसीसीडी द्वारा जारी की गई है।
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय जल आयोग द्वारा प्रकाशित आंकड़े भारत में जल संकट की बढ़ती गंभीरता को प्रकट करते हैं। इन आंकड़ों से देश के जलाशयों के स्तर में हुई खतरनाक कमी का पता चलता है। 25 अप्रैल 2024 तक, भारत के प्रमुख जलाशयों में जल की मात्रा में उनकी कुल भंडारण क्षमता के मुकाबले लगभग 30-35 प्रतिशत की कमी आई है।
How do farmers in Nagaland perceive the impacts of climate change? What do they do to adapt to these changes? What are the factors influencing their adaptation decisions? A study explores.
This study found that increase in well and canal irrigated areas was associated with a rise in the gall bladder cancer cases in Bihar due to presence of cancer causing contaminants in irrigation water.
वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्ष 2100 तक तापमान में 1.4 से 5.8°C तक की वृद्धि के साथ समुद्र के स्तरों में 18-59 से.मी. तक की वृद्धि की संभावना है जिसके चलते तटवर्ती क्षेत्रों में जल प्लावन के कारण वर्ष 2050 तक 200 मिलियन लोग अपनी जगह से अलग हो जाएंगे।
दुनिया में ज्यादातर नदियां अपने तटवर्ती क्षेत्रों के लिए जीवनदायिनी रही हैं। यह भी कटु सत्य है कि सभ्यताओं का विकास ही नदियों के विलोपन का कारण भी बन रहा है। यह किसी से छुपा नहीं है, लेकिन विकास की अंधी दौड़ में आज नदियों का अस्तित्व खतरे में है। अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह का कारण, नदी से मिलने वाली रेत व जलराशि है।
अथर्ववेद के ‘पृथ्वीसूक्त’ में पृथ्वी को माता और हमें इसके पुत्र कहा गया है। यह सूक्त प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण का आह्वान करता है और “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को दर्शाता है। रवीन्द्र कुमार जी का लेख हमारे आदिग्रन्थों में पर्यावरण संबंधी मान्यताओं को दर्शाता है।
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप के अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन ने अप्रैल में एशिया में हीट वेव की तीव्रता को बहुत बढ़ा दिया है। इस दौरान दर्ज किए गए उच्चतम तापमान ने लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। मानव-जनित गतिविधियों के कारण जलवायु में आए बदलाव ने इन गर्मी की लहरों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि की है।