ब्रह्मपुत्र महानद ‌का जलविज्ञानीय विश्लेषण (भाग 1)
ब्रह्मपुत्र एवं बराक नदियाँ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की प्रमुख नदियाँ हैं। ब्रह्मपुत्र नदी को भारत की सबसे बड़ी नदी और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी नदी माना जाता है। संस्कृत में, ब्रह्मपुत्र का तात्पर्य "ब्रह्मा के पुत्र" से है। यह नदी बांग्लादेश और चीन जैसे अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत में भी बहती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में आदिवासी बस्तियों और घने जंगलों से होकर प्रवाहित होती है। भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, एवं त्रिपुरा, जिन्हें संयुक्त रूप से सात बहनों के नाम से जाना जाता है, का कुल भू-भाग 2,70,230 वर्ग किलोमीटर है जो देश के कुल भू-भाग का 8.11% है।
ब्रह्मपुत्र रिवर सिस्टम (साभार - विकिपीडिया)
स्मार्ट जल क्षेत्र (भाग 2)
स्मार्ट जल प्रबंधन का प्राथमिक उद्देश्य जल संसाधनों का उचित और सतत उपयोग और पुनर्चक्रण है। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ते पर्यावरणीय तथ्य और खाद्य एवं कृषि क्षेत्र पर दबाव जल को और भी अधिक मूल्यवान संपत्ति बनाते हैं।
प्रतिकात्मक तस्वीर
जल है एक अमूल्य प्राकृतिक वरदान
देश में उपलब्ध सीमित जल को वर्षा ऋतु में एकत्रित करके यथासमय मानव की जल आवश्यकताओं की पूर्ति करना, देश में उपलब्ध जल संसाधनों का एक महत्वपूर्ण कार्य है। वर्तमान में जल संसाधनों की उपलब्धता एवं देश की तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ भविष्य में आने वाली संभावित समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जल की बढ़ती मांगों को पूर्ण करने के लिए देश में जल के इष्टतम उपयोग में जल प्रबंधन की भूमिका महत्वपूर्ण है। सामान्यतः नदी में उपलब्ध वार्षिक प्रवाह का अधिकांश भाग वर्षा ऋतु के कुछ महीनों में ही उपलब्ध होता है। परंतु क्षेत्र में जल की मांग पूरे वर्ष रहती है। अतः यह आवश्यक है कि वर्षा ऋतु में उपलब्ध अतिरिक्त जल के उपयुक्त प्रबंधन द्वारा उपलब्ध जल को एकत्रित करके इसका उपयोग उस अवस्था में किया जाए, जब नदी में उपलब्ध प्राकृतिक प्रवाह जनमानस की मांगों को पूर्ण करने में असमर्थ हो।
प्रकृति-संरक्षण के लिए जल को बचाना है
PMAY paradox: Policy gap leaves Bhuj's poor homeless
Outdated norms deprive poor of accessing benefits under 2003 G.R. of Govt. of Gujarat
Bhuj's fight for land rights (Image: Rita Willaert, CC BY-NC-SA 2.0)
Can India survive the heat?
Heat Action Plans of most cities are not designed for implementation, says iFOREST.
None of the HAPs have developed specific action plans for hotspots and vulnerable populations. (Image: peakpx, CC0)
Tap into the numbers: Budget insights on WASH
The budget allocation for the Department of Drinking Water and Sanitation reflects a steady upward trajectory, underscoring the importance of scaling financial commitments to meet the growing demands of the WASH sector.
Child drinking water from handpump in Guna, Madhya Pradesh (Image: Anil Gulati, India Water Portal Flickr)
स्मार्ट जल प्रबंधन (भाग 1)
स्मार्ट जल प्रबंधन (SWM) जल प्रणालियों की दक्षता, पर्याप्तता, विश्वसनीयता और स्थिरता में सुधार के लिए सेंसर, आँकड़ा विश्लेषण एवं स्वचालन जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग को संदर्भित करता है। स्मार्ट जल प्रबंधन के लिए, जल संसाधनों के उपयोग और गुणवत्ता की निगरानी, नियंत्रण और विनियमन के साथ-साथ सम्बंधित उपकरणों (पाइप, पंप, आदि) को बनाए रखने के लिए तंत्र के एकीकरण और जटिल उपायों की आवश्यकता होती है। यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसमें सेंसर, स्मार्ट जल निगरानी, सूचना प्रणाली, आँकड़ा प्रकमण और दृश्यीकरण (Visualization) यंत्र, वेब और मोबाइल नियंत्रक शामिल हैं जो लोगों को जल प्रणालियों से जोड़ते हैं।
स्मार्ट जल प्रबंघन की जरूरत है
Fortifying the grid: Odisha's climate resilience
Developing power sector resilience to extreme weather events in coastal areas: Lessons from Odisha
Coastal cyclones, fragile grids (Image: Wikimedia Commons; Tony Webster; CC BY 2.0)
Leveraging technology to address water scarcity
Bridging the water gap with technology
Harnessing technology for water security (U.S. Department of Agriculture, CC-CC0 1.0)
Assam floods: A tale of resilience and relief
More than relief: Caritas India and Siemens empower flood-affected communities in Assam
Caritas India: A beacon of hope in Assam’s floods (Image: Caritas India)
19 years later, Mumbai still drowning
Mumbai 2005 floods: What has changed and what has to be done going forward?
Mumbai's struggle for resilience against floods (Image: Shreyans Bhansali, Flickr Commons, CC BY-NC-SA 2.0)
Untreated wastewater pollutes Bihar's groundwater with superbugs
Antibiotic resistant genes are now invading groundwater in India and wastewater is the culprit. India needs to up its game to prevent waste from getting into surface and groundwater – fast!
Resistant bacteria invade groundwater in Bihar (Image Source: Immage reconstructed from NIAD E coli Wikimedia Commons images and IWP Flickr photos)
Groundwater increases the risk of kidney stones in Rajasthan
Is groundwater in Alwar, Rajasthan safe to drink? A study explores
A well in Rajasthan (Image Source: IWP Flickr photos)
Reusing wastewater, rethinking water: Maharashtra's roadmap
How Maharashtra turns wastewater into a resource
Reusing wastewater for a secure future (Image: CEPT)
Toolkit for developing city action plans for reusing treated wastewater
Strategic approach to managing urban water resources sustainably
Water treatment plant (Image: Rawpixel; CC0 License)
How caste, credit, and crops shape microirrigation in semi-arid India
Unveiling state-specific drivers of drip and sprinkler irrigation adoption in India
Drip irrigation in Kerala (Image: Vis M, Wikimedia Commons; CC BY-SA 4.0)
भारत के पर्वतीय जल स्रोतों (स्प्रिंग्स) की स्थिति और इनके सतत प्रबंधन हेतु जल शक्ति मंत्रालय के प्रयास (भाग 2)
स्प्रिंग का स्थानीय लोग कई नामों से जानते हैं। हिकुर, सदांग, उह, निजारा, जूरी, पनिहार, नाडु, बावड़ी, चश्मा, नाग, बावली, जलधारा, ओट वेल्लम, नौला (कुमाऊं क्षेत्र में), और धारा, पनेरा (गढ़वाल क्षेत्र में) ये सब नाम स्प्रिंग के ही हैं।

शैलेन्द्र पटेल, बावधन नौले-धारे के पास, पुणे (फोटो स्रोत: तुषार सरोदे)
भारत के पर्वतीय जल स्रोतों (स्प्रिंग्स) की स्थिति और इनके सतत प्रबंधन हेतु जल शक्ति मंत्रालय के प्रयास (भाग 1)
विभिन्न संगठनों द्वारा मानचित्रित किये गए कुल स्प्रिंग्स की संख्या और नीति आयोग की रिपोर्ट में देश भर में संभावित स्प्रिंग्स की संख्या (लगभग 30 से 50 लाख) को संज्ञान में रखते हुए जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्प्रिंगशेड प्रबंधन हेतु गठित समिति द्वारा यह महसूस किया गया कि इनकी सम्पूर्ण देश में वास्तविक गणना अति आवश्यक है। इस क्रम में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में प्रथम स्प्रिंग सेन्सस हेतु नोडल एजेंसियां चिन्हित कर अगस्त, 2023 में राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
कश्मीर के अनंतनाग जिले में वेरीनाग चश्मा (छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)
भूजल से संवरेगा कल
जल संकट का स्थायी समाधान भूजल ही है। इसी से हमारा कल यानि भविष्य संवर सकता है। अन्यथा जल के लिए संघर्ष होता रहेगा। खासतौर पर दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में पीने के जल का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है। महिलाओं को कई किलोमीटर दूर जाकर जल लाना पड़ता है। क्योंकि उनके अपने गांव-कस्बे या क्षेत्र में भूमिगत जल स्रोत पूर्णतः सूख गए होते हैं।
रंदुल्लाबाद, महाराष्ट्र में एक सिंचाई कुआँ। छवि स्रोत: इंडिया वाटर पोर्टल
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