जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग और श्रीनगर में भी कई घरों में दरार देखने को मिली
जोशीमठ के बाद उससे 80 किलोमीटर दूर स्थित कर्णप्रयाग में भी कई घरों में दरार देखने को मिली है।  कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर इलाके में करीब 50 घरों में दरारें आने के बाद स्थानीय प्रशासन की और से मदद के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से संपर्क किया है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों  में कई
जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग और श्रीनगर में भी कई घरों में दरार देखने को मिली,(Pc -Indian express)
आसान नहीं वॉटर विजन@2047 की डगर
हाल ही में भोपाल में संपन्न ‘वॉटर विजन - 2047 पर मंथन किया गया। दो दिवसीय इस राष्ट्रीय सम्मेलन में जल सुरक्षा की चुनौतियों से निबटने के लिए प्रधानमंत्री के '5पी' यानी पॉलिटिकल विल (राजनीतिक इच्छा शक्ति), पब्लिक फाइनेंसिंग (लोक वित्त) पार्टनरशिप (साझेदारी), पब्लिक पार्टसिपेशन (जन भागीदारी) और परसुयेशन फॉर सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता के लिये प्रेरणा) को आधार बनाया गया है। जिसमें राज्यों के साथ संलग्नता व साझेदारी में सुधार तथा जल शक्ति मंत्रालय की योजनाओं को साझा करना शामिल है।
Flooding, a regular event in Chennai city (Image Source: IWP Flickr photos)
Building communities of practice on water quality
Water Quality Practitioners from across the country connect every week to discuss water quality issues and ground level challenges, explore possible solutions through the Guided Mentoring programme on Water Quality.
Snapshot of a Guided Mentoring session being conducted virtually on Zoom Platform (Source: INREM Foundation)
Fostering innovation in the green cooling sector
India’s cooling strategy can simultaneously mitigate the heat-related risks on lives and livelihoods, lower carbon emissions, and position India as a global hub for green cooling manufacturing.
Can India meet its growing domestic demand while also position itself as a manufacturing hub for cooling technologies? (Image: Gije Cho, CC)
गौतमबुद्ध नगर बन रहा तालाबों की कब्रगाह, एनजीटी खोज रहा तालाब
गौतमबुध नगर में हैं 1000 तालाब , लगभग 171 तालाबों पर अवैध कब्जा। अधिकारियों को तालाबों पर हो रहे कब्जों की थी जानकारी, नहीं की कार्रवाई। नोएडा प्राधिकरण व प्रशासन के अधिकारियों की घोर लापरवाही आई है सामने। वर्षा जल संचय व भूजल रिचार्ज का सबसे सशक्त माध्यम तालाबों को माना जाता है। एक हजार तालाबों के साथ गौतमबुद्ध नगर मजबूत स्थिति में है, लेकिन भू-माफिया व अतिक्रमण करने वालों की नजरें तालाब को जमीन पर गड़ गई हैं।
तालाब। फोटो साभार - रामवीर तंवर
नालंदा, बिहार के बरही बिगहा में गैरमजरुआ भूमि (गड्ढा) तालाब पर से अतिक्रमण हटाने की हुई कार्रवाई  
नालंदा, बिहार। 4 जनवरी 2023 को तालाब से अवैध कब्जे हटाने के लिए हुई कार्रवाई। ग्राम+पोस्ट- बरही बिगहा, थाना- चिकसौरा, जिला नालंदा के मौजा- बरही बिगहा, थाना संख्या- 91, खाता संख्या-104, खसरा संख्या-234 एवं रकबा-23 डिसमिल गैरमजरुआ आम जमीन (गड्ढा) यानी तालाब के रूप में बिहार सरकार के नाम पर खतियान में दर्ज है। अब तालाब गायब है। तालाब पर भरपूर कब्जा है। बरही बिगहा के निवासी सुधांशु कुमार के बिहार लोक पोर्टल पर शिकायत के बाद जांच हुई। जांच में एक दर्जन से ज्यादा लोग अतिक्रमणकारी पाए गए।

नालंदा, बिहार के बरही बिगहा में गैरमजरुआ भूमि (गड्ढा) तालाब पर से अतिक्रमण हटाने की हुई कार्रवाई  
नालंदा, बिहार। 4 जनवरी 2023 को तालाब से अवैध कब्जे हटाने के लिए हुई कार्रवाई। ग्राम+पोस्ट- बरही बिगहा, थाना- चिकसौरा, जिला नालंदा के मौजा- बरही बिगहा, थाना संख्या- 91, खाता संख्या-104, खसरा संख्या-234 एवं रकबा-23 डिसमिल गैरमजरुआ आम जमीन (गड्ढा) यानी तालाब के रूप में बिहार सरकार के नाम पर खतियान में दर्ज है। अब तालाब गायब है। तालाब पर भरपूर कब्जा है। बरही बिगहा के निवासी सुधांशु कुमार के बिहार लोक पोर्टल पर शिकायत के बाद जांच हुई। जांच में एक दर्जन से ज्यादा लोग अतिक्रमणकारी पाए गए।

13 महीनों के लंबे संघर्षों के बाद ग्राम- बरही बिगहा के अतिक्रमणकारियों पर हुई कार्रवाई।
नालंदा, बिहार के बरही बिगहा में गैरमजरुआ भूमि (गड्ढा) तालाब पर से अतिक्रमण हटाने की हुई कार्रवाई  
नालंदा, बिहार। 13 महीनों के लंबे संघर्षों के बाद 4 जनवरी 2023 को तालाब से अवैध कब्जे हटाने के लिए कार्रवाई हुई। ग्राम+पोस्ट- बरही बिगहा, थाना- चिकसौरा, जिला नालंदा के मौजा- बरही बिगहा, थाना संख्या- 91, खाता संख्या-104, खसरा संख्या-234 एवं रकबा-23 डिसमिल गैरमजरुआ आम जमीन (गड्ढा) यानी तालाब के रूप में बिहार सरकार के नाम पर खतियान में दर्ज है। अब तालाब गायब है। तालाब पर भरपूर कब्जा है। बरही बिगहा के निवासी सुधांशु कुमार के बिहार लोक पोर्टल पर शिकायत के बाद जांच हुई। जांच में एक दर्जन से ज्यादा लोग अतिक्रमणकारी पाए गए।

13 महीनों के लंबे संघर्षों के बाद ग्राम- बरही बिगहा के अतिक्रमणकारियों पर हुई कार्रवाई।
झांसी के 82 एकड़ के प्राचीन लक्ष्मी-तालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क के अतिक्रमण पर कार्यवाही न करने पर', NGT ने कहा- क्यों न लिया जाए एक्शन
झांसी। सरकार से लगातार अतिक्रमण की शिकायत से थक-हारकर एनजीटी के दरवाजे पर जाना मजबूरी बन गई है। झांसी के एडवोकेट बीएल भाष्कर, गिरजा शंकर राय, नरेन्द्र कुशवाहा की याचिका 165/2021 पर लगातार खेल जारी है। लगभग 16 एकड़ के नगरीय क्षेत्र के प्राचीन लक्ष्मीतालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क की भूमि पर बडे़ पैमाने पर अवैध कब्जे हैं। तालाब और नगर-पार्क की भूमि को अवैध कब्जामुक्त कराने की याचिका पर सुनवाई सुनवाई करते हुये एनजीटी ने तालाब और नगर-पार्क की भूमि को अवैध कब्जामुक्त किये जाने के आदेश दिये थे। एनजीटी के आदेश पर नगर निगम और ‘झांसी विकास प्राधिकरण’ ने कुछ सात धार्मिक स्थलों को चिंहित कर उन्हे नोटिस जारी कर दिया। निजी बिल्डरों की ज़मीन के बारे में कार्रवाई करने की बजाय ‘ प्राचीन धार्मिक स्थलों’ के आड़ में प्राधिकरण अवैध भू-माफियाओं को बचाने में लगा हुआ है।
झांसी के 82 एकड़ के प्राचीन लक्ष्मी-तालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क के अतिक्रमण पर कार्यवाही न करने पर', NGT नाराज
झांसी। सरकार से लगातार अतिक्रमण की शिकायत से थक-हारकर एनजीटी के दरवाजे पर जाना मजबूरी बन गई है। झांसी के एडवोकेट बीएल भाष्कर, गिरजा शंकर राय, नरेन्द्र कुशवाहा की याचिका 165/2021 पर लगातार खेल जारी है। लगभग 82 एकड़ के नगरीय क्षेत्र के प्राचीन लक्ष्मीतालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क की भूमि पर बडे़ पैमाने पर अवैध कब्जे हैं। एनजीटी ने तालाब और नगर-पार्क की भूमि को कब्जामुक्त किये जाने के आदेश दिये थे। एनजीटी के आदेश पर नगर निगम और ‘झांसी विकास प्राधिकरण’ ने कुछ सात धार्मिक स्थलों को चिंहित कर उन्हें नोटिस जारी कर दिया। निजी बिल्डरों की ज़मीन के बारे में कार्रवाई करने की बजाय ‘ प्राचीन धार्मिक स्थलों’ के आड़ में प्राधिकरण अवैध भू-माफियाओं को बचाने में लगा हुआ है।
सुना है, लक्ष्मी तालाब की सुंदरता पर करोड़ों कर्च हो चुके हैं। फोटो साभार- झांसी फोटोज
हरियाणा के 30 गांवों में गुरुग्राम के उपचारित सीवेज पानी का होगा इस्तेमाल
गुरुग्राम प्रशासन की और से गुरुग्राम और पड़ोसी जिलों के सूखे गांवों में सिंचाई के लिए उपचारित सीवेज के पानी का पुन: उपयोग करने की योजना बनाई है।इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य 30 गांवों में 51,000 एकड़ से अधिक की सिंचाई के लिए धनवापुर और बेहरामपुर सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) से 550 एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करना है
30 गांवों में गुरुग्राम के उपचारित सीवेज पानी का होगा इस्तेमाल
अब उन खरे तालाबों की खोज कौन करेगा? 
अनुपम मिश्र या हम सबके प्रिय पमपम पर पाँच साल पहले लिखा गया श्रवण गर्ग का यहआलेख है। अनुपम भी उनके द्वारा तलाशे गए तालाबों की तरह से ही खरे थे। अनुपम ने तो तालाबों को उनके दूर होते हुए भी खोज लिया । हम उन्हें अपने इतने नज़दीक होते हुए भी खोज नहीं पाए। 19 दिसम्बर को अनुपम की पुण्यतिथि थी।
अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान में। फोटो - सिविल सोसाइटी, लक्ष्मण आनंद
Microplastics in tributaries of the Upper Ganga River
First report on microplastics in tributaries of Upper Ganga River along Dehradun
Microplastics (Image: Oregon State University, Wikimedia Commons)
Localised impacts of irrigation on economic development
Results show the impacts of agricultural productivity boosts in India can be highly heterogeneous
Buckingham canal near Kasturba Nagar, Adyar (Image: India Water Portal)
Professionalizing Water Quality Management by empowered stakeholders
Online Water Quality Management (WQM) Course for JJM
Water Quality Champions, in the making (Image Source: INREM Foundation)
Factors influencing crop diversification in Himachal Pradesh
This study found that high rainfall, minimum temperature and high irrigation intensity had a negative impact on crop diversification in Himachal Pradesh.
Crop diversification to cope with climate shocks in Himachal Pradesh (Image Source: Wikimedia Commons)
Imagining a societal scale water solution
Water anywhere straight to where it is needed
Bhisma drinking water of Patala Ganga which was drawn on earth by Arjuna (Image Source: Wikimedia Commons)
Traditional agroforestry takes over jhum cultivation in Arunachal Pradesh
This study finds that traditional agroforestry (TAF) presents a number of advantages over jhum cultivation in Arunachal Pradesh and is gradually replacing jhum cultivation in the hills.
The hilly landscapes of Arunachal Pradesh (Image Source:Chakraborty.jishu Via Wikimedia Commons)
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