गुरुग्राम प्रशासन की और से गुरुग्राम और पड़ोसी जिलों के सूखे गांवों में सिंचाई के लिए उपचारित सीवेज के पानी का पुन: उपयोग करने की योजना बनाई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का मुख्य उद्देश्य गुरुग्राम के आसपास के जिलों के लगभग 30 गांवों में 51,000 एकड़ से अधिक की सिंचाई के लिए धनवापुर और बेहरामपुर सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) से 550 एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये सभी गांव गुरुग्राम और झज्जर जिलों में आते हैं और इस समय में सिंचाई के लिए भूजल और मीठे पानी के चैनलों पर निर्भर हैं।
जिला उपायुक्त डीसी निशांत यादव ने कहा, "हो सकता है कि इसे एक या दो गांवों के लिए पायलट आधार पर आजमाया गया हो, लेकिन पहली बार महानगरीय शहर के उपचारित पानी का इस्तेमाल गांवों की समस्याओं के समाधान के लिए किया जा रहा है।"
योजना के मुताबिक कम से कम दो एसटीपी चैनलों को झज्जर ड्रेन से जोड़े जायेगा। और इस पानी का उपयोग 51,445 एकड़ की सिंचाई के लिए किया जाएगा। वहीँ 128 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 10,700 एकड़ में सूक्ष्म सिंचाई प्रदान करने की भी योजना है। जिसमें धनकोट, गोपालपुर, चंदू, गढ़ी हरसरू जैसे गांवों में 1,700 एकड़ में सूक्ष्म सिंचाई शामिल है। इसके लिए तकरीबन 21.77 करोड़ रुपये का करार किया गया है।
गुरुग्राम जिले के बरसा, झज्जर, सुल्तानपुर और झंझरोला जैसे गांवों में 1,400 एकड़ में सूक्ष्म सिंचाई की भी योजना है, जिसके लिए 21.42 करोड़ रुपये की राशि का समझौता किया गया है।योजना के तहत लाभान्वित होने वाले अन्य गाँवों में हरिनगर डूमा, खेड़ा खुरमपुर, कुटानी, जरौन, सिवारी और मुशेदपुर शामिल हैं। ये गांव गुरुग्राम और झज्जर जिलों में स्थित हैं।
योजना का उद्देश्य ताजा नहर के पानी को बचाना है, जिसे रेवाड़ी, नारनौल और दादरी जैसे जिलों के पूंछ क्षेत्र में आपूर्ति की जा सकती है। डीसी निशांत यादव ने कहा, "इस कदम से ऐसे जिलों में पेयजल की कमी की समस्या का समाधान होने की संभावना है।"
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