नालंदा, बिहार के बरही बिगहा में गैरमजरुआ भूमि (गड्ढा) तालाब पर से अतिक्रमण हटाने की हुई कार्रवाई  

13 महीनों के लंबे संघर्षों के बाद ग्राम- बरही बिगहा के अतिक्रमणकारियों पर हुई कार्रवाई।
13 महीनों के लंबे संघर्षों के बाद ग्राम- बरही बिगहा के अतिक्रमणकारियों पर हुई कार्रवाई।

नालंदा, बिहार। 13 महीनों के लंबे संघर्षों के बाद 4 जनवरी 2023 को तालाब से अवैध कब्जे हटाने के लिए कार्रवाई हुई। ग्राम+पोस्ट- बरही बिगहा, थाना- चिकसौरा, जिला नालंदा के मौजा- बरही बिगहा, थाना संख्या- 91, खाता संख्या-104, खसरा संख्या-234 एवं रकबा-23 डिसमिल गैरमजरुआ आम जमीन (गड्ढा) यानी तालाब के रूप में बिहार सरकार के नाम पर खतियान में दर्ज है। अब तालाब गायब है। तालाब पर भरपूर कब्जा है। बरही बिगहा के निवासी सुधांशु कुमार के बिहार लोक पोर्टल पर शिकायत के बाद जांच हुई। जांच में एक दर्जन से ज्यादा लोग अतिक्रमणकारी पाए गए। कार्रवाई की बार-बार तारीख तो दी जा रही थी, पर कार्रवाई ज़मीन पर देखने को नहीं मिल रही है। इस बीच अतिक्रमणकारियों ने माननीय पटना उच्च न्यायालय में एक वाद दायर किया। माननीय पटना उच्च न्यायालय ने अतिक्रमणकारियों को कोई राहत नहीं दी। 

घटनाक्रम इस प्रकार रहा कि माननीय पटना उच्च न्यायालय एवं जिलाधिकारी नालंदा के आदेश के बाद अंचलाधिकारी हिलसा, नालंदा द्वारा बरही बिगहा में सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण हटाने के लिए दो- दो बार तिथि निर्धारित करने के बाद भी अंचलाधिकरी द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाए जाने के कारण ग्रामीणों के बीच उनके प्रति काफी आक्रोश रहा है। सुधांशु कुमार और उनके साथियों के अथक प्रयास का परिणाम रहा कि देर-सबेर को प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी।

शिकायत का मुद्दा था कि गैरमजरुआ आम भूमि (गढ्डा) तालाब पर अतिक्रमण। 

  • (1) ग्राम+पोस्ट- बरही बिगहा, थाना- चिकसौरा, जिला नालंदा के मौजा- बरही बिगहा, थाना संख्या- 91, खाता संख्या-104, खसरा संख्या-234 एवं रकबा-23 डिसमिल गैरमजरुआ आम जमीन (गढ्डा) के रूप में बिहार सरकार के नाम पर खतियान में दर्ज है। जिसमें पहले गांव के सभी घरों के नालियों का पानी गिरता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में गांव के कुछ ग्रामीणों ने गढ्डा पर अवैध कब्जा कर कुछ संरचनाएं बना ली है।
  • (2) गढ्डा पर अवैध संरचनाएं बन जाने के कारण नालियों का पानी अब गढ्डा में न जाकर मेरे एवं आसपास के घरों के गलियों में जमा रहता है । जिससे मेरे एवं आसपास के घरों से लोगों को बाहर निकलने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। नालियों का यह पानी काफी आगे तक अलंग और कई रैयत खेतों में फैला हुआ है , जिसके कारण ग्रामीणों के आवागमन का मुख्य रास्ता बन्द है। जिससे ग्रामीणों को कई कृषि एवं गैर कृषि कार्यों को करने में काफी तकलीफ उठानी पड़ती है। खेतों में नालियों का पानी सालों भर जमा रहने के कारण उसपर कई सालों से कोई भी फसल नहीं उगाई जा सकी है ।
  • (3) नालियों का पानी गली एवं अलंग पर जमा करने के कारण हम ग्रामीणों को नाली के पानी में उतरकर अपने कृषि कार्यों को करने के लिए अपने खेतों में जाना पड़ता है।
  • (4) नालियों के पानी में उतरकर अपने खेतों में जाने के कारण पैरों में हमेशा विषैले कीड़े- मकोड़े काटते हैं एवं कांच और कांटे चुभते रहते हैं, साथ ही पैरों में चर्मरोग उत्पन्न होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • (5) कभी- कभी नालियों में अधिक पानी आने के कारण इसका गंदा पानी मेरे घर में प्रवेश कर जाता है जिससे मेरे घर में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • (6) उक्त समस्याओं से समस्त ग्रामीणों के बुरी तरह पीड़ित होने के कारण अवैध कब्जाधारियों एवं शेष ग्रामीणों के बीच हमेशा मतभेद बना रहता है जो कभी भी एक बड़ी खूनी संघर्ष का रूप धारण कर सकती है।
  • (7) उक्त समस्याओं से हम ग्रामीणों को छुटकारा दिलाने के लिए अनुमंडल लोक शिकायत, हिलसा, नालंदा में परिवाद दायर किया था जिसमें प्रश्नगत भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के लिए अतिक्रमण वाद चलाने का निर्देश दिया गया था।

काफी संघर्षों के बाद 4 जनवरी 2023 को कार्रवाई की गई। पर वह भी आधी-अधूरी। खानापूर्ति के तहत महज कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। देश भर में अपने तालाबों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग अपने एक्शन से दिखा रहे हैं कि ऐसे बचेंगे पार्क, नदियां, तालाब। 

बरही बिगहा के युवाओं का मन है कि पूरी तरह से कब्जामुक्त होने के बाद अब तालाब का रिस्टोरेशन हो। इसके लिए अब वे योजना बनाने में लगे हैं।  
 

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Post By: Kesar Singh
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