झांसी के 82 एकड़ के प्राचीन लक्ष्मी-तालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क के अतिक्रमण पर कार्यवाही न करने पर', NGT नाराज

सुना है, लक्ष्मी तालाब की सुंदरता पर करोड़ों कर्च हो चुके हैं। फोटो साभार- झांसी फोटोज
सुना है, लक्ष्मी तालाब की सुंदरता पर करोड़ों कर्च हो चुके हैं। फोटो साभार- झांसी फोटोज

झांसी। सरकार से लगातार अतिक्रमण की शिकायत से थक-हारकर एनजीटी के दरवाजे पर जाना मजबूरी बन गई है। झांसी के गिरजा शंकर राय, एडवोकेट बी.एल. भास्कर, प्रदीप कुमार नामदेव, नरेन्द्र कुशवाहा की याचिका 114/2021 और 165/2021 पर लगातार खेल जारी है। लगभग 82 एकड़ के नगरीय क्षेत्र के प्राचीन लक्ष्मीतालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क की भूमि पर बडे़ पैमाने पर अवैध कब्जे/अतिक्रमण हैं। तालाब और नगर-पार्क की भूमि को अवैध अतिक्रमणमुक्त कराने की याचिका पर सुनवाई करते हुये एनजीटी ने लक्ष्मी तालाब और नगर-पार्क की भूमि को अतिक्रमणमुक्त किये जाने के आदेश दिये थे। एनजीटी के आदेश पर नगर निगम और ‘झांसी विकास प्राधिकरण’ ने खेल करते हुए अतिक्रमणकर्ताओं को बचाते हुए सात प्राचीन धार्मिक स्थलों को चिंहित कर उन्हे नोटिस जारी किए है। जब कि अमर उजाला, दैनिक जागरण, भास्कर एवं कई लोकल अखबारों में कई वर्षो से लक्ष्मी तालाब के 16 एकड़ रकवे पर अतिक्रमण/कब्जे की और नगर पार्क के अवैध निर्माणों/अतिक्रमणों की लगातार खबरे प्रकाशित होती रही है।  इससे प्रतीत होता है कि झांसी प्रशासन प्राचीन धार्मिक स्थलों’ की आड़ में भू-माफियाओं और अतिक्रमणकर्ताओं को बचाने की कौशिश करने में लगा हुआ।
 
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की नई दिल्ली प्रिंसिपल पीठ ने *गिरजा शंकर राय आदि बनाम यूपी स्टेट* आदि में आवेदक नरेन्द्र कुशवाहा के निष्पादन आवेदन पर 14 दिसंबर 2022 को पारित में कहा है कि नगर पार्क और लक्ष्मी तालाब पर बड़ी संख्या में अनाधिकृत निर्माण है। और अधिकारियों द्वारा आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है या की जा रही है। यह एक गंभीर मामला है। जिम्मेदार अधिकारियों को पता होना चाहिए कि इस ट्रिब्यूनल के आदेश का गैर-अनुपालन राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010, की धारा 26 के तहत एक अपराध है, जिसमें उन अधिकारियों के खिलाफ दंड और कारावास की कार्यवाही शामिल है जो आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं और उसे निष्पादित नहीं कर रहे हैं।
 
नगरीय क्षेत्र के प्राचीन लक्ष्मीतालाब की भूमि पर बडे़ पैमाने पर अवैध रूप से कब्जा है। तालाब की भूमि को अवैध कब्जामुक्त कराने की याचिका पर सुनवाई कर एनजीटी ने 14 सितम्बर को सुनवाई करते हुये एनजीटी ने तालाब की भूमि को अवैध कब्जामुक्त किये जाने के आदेश दिये थे। 
 
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की नई दिल्ली प्रिंसिपल पीठ ने कहा, हालांकि, जमीनी स्तर की स्थिति के बारे में जानकारी रखने के लिए, हम एक स्वतंत्र प्राधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करना उचित समझते हैं। इसलिए, हम इस मामले को देखने के लिए एमओईएफ एंड सीसी, राज्य पीसीबी, जिला मजिस्ट्रेट, झांसी और एसएसपी, झांसी की एक समिति का गठन करते हैं। जिलाधिकारी, झांसी समन्वय एवं अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होंगे। समिति एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी जिसमें संबंधित अधिकारियों द्वारा पार्क की भूमि पर किए गए अतिक्रमणों की संख्या और उपचारात्मक कार्रवाई, यदि कोई हो, के बारे में जानकारी दी जाएगी। रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ पार्क के कुल क्षेत्रफल को उसके मूल स्तर पर और अब अतिक्रमण किए गए क्षेत्र शामिल है। पार्क को उसकी मूल इकाई में बहाल करने के संदर्भ में उपचारात्मक कार्रवाई भी प्रदान की जाय।
 
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की नई दिल्ली प्रिंसिपल पीठ ने उपाध्यक्ष, झांसी विकास प्राधिकरण एवं जिलाधिकारी, झांसी तथा प्रमुख सचिव, शहरी विकास, उ0प्र0 को निर्देश दिए की वे कारण बताएं कि ट्रिब्यूनल के आदेशों का पालन न करने पर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों न की जाय। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी 2023 तय की गई है।
 
याचिकाकर्ता का संपर्क - नरेन्द्र कुशवाहा, (पर्यावरण एवं आरटीआई कार्यकर्ता), झांसी, उत्तर प्रदेश, मो. 9452041529 है। याचिकाकर्ता के ऊपर लगातार फर्जी मुकदमें दर्ज कराए जा रहे हैं। ऐसे में कैसे बचेंगे पार्क, नदियां, तालाब। कैसे सुधरेगा हवा-पानी। जब इनके लिए लड़ने वालें पर फर्जी मुकदमें दर्ज कराए जाएंगे। 
 
बताते चलें कि झांसी महायोजना 2021 की पुस्तक के पृष्ठ संख्या 7 पर स्पष्ट उल्लेख है कि नगर के पूर्व में लक्ष्मीताल के निकट स्थित नारायण बाग एवं समीप की आसपास की भूमि पर 198.38 हेक्टेयर क्षेत्र को नगर पार्क के रूप में विकसित करने हेतु प्रस्तावित है, जिसको सुरक्षित करना पर्यावरण एवं पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है। तथा झांसी शहर के बीचों-बीच स्थित लक्ष्मी तालाब प्राचीन तालाबों में से एक है। मराठा शासनकाल में इसका निर्माण कराया गया था। लक्ष्मी तालाब प्राचीन मंदिरों से घिरा हुआ है। लक्ष्मी मंदिर भी यहीं पर मौजूद है। माना जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई इसी तालाब से होते हुए लक्ष्मी मंदिर में पूजा करने आती थीं। इन्ही प्राचीन मंदिरों की आड़ में झांसी प्रशासन लक्ष्मी तालाब और नगर पार्क के अवैध निर्माणों/अतिक्रमणों को बचाने की साजिश रचकर षड़यंत्र भरा खेल, खेल रहा है।

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Post By: Kesar Singh
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