अमेठी में ‘वर्तमान जल चुनौतियां : कारण एवं निवारण’ पर चर्चा
बाढ़, सुखाड़ एवं पानी की गुणवत्ता संबंधी चुनौतियां और चिंतायें लगातार बढ़ती जा रही है। तमाम शासकीय - गैर शासकीय योजनाओं, परियोजनाओं. कार्यक्रमों, अभियानों और अकूत धन के खर्च के बावजूद इस स्थिति का स्थाई होते जाना चिंताजनक है। लिहाजा, वैश्विक तापमान वृद्धि से लेकर समस्याओं के स्थानीय कारण वह निवारण पर गहन चिंतन-मनन तथा जमीन पर कुछ करना जरूरी हो गया है। इसी सन्दर्भ में जल बिरादरी अमेठी, उत्तर प्रदेश ने दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करना तय किया है।
अमेठी के खारे पानी की समस्या, फोटो साभार - गांव कनेक्शन
एक सप्ताह की पौराणिक वेत्रवती यानी बेतवा नदी की यात्रा
बेतवा नदी के उद्गम से नदी मार्ग के विभिन्न पड़ावों तक बेतवा जल तंत्र (ईको सिस्टम) का वैज्ञानिक दृष्टि से समग्र अध्ययन इस यात्रा का मकसद है। यात्रा में नदी के जल में प्रदूषणकारी तत्वों की पहचान और प्रदूषण दूर करने के विविध उपायों पर सघन चिंतन मनन किया जाएगा। यात्रा टीमें नदी मार्ग के गांवों , कस्बों और ऐतिहासिक स्थलों की विस्तृत जानकारी एकत्र करेंगी। साथ ही नदी के बारे में जल सरंक्षण के बारे में ग्रामीण और शहरी समाज में जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। नदी के तटों पर श्रमदान से कचरा सफाई कर नदी तटों पर पौधा रोपण भी किया जाएगा।
बेतवा, फोटो साभार - https://pixabay.com/users/sandeephanda-5704921/
Union Budget 2023-24: A detailed analysis with a water lens
A detailed analysis of Union Budget 2023-24 from the water lens
(Image: Utthan/India Water Portal Flickr)
हिंडन के मामले में सरकारी ढिलाई 
देश की सबसे प्रदूषित नदियों में गाजियाबाद की हिंडन नदी पहले पायदान पर है। हिंडन नदी अब जीवनदायिनी भी नहीं रह गई है।  प्रदूषण ने इस का गला घोंट रखा है। जल पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। सहारनपुर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद नोएडा में तो प्रदूषण ई-लेवल का है। यह इतना खतरनाक है कि इसमें कोई जलीय जीव जीवित नहीं रह सकता।(1)
हिंडन नदी तंत्र
हिंडन के मामले में सरकारी ढिलाई 
देश के सबसे प्रदूषित नदियों में गाजियाबाद की हिंडन नदी पहले पायदान पर है। हिंडन नदी अब जीवनदायिनी भी नहीं रह गई है।  प्रदूषण ने इस का गला घोंट रखा है। जल पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। सहारनपुर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद नोएडा में तो प्रदूषण ई-लेवल का है। यह इतना खतरनाक है कि इसमें कोई जलीय जीव जीवित नहीं रह सकता।
हिंडन नदी तंत्र
जलयात्रा - भारतीय संस्कृति की झलक थाइलैंड में दिखती है
जलवायु परिवर्तन के कारण थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक आने वाले 15-20 सालों में लगभग आधी डूब जाएगी। दलदली जमीन को पाट करके बसाया गया बैंकॉक शहर समुद्र से महज डेढ़ मीटर यानी 4-5 फुट की ऊंचाई पर ही स्थित है। अगर समुद्र का जल स्तर इतना बढ़ जाएगा तो शहर में समुद्र का पानी घुस जाएगा। जकार्ता, मनीला जैसे कई दक्षिण एशियाई शहर भी समुद्री जल स्तर बढ़ने के कारण खतरे में हैं।
जलयात्रा - भारतीय संस्कृति की झलक थाइलैंड में दिखती है  (PC-Wanderlust Crew)
जलयात्रा - विकास हेतु वैचारिक क्रांति और परिवर्तनशीलता वाला देश फिलीपींस
फिलीपींस द्वीपों से बना हुआ एक देश है। कारण इसके पर्यावरणीय संकट काफी ज्यादा हैं। फिर भी फिलीपींस अपने पर्यावरण संकट से निपटने की भरपूर कोशिश कर रहा है। फिलीपींस में वन क्षेत्र कभी 70 फीसदी हुआ करता था लेकिन आज मात्र 20 फीसदी रह गया है। उन्होंने एक बहुत मजेदार कानून बनाया है जिसकी वजह से फिलीपींस की काफी चर्चा रही है, कि ग्रेजुएशन पूरा करने से पहले हर छात्र को कम से कम 10 पौधे लगाना अनिवार्य है और अगर आप साबित कर देंगे कि आप के पौधे हैं तभी आपको ग्रेजुएशन की डिग्री दी जाएगी।
फिलीपींस में पानी आपूर्ति स्थापित पंप और पाइप लाइनों के माध्यम से पानी प्रदान किया जाता (PC-British Geological Survey)
पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार का बड़ा ऐलान
पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया है देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अलावा कर्नाटक को सूखे से निपटने के लिए 53 हजार करोड़ का फंड देने की घोषणा की है
पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार का बड़ा ऐलान (photo-economics times)
Participatory development needed for eco-sensitive Himalayan region
A comprehensive review of the many development projects in the planning and early implementation stages needs to be done
Need to declare Himalayas as an eco-sensitive zone (Image: Bibek Raj Pandeya, Wikimedia Commons)
जल कुप्रबंधन के कारण बेपानी हो रहा म्यांमार
म्यांमार का संकट अब बहुआयामी हो चुका है। कृषि संकट-पर्यावरण संकट से म्यांमार में आर्थिक संकट। उसके बाद आंतरिक तनाव और फिर शरणार्थी संकट। क्रम म्यांमार में बन चुका है और यह एक चक्र बन चुका है। म्यांमार से लगभग 10लाख रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान आदि में फैल चुके हैं।






जल कुप्रबंधन के कारण बेपानी हो रहा म्यांमार (photo- myanmar water portal)
रावण की नहीं है अब श्रीलंका
श्रीलंका में क्लाइमेट चेंज का असर सूखाड़ और बाढ़ की समस्या अब दिखने लगा है। पिछले दो-तीन साल पहले कम बारिश ने कृषि संकट पैदा कर दिया था और वही कृषि संकट बाद में श्रीलंका का आर्थिक संकट बन चुका है। पूरी दुनिया को समझना चाहिए की जलवायु परिवर्तन एक हकीकत बन चुका है। हमें एक्सट्रीम वेदर कंडीशन की सच्चाई को गले उतार लेना चाहिए। बारिश बढ़ जाती है तो बाढ़ लाती है। और बारिश कम होती है तो सूखा लाती है। श्रीलंका ने पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र का यही हाल हो चुका है।
स्वाल नदी यात्रा की तस्वीरें
प्रकृति के संरक्षण और अनुशासन के विकास की परिभाषा को गढ़ता देश भूटान
जहां एक तरफ पूरी दुनिया में प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है, वहीं भूटान दुनिया में सबसे प्रदूषण मुक्त देश है। यह उपलब्धि वहां की सरकार का तो है ही, और वहां के समाज का भी है। भूटान के लोग प्रकृति को भगवान मानते हैं। और एक ही घर में कई-कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं। हालांकि उनकी अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी नहीं है लेकिन वहां के लोग दुनिया में सबसे ज्यादा प्रशन्न, संतुष्ट, प्रकृति से प्रेम करते हुए जीवन मूल्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।

राजेन्द्र सिंह,(PC:-राजेन्द्र सिंह)
मोबाइल पत्रकारिता कार्यशाला,आज ही करे आवेदन
सिखाने वाले नवीन कुमार: संस्थापक, आर्टिकल 19 इंडिया आजतक, एबीपी न्यूज़, न्यूज़ 24, इंडिया टीवी, सहारा समय, न्यूज़ एक्सप्रेस समेत कई संस्थानों में अहम पदों पर रहे, प्रोफ़ेसर करुणाशंकर कुसुमा: मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर में कन्वर्जेंट जर्नलिज़्म के हेड और मोबाइल पत्रकारिता के एक्सपर्ट
मोबाइल पत्रकारिता कार्यशाला
बांग्लादेशी विस्थापितों का पुनर्वासघर है भारत
बांग्लादेशियों में बाढ़ तथा शाकाहारी भोजन का भी भारत जैसा सम्मान नहीं है। शायद इसलिए प्रकृति के मूल स्वरूप को मानवता का पोषक मानने में भारतीय दृष्टि से भी भिन्‍नता है। फिर भी आहार-विहार, आचार-विचार, रहन-सहन इस सब में बहुत दूरी नहीं है। इसलिए बांग्लादेशी भी यूरोप में जाकर अपने को भारतीय बोलते हैं।
बांग्लादेशी विस्थापितों का पुनर्वासघर है भारत (Photo-Norad)
विस्थापन व विश्वयुद्ध से बचाव हेतु विश्वशांति जल-साक्षरता यात्रा : नेपाल
हिन्दुकुश के आठ देशों में से दो देश पाकिस्तान व चीन, इसके संचालन के लिए भारत में इसका मुख्यालय नहीं बनने देना चाहते हैं। इसलिए यह संगठन उतना प्रभावशाली नहीं रहा। इस काम को गति देने के लिए हिन्दुकुश हिमालय यात्रा आयोजित करना आवश्यक है ।
विस्थापन व विश्वयुद्ध से बचाव हेतु विश्वशांति जल-साक्षरता यात्रा : नेपाल
पाकिस्तान में पर्यावरण संकट 
पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है। लेकिन यहां कुदरत की हिफाज़त करने की चिंता भारत जैसी दिखाई नहीं देती।  इस देश में भी कमोबेश चीन जैसी स्थिति नजर आती है। आजादी के बाद यहां भी भौतिक व आर्थिक विकास तो नजर आता है, जिसके कारण प्रकृति (कुदरत) में बिगाड़ बहुत तेजी से नजर आ रहा है। मैंने अपनी यात्राओं के दौरान इस देश में जलवायु परिवर्तन का बहुत बिगाड़ देखा है।
पाकिस्तान में  जलवायु परिवर्तन के कारण ये विनाशकारी घटनाएं अधिक से अधिक आम होती जा रही हैं
मध्य एशिया में विश्वशांति जलयात्रा
मध्य एशिया, अफ्रीका व यूरोप में विश्व जल शांति यात्रा का पहला चरण सम्पन्न हुआ है। इसमें स्पष्ट रूप में समझ आया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ही विस्थापन बढ़ रहा है। यही लड़ाई झगड़ों का मूल कारण बन रही हैं। इस यात्रा का लक्ष्य एशिया-अफ्रीका के देशों में जाकर, उनको मजबूरी में विस्थापन (उजाड़) कम करने हेतु समझना-समझाना और उन्हें जल सहेजने में लगाना है। जिससे इनके पास हमेशा जल उपलब्ध रहे।
मध्य एशिया में विश्वशांति जलयात्रा, (Pc-Ap news)
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