/topics/conservation-reducing-water-usage
संरक्षण - जल उपयोग को कम करना
10. रोक बाँध
Posted on 30 Jan, 2010 01:50 PMये नदी-नालों पर बनाए गए सीमेंट-कांक्रीट के पक्के अवरोधक है। इसके निर्माण में स्थल चयन का कार्य महत्वपूर्ण है। नदी-नालों के ऊपरी भाग में, जहाँ इनकी चौडाई और गहराई अधिकतम हो तथा इनके दोनों किनारे पक्के हों, वहाँ रोक बाँध का निर्माण किया जा सकता है, जिससे कि अधिक से अधिक जलराशि रोकी जा सके। एक ही नदी-नाले पर कई जगहों पर रोक बाँध का निर्माण किया जा सकता है। रोक बाँध के द्वारा बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई
ऐसे किया जा सकता है जल संग्रहण
Posted on 30 Jan, 2010 09:48 AMसर्वत्र सुगमता से प्राप्त होने के कारण भूजल आदिकाल से सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रमुख स्रोत रहा है। सूखा एवं अकाल के समय यह स्रोत प्रमुख रूप से उपयोगी रहता है। साधारणतः भूजल रोगाणुरहित होने से पाने योग्य जल का सर्वोत्तम स्रोत है। ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत से अधिक पेयजल स्रोत भूजल पर ही आधारित होते हैं। 50 से 80 प्रतिशत तक सिंचाई संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति भी इसी स्रोत द्वारा की जातीजल संरक्षण उपाय
Posted on 17 Nov, 2009 07:12 AMसुरक्षित पानी : जीवन मूल का आधार
स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की कुजीं है। गंदा व प्रदूष्रित जल बीमारियों फैला सकता है। सभी प्रकार की घरेलु आवश्यकताओं के आधार पर सामान्यता प्रतिदिन एक आदमी को 40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है किन्तु अकाल जैसी स्थिति में दैनिक उपयोग के लिए प्रति व्यक्ति कम से कम 15 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
जल व पर्यावरण संरक्षण की योजना सिरे नहीं पकड़ सकी
Posted on 09 Nov, 2009 08:36 AMस्कूली स्तर पर जल और पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य लेकर बनाई गई लाखों रुपयों की योजनाएं धूल चाट गई है। विडम्बना की बात है कि करीब दो वर्ष पहले सरकारी स्कूलों में लाखों रुपये खर्च कर बरसाती पानी का संग्रह करने के लिए खुदवाए गए जल कुण्डों का अब नामोनिशान भी नहीं बचा है। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग ने जिस लक्ष्य के लिए सरकारी स्कूलों में इन कुण्डों की खुदाई करवाई थी, वह भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है।कोसी : जल प्रबंधन के विफलतम प्रयास की कहानी
Posted on 21 Aug, 2009 07:23 AM6 अप्रैल 1947 को निर्मली (सुपौल) में साठ हजार कोसी पीडि़तों का सम्मेलन हुआ। इसमें वाराह परियोजना पर चर्चा और सहमति हुई। पर, सम्मेलन में शामिल तीन अमेरिकी विशेषज्ञों ने साफ-साफलिख रहे हैं लेखनी अकाल के कपाल पर
Posted on 20 Aug, 2009 03:16 PMलापोड़िया गांव, जयपुर से 80 किलोमीटर दूर है। ‘ग्राम विकास नवयुवक मंडल’ के लक्ष्मणसिंह और उनके साथियों ने चौका व्यवस्था को यही तैयार किया था। इसके बाद इन्होंने जयपुर से दिल्ली तक बहुत से सम्मान पाए। लेकिन दूसरा पहलू यह है कि इस इलाके में सैकड़ों गांवों के अनगिनत समूह आज यहां से बनाए रास्ते से गुजरकर सालभर का चारा-पानी बचाना चाहते हैं।
जनता ने उतारी गंगा
Posted on 14 Jul, 2009 01:02 PMकानपुर देहात। शिवली स्थित शोभन आश्रम की अगुवाई में जनता के भगीरथ प्रयास से गंगा उतरने की घटना मूर्त रूप ले रही है। कर्मकांड से अलग हट कर इस आश्रम के स्वामीजी ने इहलोक सुधारने को वरीयता दी और दर्जनों गांवों की हजारों हेक्टेयर असिंचित भूमि की प्यास बुझाने के लिए जनसहयोग से नहर का निर्माण करा दिया। यह महत्वाकांक्षी पब्लिक कैनाल परियोजना अब पूरी होने की ओर है।हमारा पानी किसने चुरा लिया?
Posted on 10 Oct, 2008 05:50 PMनवभारत टाइम्स / मधु और भारत डोगरा
आज देश में क्या वजह है कि अब भी करोड़ों देशवासी जिंदगी की इस मूलभूत जरूरत के लिए तरस रहे हैं? हर साल गर्मियां शुरू होते ही शहरों और गांवों में पानी के लिए हाहाकार क्यों मचने लगता है?
पिछले दिनों हमने इस समस्या को समझने के लिए कुछ बस्तियों का
लघु बाँध ही समस्या का उपाय है
Posted on 21 Sep, 2008 06:18 PMमानवेंद्र सिंह देश की सबसे युवा पीढ़ी के नेता हैं। तीन वर्ष पहले उन्होंने पहली बार बतौर सांसद शपथ ग्रहण की है। देश के नितांत सूखे इलाके बाढ़मेर के प्रतिनिधि होने की वजह से उनसे काफी अपेक्षायें भी हैं कि वे जल संबंधी कार्य को किस नजर से देखते हैं। उनका नजरिया स्पष्ट है- लघु बाँध ही समस्या का उपाय है। देश दुनिया में घूमे मानवेंद्र को लिखने, पढ़ने में गहरी दिलचस्पी है। वे मूलत: पत्रकार ही थे। वे फ
जल संरक्षण के लिए लागू की हरियाली योजना
Posted on 10 Sep, 2008 09:03 AMजागरण/चंडीगढ़-हरियाणा सरकार द्वारा प्राकृतिक आपदा से निपटने और मिट्टी व पानी के संरक्षण के लिए प्रदेश में हरियाली स्कीम लागू की गई है। हरियाली स्कीम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए प्रवक्ता ने बताया कि इस स्कीम के तहत बरसाती पानी को इकट्ठा करने के लिए गांव व बाहर के खेतों में तालाब बनाए जा रहे है, ताकि उस पानी से भूमि में गिरते हुए जल स्तर को उठाया जा सके। इसके साथ-साथ ये तालाब पशुओं को पानी पिला