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नदियां
गंगा का संकट और समाधान
Posted on 20 Oct, 2023 12:10 PMचार महीनों तक गंगा के साथ रहा। स्वर्ग लोक की ऊंचाइयों से मृत्युलोक और पाताल लोक की गहराई तक यात्रा करते हुए, गंगा के अनगिनत संकटों को प्रवृत्तियों की तरह देखने और गहन विश्लेषण के बाद मुझे मूलत: पांच संकट नजर आए। बंधन, विभाजन, प्रदूषण, गाद और भराव। ये संकट नदी को मौत तक पहुंचा देते है। इन अर्थों में गंगा मौत के बहुत करीब है।
![हिमालय और गंगा,Pc-हिमालय और गंगा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/Himalay%20ganga%20.png?itok=8Lbhbh0P)
गंगा को जान-बूझकर मारा जा रहा है–राजेन्द्र सिंह
Posted on 19 Oct, 2023 03:05 PMआज सुबह जब मैं बनारस में गंगा जी के घाटों पर गया, तो ललिता घाट से पैदल गुजरते हुए मैंने लक्ष्य किया कि दक्षिणवाहिनी गंगा जब बनारस में उत्तरवाहिनी होती है तो एक अर्द्धचन्द्राकार हार सी आकृति बनाती है. पहले वहां एक निरवरोध प्रवाह बना रहता था. ललिता घाट पर बनने वाला वह प्राकृतिक वृत्त, आज देखा तो नष्ट कर दिया गया है और वहां अब एक त्रिकोण सा निर्मित हो गया है.
![वाराणसी के खिड़किया घाट पर गंगा के प्रवाह क्षेत्र के लगभग 50 मीटर भीतर चल रहा निर्माण,Pc-सर्वोदय जगत](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/R-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%B8%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%96%E0%A4%BF%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B9%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B2%E0%A4%97%E0%A4%AD%E0%A4%97%2050%20%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0%20%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%B0%20%E0%A4%9A%E0%A4%B2%20%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A3.png?itok=EYv634lB)
काशी की आंखों का पानी मर चुका है!
Posted on 18 Oct, 2023 12:03 PMमेरे गांव से चलने वाली बस तब 9 रूपये के किराये में बनारस पहुंचा देती थी, जहां से आने में अब 120 रूपये लगते हैं। यह 1984 की बात है। कम्प्यूटर नाम की किसी नयी मशीन का दुनिया में तब बहुत शोर मचा हुआ था, जो लाखों और करोड़ों के जोड़-घटाने पलक झपकते कर देती थी। दुनिया विकास के नये-नये मानदण्ड स्थापित कर रही थी। हमारा देश भी विकसित होने लगा था। अपने गांव के देहाती वातावरण से निकलकर जब हम बनारस पहुंचते
![कारखानों के रसायनों से मिलकर झाग-झाग हुआ वरुणा का पानी, PC-– सर्वोदय जगत](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/Screen%20Shot%202023-10-18%20at%2012.25.00.png?itok=CvPy2qyF)
गंगा की जीवनदायिनी क्षमता पर संकट
Posted on 18 Oct, 2023 11:44 AMदुनिया भर में संस्कृतियों का विकास नदियों के किनारे हुआ। इन संस्कृतियों पर प्रहार एवं नदियों का प्रदूषण एक साथ हुआ। औद्योगिक सभ्यता का विकास एवं उस विकास का प्रतिनिधित्व करने वाले नगर, ये दोनों नदियों के प्रदूषण का कारण बने। वस्तुत: नदी ही नहीं, भूमंडल पर सभी तरह के प्रदूषणों एवं इकाेलॉजी को जो खतरा है, उसका कारण वर्तमान औद्योगिक विकास है। इसीलिए कहा जाता है कि नदियों को शुद्ध करने की जरूरत नही
![गंगा की जीवनदायिनी क्षमता पर संकट](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/RIVER%20GANGA.jpeg?itok=fojSUsyH)
शोध : गंगा नदी की ही भाँति सरयू नदी में भी पाई गई जीवाणु भोजी बैक्टीरियोफेज की उपस्थिति
Posted on 16 Oct, 2023 11:33 AMअयोध्या 15 अक्टूबर। इंसानी कर्मों से प्रदूषित हो चुकी नदियों ने खुद को परिष्कृत करने की ठान लिया है। यूं तो उत्तर भारत की सभी नदियां बेहद प्रदूषित हो चुकी हैं लेकिन शारदा की सहायक नदी सरयू, जिसे घाघरा भी कहते हैं अभी सबसे कम प्रदूषित है। गंगा नदी की ही भांति सरयू नदी में भी जीवाणु भोजी बैक्टीरियोफेज की उपस्थिति पाई गई है। इसको लेकर शोध कर रहे अवध विश्वविद्यालय के उत्साहित हैं। गंगाजल की तरह सरय
![गंगा नदी,गंगोत्री](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/OIG%20%2861%29.jpeg?itok=xgExrIGm)
अलकनंदा बेसिन (उत्तराखंड) मे कृषि विकास द्वारा सतत् जीविकोपार्जन एवं भूमि प्रबंधन
Posted on 10 Oct, 2023 12:22 PMसारांश
उच्च ढलान, आशिक भंगुरता तथा कृषि योग्य भूमि से कम उत्पादकता के कारण हिमालयी प्रदेश में भूमि प्रबंधन एक ज्वलत मुद्दा बना हुया है। इस शोध प्रपत्र का मुख्य उद्देश्य अलकनंदा बेसिन मे भूमि प्रबंधन एवं जीविकोपार्जन स्थिरता को कृषिगत विकास के माध्यम से जांच करना है। इस अध्ययन को पूर्ण करने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों तरह के आकड़ो (प्राथमिक एवं द्वितीयक)
![अलकनंदा बेसिन](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/allknand%20river.jpeg?itok=LuKKhaM7)
गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा
Posted on 04 Oct, 2023 11:30 AMशास्त्रों के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है। इसलिए पानी को नीर या नर भी कहा जाता है। गंगा नदी का नाम विष्णोपुदोद्दकी भी है अर्थात भगवान विष्णु के पैरों से निकली हुई। गंगा नदी का मुख्य स्रोत गंगोत्री में हैं लेकिन गंगा नदी में उत्तराखंड की कई गैर बर्फीली सहायक नदियाँ भी जुड़ी हैं। तभी गंगा नदी में पानी होता है।
![गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/RISKIN%20RIVER.png?itok=48-fWSs6)
भागीरथी के उद्गम की खोज में
Posted on 13 Sep, 2023 12:04 PMगंगा हमारे रिहायशी घर के पीछे से बहती है। बचपन से ही मैंने उसके साथ एक मजबूत रिश्ता बनाया था। साल के एक खास समय में नदी आवेश में आ जाती और दूसरे समय में सूख भी जाती मैं उसे ज्वार और भाटे दोनों की स्थिति में रोज देखता था। नदी मेरे लिए किसी जीव की तरह थी जो हमेशा परिवर्तनशील रहती। शाम के समय में उसके किनारे पूरे मन से बैठता था। नदी की लहरें किनारों को तोड़ती रहती थीं। और बहते हुए मधुर गीत गुनगुना
![भागीरथी के उद्गम की खोज में](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/bagirath%20river%20.jpeg?itok=PRn7HJYw)
वाह, क्या नदियां हैं !
Posted on 23 Aug, 2023 01:27 PMनदियां तो हर देश में होती हैं, लेकिन इनके बारे में कितना कुछ जानते हैं आप? नदी को अंग्रेजी में रीवर कहते हैं। इस शब्द की उत्पति लैटिन भाषा के रिया शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है किनारा पुराने जमाने में पानी की उस धारा को जिनके किनारे होते थे, रीवर कहा जाता था। लेकिन आधुनिक परिभाषा के अनुसार पानी की बहती विशाल धाराओं को, जिनके किनारे बदलते रहे। हैं, नदी कहा जाता है।
![गंगा, भारत की सबसे प्रसिद्ध और पवित्र नदी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/Ganga%20river.jpeg?itok=rsofSoX_)
कलकल, छलछल,बहती गंगा
Posted on 16 Aug, 2023 04:00 PMधरती को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है, उनमें प्रमुख हैं पहाड़, खनिज, नदी और जंगल नदियां बहुत प्रकार की हैं, लेकिन सब में गंगा की अलग पहचान है। पूरे विश्व में किसी भी नदी की तुलना में गंगा सर्वाधिक आबादी को प्रभावित करती है। यह हिमालय के गंगोत्री से 19 किलोमीटर आगे गोमुख से निकलती है और कुल 2525 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका नाम जगह-जगह बदल जाता है। हिमालय में यह भाग
![धार्मिक आस्था का प्रतीक गंगा,PC-Wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/images%20%284%29.jpg?itok=HQ5ibO-W)