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नौले-धारे
नौले-धारों और नदियों को 'सारा' से मिलेगा नया जीवन
Posted on 31 Oct, 2023 02:49 PMकेंद्र सरकार ने ‘कैच द रेन कार्यक्रम’ के जरिए जलस्रोतों को सुधारने का प्रयास किया है। इसी प्रकार, उत्तराखंड में भी धामी सरकार वर्षा के पानी को संचय करके नौले-धारे और नदियों को संरक्षित और संवारने का प्रोजेक्ट आरंभ करने की योजना बना रही है। सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में, स्प्रिंग एंड रिवर रिज्यूविनेशन अथॉरिटी (सारा) की स्थापना को मंजूरी मिली, जो जलागम निदेशालय के तहत सोसायटी के रूप में पंजीकृ
हिमालय में सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोत
Posted on 14 Mar, 2023 12:10 PMहिमालय अपने जल संसाधनों, वन विविधता, अद्वितीय वन्य जीवन, समृद्ध संस्कृति और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के लिए प्रसिद्ध रहा है। विभिन्न बारहमासी नदियों का निवास स्थान होने के कारण हिमालय को एशिया का जल मीनार माना जाता है। गंगा और यमुना देश की दो सबसे पवित्र नदियाँ हैं इन प्रमुख नदियों के स्रोत गढ़वाल हिमालय (उत्तराखंड) में हैं और इस क्षेत्र को बहुत प्राचीन काल से तीर्थ यात्रा का केंद्र बनाते हैं। इ
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 500 साल पुराना जलाशय राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ
Posted on 15 Feb, 2023 10:13 AMभारत के छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा की मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली स्यूनराकोट के नौला-धारा (स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले जलभृत) को राष्ट्रीय प्राचीन स्मारक घोषित किया गया है। इस मौके पर एएसआई देहरादून सर्कल हेड मनोज कुमार सक्सेना ने कहा, "केंद्र सरकार ने हाल ही में स्यूनराकोट नौला को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित कर अधिसूचना जारी की थी। अब भारतीय पुरात
एनजीटी ने मसूरी झील के व्यावसायिक प्रयोग पर लगाई रोक
Posted on 08 Feb, 2023 12:22 PMनेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने होटलों द्वारा मसूरी झील से अवैध रूप से पानी निकालने पर नाराजगी जताई है और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट को टैंकरों के माध्यम से व्यावसायिक उपयोग के लिए झील के पानी की आपूर्ति बंद करने का आदेश दिया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले झील से पानी की अनियमित निकासी के प्रतिकूल प्रभाव का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया था क्योंकि माना जा रहा
द्वाराहाट, अल्मोड़ा में पानी बोओ, पानी उगाओ
Posted on 12 Nov, 2022 01:02 PM‘पानी बोओ अभियान’ अल्मोड़ा, उत्तराखंड की प्रस्तावना
पहले गांव के नजदीक के स्रोत से पानी नल के माध्यम से लाया गया। वह सूख गया तो पास के गाड-गधेरों से नल में लाया गया। उसमें पानी कम हुआ तो पाप की बड़ी नदी से पानी लाया गया। उम्ममें भी कम हुआ तो पिंडर व अलकनंद से पानी लाने की आवाज उठ रही हैं। आखिर कब तक नदियों से पानी मिलता रहेगा?