खाद्य और पोषण

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December 27, 2022 This study finds that traditional agroforestry (TAF) presents a number of advantages over jhum cultivation in Arunachal Pradesh and is gradually replacing jhum cultivation in the hills.
The hilly landscapes of Arunachal Pradesh (Image Source:Chakraborty.jishu Via Wikimedia Commons)
December 6, 2022 Need to shift to a more sustainable diet without compromising on major nutrients and calories
Historically, India has been a net exporter of virtual water (Image: PxHere)
August 21, 2022 Floods are not feared, but rather welcomed by the Mishing communities from Majuli island in Assam as they bring bountiful fish- a rich source of food, nutrition and livelihood for the community.
The Majuli island, a haven for fish (Image Source: Usha Dewani, India Water Portal)
June 19, 2022 Odisha Millets Mission is trying to bring back the glory of millets in tribal areas
A range of millet recipes and ready to cook items are sold by Millets on Wheels in Jashipur block in Mayurbhanj district. This initiative is supported by Odisha Millets Mission (Image: Odisha Millets Mission)
April 16, 2022 The report looks at what the transition could look like in ten specific foodscapes
Foodscapes for people and nature (Image: TNC)
January 30, 2022 MGNREGS: Even after the inclusion of additional funds amounting to Rs. 25,000 crores via supplementary budgets, allocations were 12 per cent less than the previous year's revised estimates
A school boy from Tilonia drinks from a tap from a rainwater harvesting tank (Image: Barefoot photographers of Tilonia)
दूध उत्पादन के लिये कुछ उपयोगी सुझाव
पशुओं के लिये उचित भोजन वह है जो स्थूल, रूचिकर, रोचक, भूखवर्धक और संतुलित हो और इसमें पर्याप्त हरे चारे मिले हो, उसमें रसीलापन मिला हो और वह संतुष्टि प्रदान करने वाला हो। पशुओं को आमतौर पर दिन में थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर 3 बार भोजन देना चाहिए Posted on 21 Dec, 2023 11:55 AM

पशुओं को आहार से मुख्यतया प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज, विटामिंस आदि पोषक पदार्थ मिलते है जिनका उपयोग ये पशु अपने जीवन निर्वाह, बढ़ोतरी, उत्पादन, प्रजनन तथा कार्यक्षमता आदि के लिये करते हैं। भारत में पशुओं के कम दूध देने वाले पशु, करोड़ों भूमिहीन और सीमांत कृषक, फसलों के बचे अवशेष का उपयोग चारागाहों की कमी आदि है। ऐसे क्षेत्र जहां पर मिश्रित खेती होती है वहां पर दूध उत्पादन प्राय: अधिक पा

दूध उत्पादन के लिये कुछ उपयोगी सुझाव
लवणीय जल सिंचाई द्वारा गुलाब (रोजा डेमासीना) की खेती (Rose (Rosa damascena) cultivation by saline water irrigation)
भारत में गुलाब का उत्पादन मुख्यरूप से हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, लखनऊ (उत्तर प्रदेश), पुणे, नासिक (महाराष्ट्र), बंगलौर (कर्नाटक), कोयम्बटूर (तमिलनाडु), पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों मुख्यतः कोलकाता में किया जाता है। राजस्थान में इसका उत्पादन मुख्य रूप से पुष्कर, हल्दीघाटी, श्रीगंगानगर व उदयपुर में किया जाता है।गुलाब विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय पुष्प है इसलिए इसे फूलों का राजा भी कहा जाता है। यह झाड़ीनुमा एक बहुवर्षीय पौधा है जो सुन्दर पुष्पों के लिए उगाया जाता है। इसके फल को हिप कहते हैं जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। इसके फूल से जैम, जैली व मालाएं बनाई जाती हैं। गुलाब के फूलों से मुख्यरूप से इत्र निकाला जाता है तथा इसके लिए चेली गुलाब का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। Posted on 23 Nov, 2023 04:46 PM

गुलाब (रोजा डेमासीना)

गुलाब विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय पुष्प है इसलिए इसे फूलों का राजा भी कहा जाता है। यह झाड़ीनुमा एक बहुवर्षीय पौधा है जो सुन्दर पुष्पों के लिए उगाया जाता है। इसके फल को हिप कहते हैं जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। इसके फूल से जैम, जैली व मालाएं बनाई जाती हैं। गुलाब के फूलों से मुख्यरूप से इत्र निकाला जाता है तथा इसके लिए चेली गुलाब का सर्

गुलाब की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती (Cultivation of fenugreek (Trigonella foenum- graecum) by saline water irrigation)
मेथी भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में काफी समय से जंगली रूप में उगती पाई गई है, फिर भी इसकी उत्पत्ति पूर्वी यूरोप और इथोपिया मानी जाती है। भारत में मेथी मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। देश में मेथी के कुल क्षेत्रफल का लगभग 80 प्रतिशत राजस्थान में पाया जाता है। Posted on 22 Nov, 2023 04:58 PM

मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम

मेथी की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है। इसकी सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हमारे देश में मेथी का उपयोग शाक एवं मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी की पत्तियाँ एवं कोमल फलियाँ सब्जी

मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती (Marigold (Tegatus erecta) cultivation by saline water irrigation)
गेंदे को साल भर तीनों ही ऋतुओं में उगाया जा सकता है परन्तु पैदावार के लिए शीत ऋतु अधिक उपयुक्त है। पौधों में अच्छी बढ़वार व अधिक पुष्पन के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है। गैंदा एक आसानी से उगाया जा सकने वाला पौधा है और इस पर कीट एवं बीमारियों का प्रकोप भी बहुत कम होता है। इसकी खेती करना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है। गेंदा के फूल पौधों पर लम्बे समय तक खिलते रहते हैं, साथ ही इसकी संग्रहण क्षमता अधिक होने के कारण आसानी से कुछ दिनों तक रखा जा सकता है। Posted on 22 Nov, 2023 04:30 PM

गैंदा (टेगेटस इरेक्टा

गैंदा एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक मौसमी फूल है। इसकी सुन्दरता एवं टिकाऊपन के कारण पुष्प व्यापार में गुलाब के बाद सर्वाधिक बिकने वाला फूल है। इसके फूलों का विभिन्न रूपों जैसे माला, वेणी, झालर, घर की सजावट, पूजा, गुलदस्ता बनाने आदि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। गैंदा एक आसानी से उगाया जा सकने वाला पौधा है और इस पर कीट एवं बीमारियों का प

गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती
खाद्य प्रसंस्करण : विकास और संभावनाएं (Food Processing: Development and Prospects in Hindi)
खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत वे सभी विधियां और तकनीक शामिल हैं, जो कच्चे खाद्य पदार्थ की भंडारण अवधि (शेल्फ लाइफ बढ़ाने, इसके अनेक उपयोगी व मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने और इनकी सुरक्षित पैकेजिंग तथा परिवहन के उपयोग में आती हैं। इसके दायरे में विभिन्न प्रकार के अनाजों, सब्जियों, मसालों, मेवों आदि के साथ दूध, मांस, मछली और अंडे भी आते हैं Posted on 05 Oct, 2023 01:52 PM

खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को आधुनिक व वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए अनुसंधान व विकास संस्थानों द्वारा नवीन प्रौद्योगिकी के विकास व नवाचार को गति दी जा रही है। साथ ही शिक्षण, प्रशिक्षण और प्रसार के नेटवर्क को भी अनेक संस्थानों के सहयोग से सशक्त बनाया जा रहा है, ताकि देश में खाद्य प्रसंस्करण को एक ठोस आधार और सतत् दिशा मिल सके।

खाद्य प्रसंस्करण : विकास और संभावनाएं
मृदा अपरदन और संरक्षण (Soil Erosion and Conservation in Hindi)
बढ़ती आबादी के कारण इमारती लकड़ी, ईंधन की मांग, खेती के विस्तार आदि के कारण समस्या विस्फोटक रूप लेती जा रही है। इसके अलावा, खेतों में भूमि के प्रयोग में गलत पद्धतियों के अपनाने से भी समस्या बढ़ती जा रही है।मिट्टी के संरक्षण में केवल मृदा अपरदन पर काबू पाना ही शामिल नहीं है, बल्कि मिट्टी अथवा मृदा की कमियों को दूर करने, खाद और उर्वरक का प्रयोग, सही तरीके से बारी-बारी से फसल उगाना, सिंचाई, जल निकासी, आदि अनेक पक्ष भी इसके अंतर्गत आते हैं। इस व्यापक प्रक्रिया का लक्ष्य उच्च स्तर तक मृदा की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाना है। Posted on 13 Sep, 2023 01:09 PM

मिट्टी के संरक्षण में केवल मृदा अपरदन पर काबू पाना ही शामिल नहीं है, बल्कि मिट्टी अथवा मृदा की कमियों को दूर करने, खाद और उर्वरक का प्रयोग, सही तरीके से बारी-बारी से फसल उगाना, सिंचाई, जल निकासी, आदि अनेक पक्ष भी इसके अंतर्गत आते हैं। इस व्यापक प्रक्रिया का लक्ष्य उच्च स्तर तक मृदा की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाना है। इस अर्थ में, मृदा संरक्षण, सामान्यतः, भूमि के इस्तेमाल में सुधार लाने के उद्देश्य से

मृदा अपरदन
जैविक खाद का काम,जल की बचत के साथ ही दे पौधों को नई जान
अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व रसायन मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता को समाप्त कर रहे हैं। Posted on 16 Aug, 2023 06:02 PM

आज के दौर की कृषि पद्धति काफी आधुनिक हो गई है। जिस रफ्तार से कृषि में आधुनिकता का समावेश किया जा रहा है उससे किसानों को त्वरित फायदे प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन, इन झटपट फायदे के फेर में वे कई दीर्घकालीन समस्याओं को निमंत्रण दे रहे हैं। अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व रसायन मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता को समाप्त कर रहे हैं। मिट्टी की उर्वरकता में गिराव

नीम से खाद तैयार,PC-Wikipedia
बच्चों के लिए हानिकर खाद्य व्यापार
Posted on 13 Mar, 2015 09:54 AM ‘बच्चों के लिए हानिकर खाद्य व्यापार’ शीर्षक निबन्ध प्रतियोगिता में पहले, दूसरे और तीसरे पुरस्कार के लिए चयनित निबन्धों को एक-एक कर हम योजना के अंकों में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ प्रस्तुत है द्वितीय पुरस्कार प्राप्त प्रविष्टि —वरिष्ठ सम्पादक
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