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झीलें, तालाब और आर्द्रभूमि
वेटलैंड (आर्द्रभूमि) (Wetland)
Posted on 16 Dec, 2017 03:27 PMवेटलैंड किसे कहते हैं
जलमग्न अथवा आर्द्रभूमि को वेटलैंड कहते हैं। प्राकृतिक अथवा कृत्रिम, स्थायी अथवा अस्थायी, पूर्णकालीन आर्द्र अथवा अल्पकालीन, स्थिर जल अथवा अस्थिर जल, स्वच्छ जल अथवा अस्वच्छ, लवणीय, मटमैला जल- इन सभी प्रकार के जल वाले स्थल वेटलैंड के अन्तर्गत आते हैं। समुद्री जल, जहाँ भाटा-जल की गहराई छः मीटर से अधिक नहीं हो, भी वेटलैंड कहलाता है।
तालाबों ने बदली निपनियाँ गाँव की जिन्दगी
Posted on 26 Nov, 2017 12:35 PMबदलाव की इस सफल गाथा को देखने के लिये पड़ोसी जिलों तथा राज्यों से किसान आते हैं और बहुत कुछ सीखकर जाते हैं
गायब हो रहे गया के तालाब
Posted on 19 Sep, 2017 01:08 PM
ऐतिहासिक व धार्मिकों मान्यताओं से भरपूर गया शहर जितना पुराना है, उतने ही पुराने यहाँ के तालाब भी हैं। कभी गया को तालाबों का शहर भी कहा जाता था, लेकिन बीते छह से सात दशकों में गया के आधा दर्जन से अधिक तालाबों का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो चुका है।
जहाँ कभी तालाब थे, वहाँ आज कंक्रीट के जंगल गुलजार हैं। इन्हीं में से एक नूतन नगर भी है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ पहले विशाल तालाब हुआ करता था।
मोती की खेती से चमकेगी किस्मत
Posted on 14 Sep, 2017 01:17 PMपानी से भोजन लेने की प्रक्रिया में एक सीप 96 लीटर पानी को जीव
जल गुणवत्ता सुधार के लिये वेटलैंड तकनीक (Essay on Artificial-Constructed Wetlands and Water Quality Improvement in Hindi)
Posted on 06 Aug, 2017 04:31 PMनिरंतर बढ़ती जनसंख्या से पूरे विश्व में स्वच्छ पानी की भारी कमी महसूस की जा रही है और इससे निबटने के लिये वैज्ञानिक भी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस रस्साकशी में पानी बचाने, गंदे पानी को उपयोगी बनाने हेतु भी नई-नई तकनीक ईजाद की जा रही है। पिछले दिनों हुई अन्तरराष्ट्रीय जल संसद में वेटलैंड तकनीक की ओर ध्यान खींचा गया। प्राचीन होते हुए भी सबसे बेहतर
प्राकृतिक जलस्रोतों की भूमि : उधमपुर
Posted on 04 Aug, 2017 10:47 AMजिला मुख्यालय उधमपुर ध्रुव, बौली एवं देविका की भूमि के नाम से प्रसिद्ध हैं, जिसे बाद में जम्मू कश्मीर के डोगरी राज के संस्थापक महेन्द्र गुलाब सिंह के ज्येष्ठ पुत्र राजा उधम सिंह के नाम से जाना गया। यह क्षेत्र शहर बनाये जाने से पूर्व एक घना जंगल था, जहाँ राजा उधम सिंह विशेष अवसरों पर शिकार के लिये आया करते थे। उधमपुर जिला उत्तरी अक्षांश में 32 डिग्री 3
मन्दिरों से जुड़ा जल प्रबन्ध
Posted on 15 Jul, 2017 10:32 AMदक्षिण भारत में खेतों की सिंचाई पारम्परिक रूप में पानी के छोटे-छोटे स्रोतों से की जाती थी। सिंचाई के संसाधनों के संचालन में मन्दिरों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। हालांकि चोल (9वीं से 12वीं सदी) और विजयनगर दोनों ही साम्राज्यों ने कृषि को बढ़ावा दिया, फिर भी इनमें से किसी ने भी सिंचाई और सार्वजनिक कार्यों के लिये अलग से विभाग नहीं बनाया। इन कार्यों को सामान्य लोगों, गाँवों के संगठनों और मन्दिरों पर छोड़ दिया गया था, क्योंकि ये भी जरूरी संसाधनों को राज्य की तरह ही आसानी से जुटा सकते थे।
उदाहरण के तौर पर, आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति के पास स्थित शहर कालहस्ती में बना शैव मन्दिर चढ़ावों का उपयोग सिंचाई के लिये नहरों की खुदाई और मन्दिरों की अधिकृत जमीनों पर फिर अधिकार प्राप्त करने के लिये करता था।
महासागरों पर महासंकट
Posted on 09 Jul, 2017 04:36 PMमहासागरों से हमारा गहरा सम्बन्ध है। क्योंकि महासागर ही हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरे खतरनाक अपशिष्टों को आसानी से अपने अन्दर समाहित कर लेते हैं। अब इनका अस्तित्व खतरे में है। महासागरों को बचाने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र का पहला सम्मेलन हाल ही में अमेरिका में हुआ। इसमें विभिन्न देशों, संस्थाओं और व्यापार समूहों ने समुद्र को बचाने का संकल्प लिया। लेकिन क्या ये लोग इन पर अडिग रहेंगे?
एक जलस्रोत ऐसा भी, जो भूत के नाम से प्रचलित हैं
Posted on 29 Jun, 2017 01:01 PM
सीमान्त जनपद उत्तरकाशी में बहने वाली यमुना नदी में सैकड़ों छोटी-छोटी जल धाराएँ संगम बनाती है। इनमें से एक जलधारा यमुना नदी की दाईं ओर कुड़ गाँव से निकलती है। जहाँ से यह जलधारा निकलती है वहाँ इस जलधारे को ‘भूत राजा का पन्यारा’ कहते हैं।
खेती व पानी के दोहन ने वेटलैंड्स की खोदी कब्र
Posted on 24 Jun, 2017 01:27 PMवेटलैंड यानी आर्द्रभूमि न केवल विभिन्न प्रकार के जलीय जंतुओं व प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल होता है, बल्कि यह ईको सिस्टम को भी बनाये रखता है।