झीलें, तालाब और आर्द्रभूमि

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April 28, 2024 जानिए क्या कारण है कि चंपावत जिले की एकमात्र झील श्यामलाताल आज अपने अस्तित्व को तलाश रही है और तकरीबन 7 मीटर गहरी झील में अब सिर्फ एक से डेढ़ मीटर पानी रह गया है।
चंपावत की श्यामलाताल झील, प्रतीकात्मक
October 28, 2023 While Delhi NCR is undergoing rapid urbanisation, what is the state of the wetlands in the region? A study finds out.
Okhla Bird Sanctuary, Noida (Image Source: Awankanch via Wikimedia Commons)
September 21, 2023 PESA Act unleashed: The Mahila Sangh's ongoing governance transformation
Women from the Mahila Gram Sangh (Image: FES)
May 17, 2023 Given Hamirsar's significance, the Jal Shakti Ministry had designated it as one of India's 75 water heritage monuments
Need to resuscitate the traditional water system and expand its catchment (Image: Raman Patel, Wikimedia Commons, CC BY 3.0)
March 11, 2023 In order to promote a regenerative system for biodiversity protection, the relationship between the pond ecosystem and the circular economy was also evaluated.
Temple pond in Kerala (Image: Sreekanth V, Wikimedia Commons)
वेटलैंड (आर्द्रभूमि) (Wetland)
Posted on 16 Dec, 2017 03:27 PM

वेटलैंड किसे कहते हैं


जलमग्न अथवा आर्द्रभूमि को वेटलैंड कहते हैं। प्राकृतिक अथवा कृत्रिम, स्थायी अथवा अस्थायी, पूर्णकालीन आर्द्र अथवा अल्पकालीन, स्थिर जल अथवा अस्थिर जल, स्वच्छ जल अथवा अस्वच्छ, लवणीय, मटमैला जल- इन सभी प्रकार के जल वाले स्थल वेटलैंड के अन्तर्गत आते हैं। समुद्री जल, जहाँ भाटा-जल की गहराई छः मीटर से अधिक नहीं हो, भी वेटलैंड कहलाता है।
तालाबों ने बदली निपनियाँ गाँव की जिन्दगी
Posted on 26 Nov, 2017 12:35 PM

बदलाव की इस सफल गाथा को देखने के लिये पड़ोसी जिलों तथा राज्यों से किसान आते हैं और बहुत कुछ सीखकर जाते हैं

गायब हो रहे गया के तालाब
Posted on 19 Sep, 2017 01:08 PM


ऐतिहासिक व धार्मिकों मान्यताओं से भरपूर गया शहर जितना पुराना है, उतने ही पुराने यहाँ के तालाब भी हैं। कभी गया को तालाबों का शहर भी कहा जाता था, लेकिन बीते छह से सात दशकों में गया के आधा दर्जन से अधिक तालाबों का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो चुका है।

जहाँ कभी तालाब थे, वहाँ आज कंक्रीट के जंगल गुलजार हैं। इन्हीं में से एक नूतन नगर भी है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ पहले विशाल तालाब हुआ करता था।

रामसागर तालाब में पसरी गन्दगी
मोती की खेती से चमकेगी किस्मत
Posted on 14 Sep, 2017 01:17 PM
पानी से भोजन लेने की प्रक्रिया में एक सीप 96 लीटर पानी को जीव
pearl
जल गुणवत्ता सुधार के लिये वेटलैंड तकनीक (Essay on Artificial-Constructed Wetlands and Water Quality Improvement in Hindi)
Posted on 06 Aug, 2017 04:31 PM
निरंतर बढ़ती जनसंख्या से पूरे विश्व में स्वच्छ पानी की भारी कमी महसूस की जा रही है और इससे निबटने के लिये वैज्ञानिक भी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस रस्साकशी में पानी बचाने, गंदे पानी को उपयोगी बनाने हेतु भी नई-नई तकनीक ईजाद की जा रही है। पिछले दिनों हुई अन्तरराष्ट्रीय जल संसद में वेटलैंड तकनीक की ओर ध्यान खींचा गया। प्राचीन होते हुए भी सबसे बेहतर
प्राकृतिक जलस्रोतों की भूमि : उधमपुर
Posted on 04 Aug, 2017 10:47 AM
जिला मुख्यालय उधमपुर ध्रुव, बौली एवं देविका की भूमि के नाम से प्रसिद्ध हैं, जिसे बाद में जम्मू कश्मीर के डोगरी राज के संस्थापक महेन्द्र गुलाब सिंह के ज्येष्ठ पुत्र राजा उधम सिंह के नाम से जाना गया। यह क्षेत्र शहर बनाये जाने से पूर्व एक घना जंगल था, जहाँ राजा उधम सिंह विशेष अवसरों पर शिकार के लिये आया करते थे। उधमपुर जिला उत्तरी अक्षांश में 32 डिग्री 3
मन्दिरों से जुड़ा जल प्रबन्ध
Posted on 15 Jul, 2017 10:32 AM
दक्षिण भारत में खेतों की सिंचाई पारम्परिक रूप में पानी के छोटे-छोटे स्रोतों से की जाती थी। सिंचाई के संसाधनों के संचालन में मन्दिरों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। हालांकि चोल (9वीं से 12वीं सदी) और विजयनगर दोनों ही साम्राज्यों ने कृषि को बढ़ावा दिया, फिर भी इनमें से किसी ने भी सिंचाई और सार्वजनिक कार्यों के लिये अलग से विभाग नहीं बनाया। इन कार्यों को सामान्य लोगों, गाँवों के संगठनों और मन्दिरों पर छोड़ दिया गया था, क्योंकि ये भी जरूरी संसाधनों को राज्य की तरह ही आसानी से जुटा सकते थे।

उदाहरण के तौर पर, आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति के पास स्थित शहर कालहस्ती में बना शैव मन्दिर चढ़ावों का उपयोग सिंचाई के लिये नहरों की खुदाई और मन्दिरों की अधिकृत जमीनों पर फिर अधिकार प्राप्त करने के लिये करता था।
तिरुपति के निकट त्रिचानूर स्थित मन्दिर का तालाब
महासागरों पर महासंकट
Posted on 09 Jul, 2017 04:36 PM
महासागरों से हमारा गहरा सम्बन्ध है। क्योंकि महासागर ही हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरे खतरनाक अपशिष्टों को आसानी से अपने अन्दर समाहित कर लेते हैं। अब इनका अस्तित्व खतरे में है। महासागरों को बचाने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र का पहला सम्मेलन हाल ही में अमेरिका में हुआ। इसमें विभिन्न देशों, संस्थाओं और व्यापार समूहों ने समुद्र को बचाने का संकल्प लिया। लेकिन क्या ये लोग इन पर अडिग रहेंगे?
एक जलस्रोत ऐसा भी, जो भूत के नाम से प्रचलित हैं
Posted on 29 Jun, 2017 01:01 PM


सीमान्त जनपद उत्तरकाशी में बहने वाली यमुना नदी में सैकड़ों छोटी-छोटी जल धाराएँ संगम बनाती है। इनमें से एक जलधारा यमुना नदी की दाईं ओर कुड़ गाँव से निकलती है। जहाँ से यह जलधारा निकलती है वहाँ इस जलधारे को ‘भूत राजा का पन्यारा’ कहते हैं।

भूत राजा का पन्यारा जलस्रोत
खेती व पानी के दोहन ने वेटलैंड्स की खोदी कब्र
Posted on 24 Jun, 2017 01:27 PM
वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि न केवल विभिन्न प्रकार के जलीय जंतुओं व प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल होता है, बल्कि यह ईको सिस्टम को भी बनाये रखता है।
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