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झीलें, तालाब और आर्द्रभूमि
कब पानीदार होंगे हम
Posted on 08 Jun, 2017 10:49 AMजल नीति में जल आयोग का गठन व बढ़ती हुई शहरी आबादी की जरूरत को
ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स का अस्तित्व मिटाने की तैयारी
Posted on 27 Apr, 2017 03:17 PMरोज करीब 250 मिलियन लीटर गंदे पानी का परिशोधन करने वाले व कार्बन को सोखने की अकूत क्षमता रखने वाले ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स पर अतिक्रमण का आक्रमण बढ़ रहा है। यह हमला अगर आने वाले समय में भी जारी रहा, तो एक दिन इसका अस्तित्व ही मिट जायेगा।
चार पर्यावरणविदों द्वारा किये गये एक शोध में खुलासा हुआ है कि वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) का तेजी से अतिक्रमण किया जा रहा है और उस पर मकान बनाये जा रहे हैं।
भूजल का दोहन करती एक योजना
Posted on 10 Mar, 2017 04:15 PMफार्म पांड स्कीम लाया गया था, तो इसका उद्देश्य ही था बारिश के
कुशल इंजीनियरिंग की मिसाल भोज के साढ़े बारह तालाब
Posted on 05 Mar, 2017 12:13 PM
धार। साढ़े बारह तालाबों की नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले धार नगर से तालाब एक-एक करके मिटते जा रहे हैं। वर्षों पूर्व किसी समय जब इस शहर की जनसंख्या वर्तमान से करीब एक चौथाई थी तब यहाँ 12 बड़े तालाब व एक छोटी तलैया थी। तभी से धार को साढ़े बारह तालाबों का नगर कहा जाने लगा था। ये तालाब धार का सौन्दर्य तो बढ़ाते ही थे लेकिन भूजल स्तर को बढ़ाए रखने में भी सहायक होते थे।
पीपल्याहाना तालाब मुक्त, अब नहीं बनेगी इमारत
Posted on 07 Feb, 2017 04:21 PMपीपल्याहाना तालाब का नीला पानी हवा के झोकों के साथ हिलोरें ले
सामाजिक व्यवस्था के साथ ही जलाशयों का भी बिखराव
Posted on 05 Feb, 2017 01:26 PMजलाशयों का रख-रखाव मरम्मत, साफ-सफाई के कार्य गाँव के लोग मिलकर करते थे परन्तु अब उपेक्षित
बिहार में तालाब से बिजली का उत्पादन
Posted on 04 Feb, 2017 01:41 PMबिहार के 38 जिलों में सरकारी व प्राइवेट तालाबों में मछली उत्प
तालाब बचाएँ - लौट आएगी सरस्वती
Posted on 04 Feb, 2017 11:13 AM
नदी संस्कृति के मामले में भारत कभी सिरमौर था। संसार के किसी भी क्षेत्र की तुलना में सर्वाधिक नदियाँ हिमालय अधिष्ठाता शिव की जटाओं से निकलकर भारत के कोने-कोने को शस्य-श्यामला बनती रही हैं। तमाम नदियाँ करोड़ों लोगों की जीवन का सेतु और आजीविका का स्थायी स्रोत होने के साथ-साथ जैव विविधता, पर्यावरणीय और पारिस्थितिक सन्तुलन की मुख्य जीवनरेखा रही हैं।
ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी भी इनमें से एक थी। करीब पाँच हजार वर्ष पहले सरस्वती के विलुप्त होने के कारण चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन सरस्वती की याद दिलाने वाले इस पावन स्तोत्र को करोड़ों-करोड़ लोग आज भी गुनगुनाते हैं।
हजारों हेक्टेयर की जल जमाव वाली जमीन को बनाया उपजाऊ
Posted on 03 Feb, 2017 01:20 PMमखाने की खेती की विशेषता यह है कि इसकी लागत बहुत कम है। इसकी