डॉ. सेवा नन्दवाल

डॉ. सेवा नन्दवाल
जल संकट (Water Crisis)
Posted on 14 Aug, 2017 12:47 PM

आजादी के बाद के छः दशकों में निःसंदेह हमने बहुत विकास की गाथाएँ लिखी हैं, इसके विपरीत उसकी कीमत पर खोया भी बहुत कुछ है। यह किस तरह का विकास है कि हमारा जीवनदाता जल स्वयं संकट में पड़ गया है। जल ही नहीं हमारा राष्ट्रीय पशु ‘बाघ’ संकट में पड़ गया है।, हमारे पेड़, जंगल और पर्यावरण संकट में पड़ गए हैं और-तो-और हमारे जीवनमूल्य खतरे में पड़ गए हैं। कहीं-न-क
पानी अक्षय नहीं अमूल्य
Posted on 09 Aug, 2017 03:17 PM

भारत में वर्षा मौसमी होती है तथा कुल वार्षिक औसतन 1170 मि.मी. होती है वह भी केवल तीन महीने में। बरसात अपना पूरा कार्यक्रम 200 घंटे में निबटा लेती है और इसका आधा हिस्सा बीस से तीन घंटों में संपन्न हो जाता है। यही कारण है कि बारिश का बहुत सारा पानी व्यर्थ बह जाता है।
जल गुणवत्ता सुधार के लिये वेटलैंड तकनीक (Essay on Artificial-Constructed Wetlands and Water Quality Improvement in Hindi)
Posted on 06 Aug, 2017 04:31 PM

निरंतर बढ़ती जनसंख्या से पूरे विश्व में स्वच्छ पानी की भारी कमी महसूस की जा रही है और इससे निबटने के लिये वैज्ञानिक भी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस रस्साकशी में पानी बचाने, गंदे पानी को उपयोगी बनाने हेतु भी नई-नई तकनीक ईजाद की जा रही है। पिछले दिनों हुई अन्तरराष्ट्रीय जल संसद में वेटलैंड तकनीक की ओर ध्यान खींचा गया। प्राचीन होते हुए भी सबसे बेहतर
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