जैव विविधता

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August 2, 2022 The frequency and intensity of floods is on the rise in Assam spelling doom for fish biodiversity.
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जैविक विविधता का सिमटता दायरा
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जैव विविधता (Biodiversity)
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कड़ाके की सर्दी के शिकार हुए इटावा में बगुले
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जैव विविधता संरक्षण मंत्र : जीओ और जीने दो
Posted on 23 May, 2013 10:06 AM

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (22 मई) पर विशेष

Indian biodiversity
जैव संपदा रजिस्टर योजना के किंतु-परन्तु
Posted on 24 Oct, 2012 04:05 PM

जैव संपदा समृद्धि की दृष्टि से भारत दुनिया में 10वें नंबर पर है। दुनिया में मौजूदा कुल जैव संपदा का आठ फीसदी भार

Arun tiwari
जैव विविधता बनाए रखने की चुनौती
Posted on 09 Oct, 2012 05:00 PM

जैव विविधता पर 01 अक्टूबर से शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन 16 अक्टूबर को खत्म होगा। भारत के हैदराबाद के इंटरनेशनल कंवेशन सेंटर और इंटरनेशनल ट्रेड एक्जीविशन में चल रहा यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की दृष्टि से एक बड़ा आयोजन है। ‘कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज टू द कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीओपी 11)’ नाम से हो रहे इस कन्वेंशन में 150 देशों के पर्यावरण व वन मंत्री और विश्व बैंक, एडीबी जैसे संगठनों के अधिकारी भी भागीदारी करेंगे। जैव विविधता को बचाने के दृष्टिकोण से यह अनूठा सम्मेलन होगा, बता रहे हैं कुमार विजय।

दुनिया में 17 मेगा बायो डाइवर्सिटी हॉट स्पॉट हैं, जिनमें भारत भी है। हमारे देश में दुनिया की 12 फीसदी जैव विविधता है, लेकिन उस पर कितना काम हो पाया है, कितने वनस्पति और जीव के जीन की पहचान हो पाई है, यह एक अहम सवाल है। लोकलेखा समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यावरण और वन मंत्रालय 45,000 पौधों और 91,000 जानवरों की प्रजातियों की पहचान के बावजूद जैव विविधता के संरक्षण के मोर्चे पर विफल रहा है।आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में जैव विविधता पर पिछले एक अक्तूबर से शुरू हुआ सम्मेलन 19 अक्टूबर तक चलेगा। यह इस तरह का ग्यारहवां सम्मेलन है, जिसमें दुनिया के 193 देशों के लगभग 15,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस तरह का इतना बड़ा आयोजन सुबूत है कि जैव विविधता के संरक्षण और इसके टिकाऊ उपयोग के लिए इस वार्ता का कितना महत्व है। जैव विविधता के मामले में भारत एक समृद्ध राष्ट्र है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि देश में कृषि और पशुपालन, दोनों का काफी महत्व है। लेकिन दुर्भाग्य से यह विविधता अब बहुत तेजी से खत्म होती जा रही है।

जैवविविधता
मानव द्वारा निर्मित गतिविधियों ने की जंगलों की हालत गंभीर
जानिए कैसे मानविय जरूरतों को पूरा करने के लिए कभी ईंधन के नाम पर, कभी इमारतों के नाम पर, कभी खेती के नाम पर तो कभी आबादी के नाम पर, मानव बहुमूल्य जैव विविधता का तेज़ी से शोधन कर रहा है Posted on 09 Mar, 2024 01:50 PM

कभी ईंधन के नाम पर, कभी इमारतों के नाम पर, कभी खेती के नाम पर तो कभी आबादी के नाम पर, हमारे बहुमूल्य जंगलों का लगातार सफाया होता जा रहा है। कितनी गम्भीर है जंगलों की यह समस्या ? प्रस्तुत है एक विचारोत्तेजक सर्वेक्षण ।

बहुमूल्य जंगलों का लगातार सफाया
रोशनी पक्षियों के जीवन में अंधकार लाती है
जानिए कैसे भारत और दुनिया भर में पक्षियों की प्रजातियां और पक्षियों की संख्या तेज़ी से कम हो रही है | Know how bird species and bird numbers are rapidly declining in India and around the world Posted on 24 Jan, 2024 04:50 PM

भारत और दुनिया भर में पक्षियों की प्रजातियां और पक्षियों की संख्या तेज़ी से कम हो रही है। मानव गतिविधि जनित जलवायु परिवर्तन के अलावा, प्रदूषण, कीटनाशकों का उपयोग, सिमटते प्राकृतवास और शिकार इनकी विलुप्ति का कारण है। और अब इस बारे में भी जागरूकता काफी बढ़ रही है कि रात के समय किया जाने वाला कृत्रिम उजाला पक्षियों की कई प्रजातियों का बड़ा हत्यारा है।

तेज़ी से कम होती पक्षियों की संख्या
केंचुआ खाद परिचय एवं प्रकार | Vermicompost and its types
केंचुआ खाद क्या होता है ? उसके बारे में जानकारी प्राप्त करें | What is vermicompost? get information about it Posted on 29 Dec, 2023 03:53 PM

हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि भूमि में पाये जाने वाले केंचुए मनुष्य के लिए बहुउपयोगी होते हैं। मनुष्य के लिए इनका महत्व सर्वप्रथम सन् 1881 में विश्व विख्यात जीव वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने अपने 40 वर्षों के अध्ययन के बाद बताया। इसके बाद हुए अध्ययनों से केंचुओं की उपयोगिता उससे भी अधिक साबित हो चुकी है जितनी कि डार्विन ने कभी कल्पना की थी। भूमि में पाये जाने वाले केंचुए खेत में पड़े हुए पेड़ पौ

केंचुआ खाद परिचय एवं प्रकार
राजस्थान में थार मरुस्थल की जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की रिपोर्ट-2007 में पश्चिमी भारत में वैश्विक घटकों और जलवायु परिवर्तनों के प्रभाव का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अर्द्ध-शुष्क एवं उप-आर्द्र क्षेत्रों की तुलना में शुष्क क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन प्रारूप अधिक देखने को मिला है। पिछले डेढ़ दशक से थार मरुस्थल में तापमान में वृद्धि, वर्षा की मात्रा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता, नमी की मात्रा में वृद्धि और वायु पैटर्न में तेजी से बदलाव हुए है। ये बदलाव ग्लोबल वार्मिंग, खनन गतिविधियों में वृद्धि, नहरी सिंचाई में विस्तार औद्योगिकीकरण, भूमि उपयोग प्रारूप में परिवर्तन, परमाणु विस्फोट आदि कारणों से यहाँ देखने को मिल रहे है, जिसका प्रभाव घास आधारित मरूद्भिद पारिस्थितिकी तंत्र पर हुआ है। Posted on 07 Oct, 2023 01:51 PM

सार

भारतीय थार मरुस्थल विश्व का सबसे समृद्ध मरुस्थल है। इसका अधिकांश भाग पश्चिमी राजस्थान के अन्तर्गत आता है। शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क जलवायु के अनुभव के साथ यहाँ मरूद्भिद प्रकार का पारिस्थितिकी तंत्र अपने आप में विशिष्ट है। जैव विविधिता की दृष्टि से यह अत्यंत सम्पन्न प्रदेश है। वैश्विक और स्थानीय कारणों से थार मरुस्थल की जलवायु में परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।

थार मरुस्थल की जैव विविधता
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