![ठंड के चपेट में बगूले](http://farm3.staticflickr.com/2855/12045718556_d696283c32_o.jpg)
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में भर्थना इलाके के पाली गांव के पास स्थित बड़ी तादाद में बगुले कड़ाके की सर्दी के कारण बडी तादाद में मौत के शिकार हो गए हैं। पाली गांव के आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक एक अनुमान के अनुसार 50 के आसपास बगुलों की मौत हुई है। पाली गांव के अधेड शिवनाथ सिंह यादव का कहना है कि करीब 5 साल से गांव के आसपास के दो पीपल के पेड़ों पर बगुलों ने अपना आशियाना बना रखा है हालात तो यह बनी हुई है कि पीपल के पेड़ों पर कई सैकड़ों की तादात में घोसले बने हुए हैं बगुले के कोलाहाल से गांव वाले आनंदित होते भी रहते हैं लेकिन करीब 15 दिन से पड़ रही कड़ाके की सर्दी की जद में आने से एक-एक करके 50 के आसपास बगुलों की मौत हो चुकी है और इतने ही मरने के कगार पर नजर आ रहे हैं क्योंकि सर्दी के असर ने बगुलों को चलने फिरने लायक भी नही छोड़ा है।
![ठंड के चपेट में बगूले](http://farm6.staticflickr.com/5518/12045160483_106b42cb7f_o.jpg)
इसी गांव के अशोक कुमार का कहना है कि बगुलों के मरने की लगातार खबरें प्रशासनिक और वन विभाग के अफसरों को दी जा रही है लेकिन अभी तक मरते हुए बगुलों को देखने के लिए किसी ने भी आने की जरूरत नही समझी। पर्यावरणीय दिशा में काम कर रहे संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के सचिव डॉ.राजीव चौहान का कहना है कि मौसमी असंतुलन जब होता है तो इस तरह के वाक़या आम हो जाता है लेकिन पाली गांव में बगुलों की मौत का मामला कुछ अलग तरह का समझ में आ रहा है क्योंकि सर्दी को बर्दाश्त करने की क्षमता इंसानों के बजाए पक्षियों में कही अधिक होती है इसीलिए बगुलों की हो रही मौत को कड़ाके की सर्दी से जोड़ पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है।
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