सफलता की कहानियां और केस स्टडी

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आदिवासी जानते हैं पानी की समस्या से निपटना !
Posted on 14 Nov, 2009 09:31 AM स्वजलधारा कार्यक्रम में जनभागीदारी के उदाहरण गुजरात में अनूठे रहे हैं। स्वजलधारा कार्यक्रम के तहत गुजरात सरकार का आर्थिक योगदान 224.60 करोड़ रुपयों का है। जब की जन भागीदारी से राज्य में कुल 45.0967 करोड़ रुपये एकत्र किये गये हैं। गुजरात के वलसाड जिल्ले का धरमपुर तालुका के आदिवासी इलाके के एक गांव के लोगों को सरकार के स्वजलधारा कार्यक्रम का पता चला और उन्होंने ठान लिया कि कुछ कर गुजरना है . . .
जब शौच से उपजे सोना
Posted on 28 Oct, 2009 11:46 AM जब कोई युवा पढ़ाई- लिखाई करके शहरों की ओर भागने की बजाय अपनी शिक्षा और नई सोच का उपयोग अपने गाँव, ज़मीन, अपने खेतों में करने लगे तो बदलाव की एक नई कहानी लिखने लगता है, ऐसे युवा यदि सरकार और संस्थाओं से सहयोग पा जाएं तो निश्चित ही क्रान्तिकारी परिवर्तन ला देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है ‘जब शौच से उपजे सोना’ की और कहानी के नायक हैं युवा किसान श्याम मोहन त्यागी......
श्याम मोहन त्यागी का इकोसैन
सूझबूझ का पानी
Posted on 02 Oct, 2009 09:54 AM
दोनों गांववालों ने अपने-अपने गांव के प्रतिनिधि चुनकर एक समिति बनाई जो इस का हल खोज सके। गांवों के प्रतिनिधि नारायणी माता गांव स्थित ‘चेतना’ संस्था के पास अपनी समस्या लेकर गए। यह संस्था कासा से मिलने वाली आर्थिक सहायता से आसपास के क्षेत्र में सामाजिक आर्थिक विकास के कार्य करती है। संस्था के सचिव दीन दयाल व्यास के मुताबिक वर्ष 99 उनके कार्यकत्र्ताओं ने दोनो गांव के लोगों के साथ बैठकें की और समस्या के हल पर विचार किया गया। आखिर नाले पर छोटा सा पक्का बांध बनाने पर सहमति हुई।
14 वर्षीय विनीत की बेमिसाल पहल
Posted on 02 Oct, 2009 09:17 AM
जहां देश में सूचना कानून के बारे में जानने वाले लोगों की संख्या एकदम सीमित है, वहीं दूसरी तरफ़ विनीत पटेल जैसे बच्चे भी हैं जिन्होंने सूचना के अधिकार को इस्तेमाल कर अधिकारियों के कान खडे़ कर दिए हैं। गुजरात के मेहसाना के विसनगर में रहने वाला विनीत सहजानंद सेकेन्डरी स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता है। अपने पिता से सूचना के अधिकार के बारे में जानने और चाचा की मदद के बाद विनीत से सूचना के अधिकार का इ
वेल्लौर, तमिलनाडु में शून्य अपशिष्ट प्रबंधन
Posted on 01 Oct, 2009 09:20 AM शहरीकरण से संपन्नता तो आती है, पर यह अपने साथ पर्यावरणीय समस्यांए भी लाता है, यथा- प्रदूषण, ठोस अपशिष्ट का जमाव और सफाई एवं स्वच्छता का अभाव। टेट्रापैक, प्लास्टिक के प्लेट, कप और थैले, टिन-कनस्तर और ऐसी ही फेंक दी जाने वाली चीजों का उपयोग पिछले दशक में काफी बढ़ा है। इसी तरह जैविक अपशिष्ट में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों की तरह ठोस अपशिष्ट का सृजन बढ़ रहा है। शहरी
किसान 100 तालाब 110
Posted on 27 Sep, 2009 12:12 PM
यह मिसाल प्रदेश के देवास जिले के धतूरिया गांव के किसानों ने पेश की है। यहां छोटे-बड़े करीब सौ किसान हैं। इन सबने पानीदार बनने की धुन में अपनी निजी जमीन पर बरसात के पहले तक 110 तालाब बना लिए हैं। इस काम को पूरा होने में दो साल लग गए।भोपाल। मध्य प्रदेश के देवास जिले की एक पंचायत के किसानों ने निजी जमीन पर 110 तालाब बनाकर एक अनूठा कीर्तिमान बनाया है। पंचायत के सौ किसानों में से कुछ ने तो दो या अधिक तालाब भी बना दिए हैं। इन्हें उम्मीद है कि जलसंकट और पानी के खारेपन से निजात मिलने के साथ खेती में अच्छी उपज भी मिलेगी। इनका उत्साह देख केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड ने पंचायत को पुरस्कृत कराने राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा है।

यह मिसाल प्रदेश के देवास जिले के धतूरिया गांव के किसानों ने पेश की है। यहां छोटे-बड़े करीब सौ किसान हैं।
इटारसी में उपेक्षित तालाब की गंदगी हटाने, जुड़े सैकडों हाथ
Posted on 27 Sep, 2009 11:30 AM

इटारसी. एसडीएम सत्येंद्र अग्रवाल की पहल पर नपा के सहयोग से पिछले 25 वर्षों से उपेक्षित इटारसी का एकमात्र तालाब का आज जनभागीदारी से श्रमदान कर सफाई अभियान प्रारंभ हुआ.भोपाल के ‘अपना सरोवर अपनी धरोहर अभियान बडा ताल संरक्षण’ की तर्ज पर ही आज शहरवासी श्रमदान करने तालाब पर एकत्र हुए.
निजामुद्दीन की बावड़ी का हुआ जीर्णोद्धार
Posted on 03 Sep, 2009 10:17 AM

एक जमाना था जब दिल्ली बावड़ियों का शहर था। हालाँकि अब चारों ओर उगे कंक्रीट के जगलों को देखकर इस बात का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। ऐतिहासिक महत्व की इन बावड़ियों में महाराजा अग्रसेन की बावड़ी, हजरत निजामुद्दीन द्वारा बनाई गई बावड़ी, महरौली स्थित बावड़ी शामिल हैं।
लिख रहे हैं लेखनी अकाल के कपाल पर
Posted on 20 Aug, 2009 03:16 PM
लापोड़िया गांव, जयपुर से 80 किलोमीटर दूर है। ‘ग्राम विकास नवयुवक मंडल’ के लक्ष्मणसिंह और उनके साथियों ने चौका व्यवस्था को यही तैयार किया था। इसके बाद इन्होंने जयपुर से दिल्ली तक बहुत से सम्मान पाए। लेकिन दूसरा पहलू यह है कि इस इलाके में सैकड़ों गांवों के अनगिनत समूह आज यहां से बनाए रास्ते से गुजरकर सालभर का चारा-पानी बचाना चाहते हैं।
पसीना बहाकर बूंदों की मनुहार
Posted on 26 Jul, 2009 07:48 AM

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के मार्गदर्शन में अभियान की शुरूआत 16 फरवरी को हुई थी। अभियान को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भू-जल संवर्द्धन पुरस्कार 2008 के लिए चुना है। इंदौर में भी शहरी क्षेत्र के 107 कुएं, बावडियों की चिंता की जा रही है और हुक्माखेडी में चल रहा अभियान इसकी महत्वपूर्ण कडी है।इंदौर। 'अमृतम जलम्' के तहत हुक्माखेडी (बिजलपुर) में चल रहे तालाब गहरीकरण में रविवार को सैकडों लोग जुडे। विश्व जल दिवस पर प्यासी धरती को तरबतर करने के लिए कई भागीरथों ने पसीना बहाकर बूंदों की मनुहार की। इनमें उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक जीतू जिराती, बडी संख्या में ग्र्रामीणों के साथ शहरी नागरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व खेल संगठनों के नुमाइंदे भी शामिल हुए।

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के मार्गदर्शन में अभियान की शुरूआत 16 फरवरी को हुई थी। अभियान को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भू-जल संवर्द्धन पुरस्कार 2008 के लिए चुना है। इंदौर में भी शहरी क्षेत्र के 107 कुएं, बावडियों की चिंता की जा रही है और हुक्माखेडी में चल रहा अभियान इसकी महत्वपूर्ण कडी है।

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