सफलता की कहानियां और केस स्टडी

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पानी है..पनाह चाहिए
Posted on 12 Dec, 2008 07:20 AM भास्कर न्यूज/इंदौर। तालाबों के गहरीकरण के लिए यह समय मुनासिब है, यदि समय रहते इनकी गाद निकालकर ढांचे में जरूरी बदलाव कर दिए जाए तो शहर से पानी की किल्लत हमेशा के लिए दूर हो सकती है। शहर में चार प्रमुख तालाब हैं, जिनमें से केवल यशवंत सागर ही पानी की 15 फीसदी जरूरत पूरी करता है।
खोल दें बूंदों का खजाना
Posted on 10 Dec, 2008 07:07 AM

भास्कर न्यूज, इंदौर। पांच लोगों के औसत परिवार को प्रतिदिन १२0 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। शहर में मौजूद पारंपरिक जल स्रोतों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया जाए तो निगम द्वारा आने वाले समय में तीन दिनों में पानी देने की घोषणा रद्द हो सकती है। जरूरत है सिर्फ इनकी जलस्रोतों की सफाई के बाद इन्हें निगम की वाटर सप्लाई से जोड़ने की।

well
पहाड़ के माथे पर पानी से तिलक
Posted on 13 Oct, 2008 10:05 AM

महालिंगा नाईक पोथी की इकाई-दहाई नहीं जानते लेकिन उन्हें पता है कि बूंदों की इकाई-दहाई सैकड़ा हजार और फिर लाख-करोड़ में कैसे बदल जाती है।

58 साल के अमई महालिंगा नाईक कभी स्कूल नहीं गये। उनकी शिक्षा दीक्षा और समझ खेतों में रहते हुए ही विकसित हुई। इसलिए वर्तमान शिक्षा प्रणाली के वे घोषित निरक्षर हैं। लेकिन दक्षिण कन्नडा जिले के अडयानडका में पहाड़ी पर 2 एकड़ की जमीन पर जब कोई उनके पानी के काम को देखता है तो

दक्षिण कन्नडा के किसान ए महालिंगा नाईक
जिन ढूंढा तिन पाइंया
Posted on 19 Jan, 2003 01:27 PM पानी बचाने, पानी के संरक्षण के छोटे-बड़े प्रयास झारखंड के सौकड़ों ग
सूखे को पटकता पाटा
Posted on 01 Jan, 1970 05:30 AM

महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित जिलों में सब्जियाँ उगाकर महिलाएं सूखे से लड़ने का एक अनूठा प्रयोग चलाये हुए हैं। दशकों पहले के पाटा पद्धति को अपनाकर वे आज विदर्भ में सूखे को मात दे रही हैं। उत्तर भारत के लोग भी शायद भूले नहीं होंगे ‘बांड़ा’ को, आप जब भी जाइए, कुछ न कुछ मिल ही जाएगा। अपर्णा पल्लवी की एक रिपोर्ट

ललिताबाई अपने पाटा से सब्जी तोड़ती हुईं
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