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पुरा- बाढ़ अध्ययन की आकल्पन में उपयोगिता
वर्तमान युग संगणक युग माना जाता है। जलविज्ञान ने इसकी सहायता से पिछले कुछ दशकों में अच्छी प्रगति की है। पुरा - बाढ़ तकनीक के माध्यम से ऐसी बाढ़ जो सौ दौ सौ अथवा हजारों साल पहले कभी किसी नदी में आई थी उनके परिणाम काफी हद तक शुद्ध रूप से मापे जा सकते हैं। Posted on 07 Sep, 2023 10:17 AM

सामान्य अर्थों में बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसकी मानव चिरकाल से अनुभूति करता आ रहा है और इसके मापन के तरह-तरह के वैज्ञानिक तरीके विकसित करने के प्रयास होते रहे हैं। वर्तमान युग संगणक युग माना जाता है। जलविज्ञान ने इसकी सहायता से पिछले कुछ दशकों में अच्छी प्रगति की है। पुरा - बाढ़ तकनीक के माध्यम से ऐसी बाढ़ जो सौ दौ सौ अथवा हजारों साल पहले कभी किसी नदी में आई थी उनके परिणाम काफी हद तक शुद्

पुरा- बाढ़
गंगा की पवित्रता एवं रोग निवारण क्षमता का वैज्ञानिक रहस्य(Scientific secret of Ganga's purity and disease-preventing ability)
आज भी लोग पवित्र गंगाजल के साथ देश विदेश का भ्रमण करते हैं क्योंकि यह पावन गंगाजल रोग निवारक विशेषता से परिपूर्ण है। गंगाजल में ऑक्सीजन सदैव उच्च मात्रा में घुला रहता है जिसकी वजह से गंगाजल दीर्घ समय तक रखने पर भी सड़ता नहीं है। इसके अतिरिक्त, गंगा प्रवाह के समय हिमालय पर्वत से अद्भुत खनिज लवण एवं अत्यंत लाभकारी औषधीय पौधों और जड़ी बूटियों की कुछ मात्रा गंगाजल में घुल जाती है। Posted on 04 Sep, 2023 01:14 PM

"नमामि गंगे तव पादपंकजं सुरासुरैर्वन्दितदिव्यरूपम। भुक्तिं च मुक्तिं च ददासि नित्यं भावानुसारेण सदा नराणाम " "हे गंगा माँ ! देवताओं और राक्षसों द्वारा वंदित आपके दिव्य चरण-कमलों को मैं नमन करता हूँ, जो मनुष्य को नित्य ही उसके भावानुसार भक्ति और मुक्ति प्रदान करते हैं।"

गंगा की रोग निवारण क्षमता का वैज्ञानिक रहस्य
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा में एक नई शुरुआत(A New Beginning in Renewable Energy in India)
ग्रिड से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा के अन्तर्गत विगत ढाई वर्षों के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा का 14.30 गीगावाट का क्षमता वर्धन हुआ है, जिसमें सौर ऊर्जा से 5.8 गीगावाट, पवन ऊर्जा से 7.04 गीगावाट, छोटी हाइड्रो ऊर्जा से 0.53 गीगावाट और जैव ऊर्जा से 0.933 गीगावाट ऊर्जा शामिल है। 31 अक्तूबर, 2016 की स्थिति के अनुसार देश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से कुल मिलाकर 8727.62 मेगावाट से भी अधिक की क्षमता संस्थापित हुई है। Posted on 04 Sep, 2023 12:29 PM

नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र राष्ट्र को ग्रिड पावर मुहैया कराने में बढ़-चढ़कर भूमिका निभा रहा है। इसकी कुल क्षमता लगभग 8,000 मेगावाट तक पहुंच गयी है और भारत ने केवल पवन ऊर्जा से 5,300 मेगावाट से अधिक की क्षमता हासिल करके विश्व में पवन ऊर्जा में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया है। भारत द्वारा विश्व का सबसे बड़ा नवीकरणीय क्षमता विस्तार कार्यक्रम आरंभ किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा पर अ

नवीकरणीय ऊर्जा
पर्यावरण से सम्बंधित गंभीर समस्याएं एवं चुनौतियाँ (Serious problems and challenges related to environment in Hindi)
प्रकृति के सजृनात्मक एवं ममतामयी रूप के चलते ही जीवन अपने सब रंग रूपों में इस धरती पर बिखरा पड़ा है। लेकिन इसी जीवनदायनी प्रकृति का एक डरावना चेहरा भी है जिसे हम आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं के नाम से जानते है। प्राकृतिक आपदाएं वह शक्तियां है जिनके सामने मानव पूरी तरह बेबस है। भूकंप, ज्वालामुखीय विस्फोट, बाढ़, चक्रवात, सुनामी आदि प्रकृति की ऐसी ही विध्वंसकारी ताकतें हैं जो जीवन के नामोंनिशान को पूरी तरह मिटाने में सक्षम हैं। Posted on 29 Aug, 2023 05:04 PM

वर्तमान में मानव को प्रदूषण संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं में जलवायु परिवर्तन की भी अहम भूमिका है। मनुष्य को तरह-तरह के संकेतों से प्रकृति समझा रही है कि धरती का तापमान बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएं भी प्रकृति के ऐसे ही संकेतों का रूप है जिनके द्वारा हम समझ सकते हैं कि पृथ्वी की जलवायु में परिवर्तन हो रहा है।

झीनी होती ओजोन परत
स्वच्छ ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्या हैं (What are the main sources of Clean Energy in Hindi)
भावी पीढ़ियों के लिए इस ग्रह को बेहतर बनाए रखने के लिए हमें प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाकर जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना करना होगा। इसके लिए कार्बन की कम मात्रा उत्सर्जन करने वाले ईंधनों के राष्ट्रीय मानक तय करने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी करनी होगी। Posted on 29 Aug, 2023 02:06 PM

किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के मुख्य स्रोत रहे हैं। इसीलिए काफी मात्रा में जीवाश्म ईंधन का उपयोग होता रहा है। विश्व स्तर पर अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा की खपत होने से जीवाश्म ईंधनों का उपयोग बढ़ा है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के उत्पादन में जीवाश्म ईंधनों का योगदान 90 प्रतिशत है। जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड व अन्

नवीकरणीय ऊर्जा
प्रदूषण से प्रभावित होती जैव विविधता
जैव विविधता के कारण पृथ्वी जीवन के विविध रंगों को संजोए हुए है। यहां पाए जाने वाली लाखों तरह की वनस्पतियां पृथ्वी के प्राकृतिक सौंदर्य का एक अंग हैं। जहां पृथ्वी की वनस्पतियों में गुलाब जैसे सुंदर फूलदार पौधे, नागफनी जैसे रेगिस्तानी पौधे, सुगंधित चन्दन और वट जैसे विशालकाय वृक्ष शामिल हैं वहीं यहां जीव-जंतुओं की दुनिया भी अद्भुत विविधता लिए हुए है। Posted on 28 Aug, 2023 05:22 PM

पृथ्वी पर जीवन विविध रूपों में उपस्थित है। यहां सूक्ष्मजीवों से लेकर विशालकाय हाथी एवं व्हेल जैसे जीव विद्यमान है। जीवन की यही विविधता जैव विविधता कहलाती है। जैव विविधता में पृथ्वी पर पाए जाने वाले समस्त जीव-जंतु, वनस्पतियां और सूक्ष्मजीव शामिल हैं। जैव विविधता के कारण पृथ्वी जीवन के विविध रंगों को संजोए हुए है। यहां पाए जाने वाली लाखों तरह की वनस्पतियां पृथ्वी के प्राकृतिक सौंदर्य का एक अंग है

पृथ्वी के प्राकृतिक सौंदर्य
सिंचाई जल प्रबंधन हेतु बदलना होगा खेती-बाड़ी का तौर-तरीका
धरती पर मौजूद कुल जल का मात्र 2.5 प्रतिशत स्वच्छ या मीठा जल है लेकिन इस स्वच्छ या मीठे जल का 68.7 प्रतिशत भाग ग्लेशियर के रूप में अथवा बर्फ के रूप में ध्रुवों पर जमा हुआ है। शेष जल में 30.1 प्रतिशत भूमिगत और सतह पर नदी, नालों, तालाबों और झीलों आदि में विद्यमान है जो जल जमीन के ऊपर है उसका 67.4 प्रतिशत भाग झीलों में और मात्र 1.6 प्रतिशत भाग नदियों में विद्यमान है।
Posted on 23 Aug, 2023 02:58 PM

देश में बढ़ते पेयजल संकट का एक कारण सिंचाई जल का कुप्रबंधन भी है। बात को स्पष्ट करने के लिए आइये पहले वैश्विक स्तर पर उपलब्ध जल पर चर्चा कर लें। हमारी धरती पर उपलब्ध सम्पूर्ण जल का 97.5 प्रतिशत भाग महासागरों में खारे जल के रूप में मौजूद है। यह जल पीने के लिए खेती के लिए अथवा उद्योगों आदि के लिए उपयोगी नहीं है। इसका पर्यावरणीय महत्व अवश्य है। धरती पर मौजूद कुल जल का मात्र 2.5 प्रतिशत स्वच्छ या म

खेती-बाड़ी का तौर-तरीका
सिल्पालीन अस्तरीकृत जलकुंड - कोंकण के कृषकों के लिए वरदान
महाराष्ट्र राज्य के कोंकण विभाग की भू-भौतिक अवस्था राज्य तथा देश के अन्य भागों से अलग है। यहाँ जून से अक्तूबर तक औसतन 3000 से 3500 से मिली मीटर वर्षा होती है, किन्तु फिर भी गर्मियों में पीने के पानी की समस्या बनी रहती है Posted on 22 Aug, 2023 03:13 PM

सारांश

महाराष्ट्र राज्य के पश्चिम किनारे को कोंकण तट के नाम से जाना जाता है। कोंकण तट की उत्तर-दक्षिण लम्बाई लगभग 750 किमी.

सिल्पालीन अस्तरीकृत जलकुंड - कोंकण के कृषकों के लिए वरदान,PC-Wikipedia
जल प्रबंधन एवं जबलपुर के तालों का समीक्षात्मक अध्ययन (Study of water management and Ponds of Jabalpur)
आधुनिक समय में तकनीकी विकास के कारण जल संसाधनों का प्रचुर प्रयोग सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, मत्स्य पालन, जल परिवहन तथा उद्योग आदि के लिए किया जा रहा है, और जल की खपत मानव की प्रगतिशीलता का द्योतक बन गयी है। भूमिगत जल स्तर नीचे जाने से जल में लवणीयता भी बढ़ गयी है, क्योंकि भूमि के नीचे का मीठा पानी कम हो जाने से उसमें लवणयुक्त पानी मिलता जा रहा है। तटीय क्षेत्रों में भूमिगत जल स्रोतों में मीठा पानी कम हो जाने से समुद्र का खारा पानी रिसकर इन स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है।
Posted on 21 Aug, 2023 06:06 PM

मानव को जीवित रहने के लिए वायु के बाद दूसरा स्थान जल का ही है। इसके अतिरिक्त, कोई भी आर्थिक कार्य ऐसा नहीं है, जो जल के बिना संभव हो। वस्तुतः जल के बिना जीवन ही संभव नहीं है। सभ्यता के आदिकाल से ही मानव जल का उपयोग अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु करता रहा है। यह आवश्यकता प्रगति के साथ-साथ तेजी से बढ़ती जा रही है। आधुनिक समय में तकनीकी विकास के कारण जल संसाधनों का प्रचुर प्रयोग सिंचाई, जल व

जबलपुर के ताल,PC-Wikipedia
भारत में जल उपलब्धता एवं जल गुणवत्ता (Essay on Water Availability and Water Quality in India)
जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है।प्रकृति ने जल का एक चक्र बनाया है, इसमें जल बिना खर्च हुए घूमता रहता है, समुद्र से जल वाष्पीकरण, वर्षा फिर नदियों में बहना धरती में भूजल के रूप में इकट्ठा होना फिर बहकर समुद्र में मिलना ये चक्र चलता रहता है लेकिन यदि मानव इसमें अपना हस्तक्षेप करेगा तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। Posted on 19 Aug, 2023 04:05 PM

ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तो सर्वप्रथम जल तत्व को बनाया। वेद के अनुसार जल दो शब्द 'ज' और 'ल' के मेल से बना है। 'ज' से जन्म और 'ल' से लय हो जाना अर्थात जन्म और मरण दोनों जल में सन्निहित हैं। जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। "आपो हिष्ठा मयोभुवः " के द्वारा भी जल के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। कवि रहीम ने जल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लि

प्राकृतिक जल, PC-Wikipedia
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