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शोध पत्र
अब प्रकृति का कर्ज चुकाने की बारी है
Posted on 23 Mar, 2024 04:45 PMप्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखने के लिए हमें जल संरक्षण व पौधारोपण पर विशेष ध्यान देना होगा। यह कार्य हर आम व खास आदमी कर सकता है। जल संरक्षण एक सरल प्रक्रिया है...
प्रकृति से मुंह मोड़ने का नतीजा
Posted on 23 Mar, 2024 02:30 PMपिछले दस-पन्द्रह सालों में ही पर्यावरण का हल्ला अखबारों में हुआ है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण पर सेमिनार होने लगे हैं। बड़े-बड़े प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं। स्कूलों, कालेजों विश्वविद्यालयों में पर्यावरण विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिताएं होती हैं। अकाशवाणी व दूरदर्शन पर संवाद होते हैं। इन सबसे ऐसा लगता है जैसे पर्यावरण को लेकर सभी चिन्तित हैं। लेकिन हमारे देश में तीन सौ के आस-पास विश्वविद्य
कौन निकालेगा पर्यावरण प्रदूषण के चक्रव्यूह से
Posted on 23 Mar, 2024 02:06 PMपर्यावरण प्रदूषण स्वयं मनुष्य की पैदा की हुई समस्या है। प्रारम्भ में पृथ्वी घने वनों से भरी हुई थी, लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ही मनुष्य ने अपनी आवश्यकता के अनुसार बसाहट, खेती-बाड़ी आदि के लिए वनों की कटाई शरू की। औद्योगिकीकरण के दौर में तो पर्यावरण को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया। प्राकृतिक संसाधनों का न केवल पूरी मनमानी के साथ दोहन किया गया बल्कि जल और वायु प्रदूषण भी शुरू हो गया। कारखानों से नि
वैज्ञानिक वन-प्रबंध की विडम्बना
Posted on 09 Mar, 2024 04:21 PMभारत में प्राकृतिक वनों के विनाश के लिए पिछले सवा सौ वर्षों का वैज्ञानिक वन-प्रबन्ध उत्तरदायी है, जो अंग्रेजों की देन है। अपनी व्यापारिक दृष्टि के साथ जब भारत का राज ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथों में आया, तो उन्होंने खोज-खोजकर व्यापारिक प्रयोजन में आने वाली वृक्ष प्रजातियों पर प्रहार किया। सबसे पहला प्रहार मालाबार के सागीन वनों पर सन् 1800 के आस-पास जहाज बनाने के लिए हुआ। उसके बाद रेलवे स्लीपरों
बाढ़ और सूखा वन-विनाश के दो पहलू
Posted on 09 Mar, 2024 03:41 PMआज आधुनिकता की अन्धी सड़क और बढ़ती आबादी के अन्धे स्वार्थ ने पेड़ों का पीछा कर रही है। मूक और अचल जंगल भाग नहीं सकते। मनुष्यों की क्रूरता के कारण वे नष्ट हो रहे हैं। रोज लाखों-करोड़ों वृक्षों का जीवन समाप्त कर देता है मनुष्य ! पेड़ प्रतिशोध नहीं लेते, किन्तु प्रकृति का अदृश्य सन्तुलन चक्र वन-विनाश के भावी परिणामों का हल्का संकेत तो देता ही है-प्रलयकारी बाढ़ों और भयावह सूखे के रूप में।
नैनीताल:नलों से घरों में पहुँचा पानी
Posted on 05 Mar, 2024 01:40 PM1899 की शुरूआत में नैनीताल वाटर वर्क्स का काम शुरु हुआ। अप्रैल 1899 में पानी का पंप हाउस काम करने लग गया। इसके साथ ही नलों द्वारा घरों में पानी पहुँचने की शुरुआत हो गई। पंप हाउस में कई स्रोतों से पानी लिया जाता था। भाप से संचालित पंपों द्वारा नगर की ऊँची पहाड़ियों में बनी विशालकाय टंकियों तक पानी पहुँचाया जाता था। टंकियों से प्राकृतिक बहाव के जरिये नलों से घरों तक पानी पहुँचता था। भाप संचालित प
नैनीताल के विकास का इतिहास
Posted on 04 Mar, 2024 04:40 PM1890 में नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन' बनी। पलीडवुड विलियम्स इसके अध्यक्ष बने। एसोसिएशन ने नैनीताल के विकास में चेतन्य एवं प्रमा हस्तक्षेप किया। नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन की सक्रिय पहल से तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और नगर पालिका कमेटी को यहाँ की ज्वलंत समस्याओं से निपटने और नैनीताल के विकास को गति देने की दिशा में जरूरी कदम उठाने पर बाध्य होना पड़ा था। एसोसिएशन की 18 अक्टूबर, 1890 को पहली बैठक
प्राचीन प्रबंधन की प्रणाली पर अब वर्तमान में मोहर लगी
Posted on 03 Feb, 2024 02:39 PMपिछले कुछ दिनों में दो समाचारों ने मुझे अपने वश में कर लिया है। पहला समाचार फिल्म PS-1 का एक प्रचार वीडियो है, जिसमें मुख्य अभिनेता, चियान विक्रम, लगभग एक दिव्य राजा के शानदार कामों पर प्रकाश डालते हैं। दूसरा समाचार तमिलनाडु के उदयलुर में एक आयताकार शिव लिंगम द्वारा चिह्नित एक गैर-वर्णित समाधि के बारे में है। जल शक्ति मंत्री होने के नाते, मैं इस राजा का पानी के साथ संबंध से इस तरह प्रभावित हुआ
गर्माती धरती पर पक्षियों के पैर लंबे होने की संभावना
Posted on 25 Jan, 2024 01:34 PMपक्षियों के पंख उनके शरीर की ऊष्मा को बिखरने से रोकते हैं जिससे वे गर्म रहते हैं। चोंच उन्हें ठंडा रखती है, जब शरीर बहुत अधिक गर्म हो जाता है तो चोंच से ही ऊष्मा बाहर निकालती है। जब ज़्यादा संवेदी ताप नियंत्रक की ज़रूरत होती है, तो वे अपनी टांगों से काम लेते हैं।
रोशनी पक्षियों के जीवन में अंधकार लाती है
Posted on 24 Jan, 2024 04:50 PMभारत और दुनिया भर में पक्षियों की प्रजातियां और पक्षियों की संख्या तेज़ी से कम हो रही है। मानव गतिविधि जनित जलवायु परिवर्तन के अलावा, प्रदूषण, कीटनाशकों का उपयोग, सिमटते प्राकृतवास और शिकार इनकी विलुप्ति का कारण है। और अब इस बारे में भी जागरूकता काफी बढ़ रही है कि रात के समय किया जाने वाला कृत्रिम उजाला पक्षियों की कई प्रजातियों का बड़ा हत्यारा है।