नैनीताल के विकास का इतिहास

नैनीताल के विकास का इतिहास
नैनीताल के विकास का इतिहास

1890 में नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन' बनी। पलीडवुड विलियम्स इसके अध्यक्ष बने। एसोसिएशन ने नैनीताल के विकास में चेतन्य एवं प्रमा हस्तक्षेप किया। नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन की सक्रिय पहल से तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और नगर पालिका कमेटी को यहाँ की ज्वलंत समस्याओं से निपटने और नैनीताल के विकास को गति देने की दिशा में जरूरी कदम उठाने पर बाध्य होना पड़ा था। एसोसिएशन की 18 अक्टूबर, 1890 को पहली बैठक हुई। बैठक में नैनीताल को रेल और सड़क मार्ग से जोड़ने, पीने के पानी की आपूर्ति, सीवर लाइन बिछाने, मीट मार्केट बनाने और बलियानाले की सुरक्षा के प्रभावी उपाय किए जाने की माँग सहित अनेक प्रस्ताव पास हुए। इन प्रस्तावों को लेफ्टिनेंट गवर्नर को भेजा गया।

नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन में अधिकांश अवकाश प्राप्त वरिष्ठ अधिकारी और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता रखने वाले वरिष्ठ नागरिक थे। जिनमें जी.डी. बनयार्ड, रेव. एंगलबर्ट, जे. फ्रेजर, डब्ल्यू, बी. ग्रेसवी, टी. जॉली, जी. ई. कनॉक्स, डी. लेंकस्टर, एफ. ई. जी. मैथ्यूज, रेव. जे. एच. मेसमोर, एच. सी. पीटर, जे. रॉयनॉल्डस, कर्नल सी. एस. थॉमसन, डी. रथि, फ्लीडवुड विलियम्स, लाला भवानी दास, लाला गांगी साह, लाला जई लाल साह, लाला जीवाराम और लाला कृष्णा साह आदि शामिल थे। एसोसिएशन में शामिल सभी लोग नगर पालिका कमेटी में 1,01,850 रुपये किराये के करदाता थे। इनमें अकेले एफ. ई. जी. मैथ्यूज का कर निर्धारण 50,000 रुपये था।

नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन को शिकायत थी कि वे लोग ही नगर पालिका को सबसे अधिक कर देते हैं और उन्हीं के करों से नगर पालिका कमेटी चलती है। पर नगर के विकास में उनके अनुभव, ज्ञान और बौद्धिक सामर्थ्य का उपयोग नहीं हो रहा है। जबकि वे नगर के विकास की खातिर नगर पालिका को निःशुल्क तकनीकी जानकारियां उपलब्ध कराने के इच्छुक हैं। पर नगर पालिका उनके ज्ञान का लाभ नहीं उठाना चाहती है। इसलिए उन्होंने नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन के माध्यम से नगर के विकास में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है।

24 मई, 1890 को कर्नल सी. एस. थॉमसन ने भाप से चलने वाले रेल इंजन का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा। 11 अक्टूबर, 1890 को तत्कालीन कुमाऊँ कमिश्नर कर्नल जी.ई. एरस्काईन ने कर्नल थॉमसन को पत्र भेजा। पत्र में कहागया कि फिलहाल  काठगोदाम से नैनीताल की  रेलवे  की योजना  के लिए सरकार से आर्थिक मदद मिलना संभव नहीं है।

15  जुलाई  1890 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविसेन्स और अवध की सरकार द्वारा शासनादेश संख्या सी 1835 (बीआर ) जारी किया गया इस शासनादेश द्वारा नैनीताल में भूकंप और भरी वर्षा में भू-धंसाव, बदलावों,हलचलों दर्रोंतथा पत्थरों के गिरने आदि गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए आब्जर्वेशन पिलर बनाए जाने के आदेश दिए गए। जिला इंजीनियर नगर में बने आब्जर्वेशन पिलरों की वार्षिक रिपोर्ट सरकार को भेजते थे। नैनीताल में वर्षा और तालाब के पानी के निकास का भी विस्तृत वार्षिक रिकार्ड रखा जाता था।

1 नवंबर, 1890 को नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन ने फ्लीडवुड विलियम्स की अध्यक्षता में फिर बैठक की। इस बैठक में जी.डी. बनयार्ड, एफ.ई.जी. मैथ्यूज, डी लेकस्टर और जे. रॉयनॉल्ड्स ने भाग लिया। बैठक में पाँच प्रस्ताव पास हुए। कहा गया कि आजकल नैनीताल में रेलवे, पानी की सप्लाई, सीवरेज, राजभवन से चर्च तक नई सड़क और बलियानाले की विषमताओं से निपटने के लिए योजनाओं की चर्चा चल रही हैं। कश्मीर में रेलवे की योजना मंजूर हो गई है, पर नैनीताल प्रतीक्षा कर रहा है। एसोसिएशन ने कमेटी के सदस्यों के कामकाज के तरीके और उनकी जानकारियों पर भी कई सवाल उठाए। बैठक में नगर पालिका कमेटी से कार्ट रोड का फौरन पुनर्निर्माण कराए जाने की माँग की गई। नगर पालिका को सुझाव दिया गया कि कमेटी दो या दो से अधिक मकानों के पास मुख्य या ब्रांच नाले बनाए। इन नालों की निर्माण लागत भवन स्वामियों से ली जाये । प्रत्येक भवन स्वामी अपने मकान / जमीन के नालों को इन नालों से जोड़ें। एसोसिएशन ने नैनीताल के व्यापक हित में नगर पालिका कमेटी को तकनीकी परामर्श भी दिया।

10 नवंबर, 1890 को नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष फ्लीडवुड विलियम्स ने नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के पी. डब्ल्यू. डी. सचिव को नैनीताल की समस्याओं को लेकर एक लंबा पत्र भेजा। पत्र में शिकायत की गई कि नैनीताल का मैदानी क्षेत्रों से संपर्क मार्ग नहीं बन सका है। काठगोदाम से नैनीताल रेलवे योजना पर अमल नहीं हुआ है। जबकि बिजली संचालित रेलवे योजना का सर्वे 1889 में हो चुका है। कार्ट रोड की हालत खराब है। नैनीताल में पेयजल आपूर्ति योजना अधर में लटकी है। पत्र में कहा गया कि नैनीताल में साफ-सफाई और स्वच्छता को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। नैनीताल आने-जाने के लिए कुली और झम्पानी की कमी दिखाई दे रही है। मैदानी क्षेत्रों में  में एक रुपये में चालीस सेर लकड़ी का कोयला मिलता है  जबकि नैनीताल में एक रुपये में 16 सेर कोयला मिल रहा है।

पत्र में कहा गया कि हम लोग नैनीताल में संपत्तियों के स्वामी है। इन सब अव्यवस्थाओ  के कारण हमारी संपत्तियों की कीमत गिर रही है। पत्र में सुझाव  दिया गया  कि अपर बाजार का धारा (पर्दाधारा) तालाब की सतह से 60 फीट ऊपर है। इससे मल्लीताल बाजार में पेयजल की आपूर्ति की जा सकती है। बलियानाले में इतना पानी उपलब्ध है, उसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए क्यों नहीं किया जा रहा है? पत्र में पायनियर अखबार के 13 मई, 1890 के अंक में छपी एक खबर के हवाले से कहा गया कि अमेरिका में दो लाख 35 हजार लैंप तथा तीन लाख चमकते बिजली के बल्ब जल रहे है। 18 हजार बिजली की मोटरें तीन सौ बिजली संचालित ट्राम-वे और डेढ़ हजार मील बिजली संचालित रेल चल रही है। उत्तरी इंग्लैंड के सेंट जॉन्स कॉलीरी में पिछले तीन-चार सालों से 53 हार्स पावर के भाप के इंजन चल रहे हैं, जिनसे प्रति मिनट एक सौ बीस गेलन पानी नौ सौ फीट ऊँचाई तक पहुँचाया जा रहा है। पत्र में सवाल किया गया कि नॉर्थ वेस्टने प्राबिसेस के लिए एक महत्वपूर्ण नगर होने के बावजूद नैनीताल पीछे क्यों ? एसोसिएशन ने नगर पालिका कमेटी के सदस्यों की योग्यता और इंजीनियरों के तकनीकी ज्ञान पर सवाल उठाते हुए नगर पालिका अधिनियम-1883 के तहत निर्वाचित नगर पालिका कमेटी गठित करने की माँग की। एसोसिएशन ने कहा कि एक निश्चित समयावधि के भीतर नैनीताल नगर पालिका कमेटी को एक भल मनसी और शिष्ट नगर की ओर ले जाने की आवश्यकता है।

ब्रिटिश सरकार, प्रशासन और नगर पालिका कमेटी ने लंबे समय तक नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन' को तरजीह नहीं दी। एसोसिएशन द्वारा उठाए जा रहे नैनीताल के विकास से जुड़े बुनियादी सवालों को नजर अंदाज करने की कोशिशें की गई। पर एसोसिएशन ने हार नहीं मानी। एसोसिएशन से जुड़े लोग चुप नहीं बैठे, बल्कि बैठकों और ज्ञापनों के द्वारा अपनी माँगों को उठाते रहे। जब एसोसिएशन ने नगर पालिका कमेटी के सदस्यों की जानकारियों और पालिका के इंजीनियरों की तकनीकी दक्षता एवं ज्ञान पर ही गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए तो नगर पालिका कमेटी के चेयरमैन को स्वयं एसोसिएशन की बैठक में आकर अपना पक्ष रखने पर विवश होना पड़ा। नगर पालिका अध्यक्ष ने एसोसिएशन द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों पर सहमति व्यक्त की। एसोसिएशन के पेशेवराना सुझावों का स्वागत किया। उन्होंने एसोसिएशन को नगर के विकास के लिए चल रही योजनाओं की प्रगति और भविष्य के लिए प्रस्तादित योजनाओं से अवगत कराया

सफाई दी कि नगर पालिका कमेटी के इंजीनियर, प्रोविन्सेस के चीफ इंजीनियर के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही काम कर रहे हैं।

नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पलीवुड विलियम्स ने के जनवरी, 1891 को फिर सरकार को एक पत्र भेजा। पत्र में नैनीताल में साफ़-सफाई, पानी, सीवर, सड़क और रेल के मुद्दे उठाए गए थे। एसोसिएशन ने कहा कि नैनीताल में सरकारी अधिकारियों और सहयोगी कर्मचारियों के लिए इर्शत आवासीय सुविधाएं नहीं होने के कारण यहाँ क्षमता से अधिक भीड़ हो गई है। पत्र में कहा गया कि नैनीताल के बाजार में खतरनाक रूप से भीड़ बढ़ रही है। भारत में नैनीताल के अलावा कोई और हिल स्टेशन नहीं है. जहाँ अंग्रेज साल में छह महीने रह सके।

नैनीताल प्रोपराइटर्स एसोसिएशन की सक्रियता के चलते ही सरकार को नगर के बड़े मू-स्वामियों को नगर पालिका में प्रतिनिधित्व देने पर मजबूर होना पड़ा था। इसके लिए अलग से प्रोपराइटर्स वर्ग बनाया गया। एफ.ई.जी. मैथ्यूज पंपराईटर्स वर्ग से नगर पालिका में मनोनीत होने वाले संभवतः पहले सदस्य थे।

14 नवंबर, 1890 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध (इलाहाबाद) के संयुक्त सचिव टी. एच. विक्स ने कुमाऊँ कमिश्नर कर्नल जी. ई. एरस्काईन को कर्नल थॉमसन की काठगोदाम से नैनीताल रेलवे योजना के बारे में पत्र भेजा। पत्र में कहा कि प्रोविंसेस के लेफ्टिनेंट गवर्नर इस बारे में कई प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कर्नल थॉमसन की रेलवे योजना पर अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सवाल भी उठाए।

इसी साल नगर पालिका की स्वच्छता समिति ने नगर में साफ-सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के मद्देनजर गाय और घोड़ों पर कर लगाने का प्रस्ताव, स्वीकार कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट के साथ इसे नगर पालिका कमेटी के पास भेजा। स्वच्छता समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नगर के प्रत्येक बंगले से आउट हाउस एवं गाय और घोड़ा घर जुड़े हैं। सभी बंगलों में बड़े या छोटे बगीचे भी है। वर्तमान में नगर के बंगलों में 329 घोड़े और 189 गायें हैं। इनसे प्रतिमाह 259 मन मल और कूड़ा-करकट उत्पन्न हो रहा है। जानवरों का ज्यादातर मल मजदूरों और घोड़ों द्वारा बाहर फेंका जा रहा है। कुछ मल खाद के रूप में बगीचों में उपयोग हो रहा है या फिर जलाया जा रहा है। गाय और घोड़ों से उत्पन्न से  हो रहे  कूड़ा-करकट के निपटान के लिए प्रभावी व्यवस्था आवश्यक है। इसे खचरों द्वारा बाहर फेंका जाएगा। एक खच्चर का प्रतिमाह किराया 15 रुपये है।खच्चर हर बार दो मन बोझ  लेकर एक दिन में तीन चक्कर लगा सकता है यानि एक  खच्चर  एक दिन में छह गन कूड़ा बाहर फेंक सकता है। इस काम में प्रतिमा दो से तीन सी रुपये खर्च आने का अनुमान है। लिहाजा प्रति गाय और प्रति घोड़ा प्रति सीजन दो रुपये कर लगाना प्रस्तावित किया गया था। एक महीने से अधिक समय तक किसी बंगले में गाय और घोड़ा रखने पर यह कर देय था। नग धालिका कमेटी की एक दिसंबर, 1890 की बैठक में यह प्रस्ताव स्वीकार हो गया।

तीन दिसबर, 1890 को पी.डब्ल्यू.डी. के अधिशासी अभियन्ता, एसी होल्मस् ने राजभवन के बारे में अपनी रिपोर्ट दी। इसके बाद नैनीताल की पहाडियों की जाँच के लिए जनरल आर. स्ट्रेची, डॉक्टर बॉल और मिस्टर थियोबोल्ड की तीन सदस्यों की एक और कमेटी बनी। इसी साल भू-गर्भ विज्ञानी मिस्टर एस.सी. मिडिलमिस ने नैनीताल का भू-गर्भिक लेखा-जोखा प्रकाशित किया। 1890 में नैनीताल में सेलिंग शुरू हुई। इसी साल नैनीताल में हॉकी प्रतियोगिता शुरु हुई। 1890 में नैनीताल में पहली बार टोल टैक्स लगाया गया।

1890 तक शेर-का-डाड़ा पहाड़ी में 41 तथा बड़ा नाला सिस्टम में 16 छोटे-बड़े नाले बन चुके थे। तालाब से बाहर गिरने वाले नाला सिस्टम में केवल एक नाला बनकर तैयार हुआ था, जबकि अयारपाटा क्षेत्र में अभी नालों के निर्माण की शुरुआत नहीं हो पाई थी। दिसंबर 1890 में वर्तमान नगर पालिका कार्यालय भवन को कमाडिंग आफिसर वॉलिटियर राइफल कोर को दिया गया। तब इसे सेना के जूनियर रैंक के जवानों का क्लब एवं ड्रील हॉल बनाया गया। जबकि तल्लीताल स्थित सेना का भवन उन दिनों सेना के बड़े अंग्रेज अफसरों का क्लब था। पालिका मदन के पास पूर्व में स्थित घोड़ा स्टैण्ड में क्लब आने वाले सेना के जवानों के घोड़े बांधे जाते थे। 1890 में बलियानाला क्षेत्र में भू-स्खलन हुआ। इस इलाके की संवेदनशीलता के मद्देनजर 1891 में बलियानाला क्षेत्र को सहने के लिए असुरक्षित करार दे दिया गया। यह चेतावनी क्षेत्र के सभी भवन स्वामियों को दे दी गई।

इस बीच नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध की सरकार की जानकारी में आया कि बरेली से काठगोदाम तक रेल आ जाने से नैनीताल का बाहरी क्षेत्रों से संपर्क बढ़ गया है। मैदान से आने वाले लोगों तथा श्रमिकों द्वारा कॉलरा  तथा दूसरे संक्रामक रोग यहाँ भी पहुँचने लगे हैं। इस पर नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस की सरकार ने फरवरी, 1891 में नैनीताल में साफ-सफाई और पेयजल आपूर्ति योजना की देख-रेख  के लिए सरकार के खर्च पर मिस्टर बॉल्डविन लेथम को नैनीताल में तैनात कर दिया। मिस्टर बॉल्तविन लेथम, पेयजल आपूर्ति योजनाओं के श्रेष्ठतम इंजीनियर थे। भारत सरकार ने 1890 में बॉल्डविन लेथम को भारत में  पेयजल योजनाओं में तकनीकी परामर्श देने के लिए अनुबंधित किया था। मिस्टर बोल्डविन लेथम ने प्रोविंसेस के लेफ्टिनेंट गवर्नर के निर्देश पर नैनीताल में 52 हजार रुपये लागत से पानी की आपूर्ति की एक योजना बनाई। फिर मिस्टर मेरिलियर एवं मिस्टर एडवर्ड ने मल्लीताल बाजार के लिए 55,311 रुपये की पेयजल योजना बनाई थी। इसके बाद रामजीलाल ने भी 70 हजार रुपये की पेयजल योजना बनाई। जबकि मिस्टर जेनकिग्स ने 24,580 रुपये की योजना बनाई थी। बुधवार चार फरवरी, 1891 की नगर पालिका की बैठक के प्रस्ताव संख्या-दो द्वारा मिस्टर हॉजेज को नगर पालिका का पहला वैतनिक सचिव नियुक्त किया गया। तब तक नगर पालिका में अवैतनिक सचिव होते थे। इसी बैठक में पालिका के कर्मचारियों, कुलियों और झम्पानी वालों के लिए आवासीय कॉलोनी बनाने के बारे में एक उप समिति का भी गठन किया गया। तब नगर पालिका हेड क्लर्क को तीन कमरों के घर का 40 रुपये, मोहर्रिर को पाँच कमरों के घर का 80 रुपये और टैक्स कलेक्टर को तीन कमरों का 50 रुपये तथा दो कमरों का 25 रुपये सालाना किराया दे रही थी।

इसी बैठक में सफाई कर्मचारियों, कुलियों एवं झम्पानी वालों के लिए मकान बनाने का निर्णय भी लिया गया। इस वास्ते 45 हजार रुपये की योजना बनाई गई थी। साथ ही कमेटी ने भवन किराये पर मौजूदा टैक्स सात से बढ़ाकर साढ़े सात प्रतिशत करने और स्टेशन साइड टैक्स एक रुपये आठ आना से बढ़ाकर तीन रुपये प्रति एकड़ करने का भी प्रस्ताव पास कर दिया। इस बढ़ोत्तरी के लागू होने से कमेटी की सालाना आय में अच्छी-खासी वृद्धि होने का अनुमान था। बैठक में पालतू कुत्ते पर एक रुपये सालाना कर लगाने का भी निर्णय लिया गया। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और घरेलू अप्रशिक्षित नौकरों, चपरासी और सफाई कर्मचारियों पर भी एक रुपये सालाना टैक्स जारी रखने का फैसला लिया गया।

जब उस दौर में नगर पालिका अप्रशिक्षित कामगारों पर कर लगाती थी। इस कर का उद्देश्य पालिका की आय के साथ नगर में मौजूद समस्त कामगारों का ब्योरा रखना भी था। तब नगर पालिका में छह मनोनीत सदस्य और तीन पदेन सदस्य होते थे। मनोनीत पदेन सदस्यों में कुमाऊँ के वरिष्ठ सहायक आयुक्त, सहायक आयुक्त, नैनीताल और पी.डब्ल्यू.डी. के जिला इंजीनियर शामिल थे। वरिष्ठ सहायक आयुक्त कुमाऊँ, नगर पालिका कमेटी के पदेन अध्यक्ष और सहायक आयुक्त, नैनीताल पालिका के पदेन उपाध्यक्ष होते थे।

स्रोत-नैनीताल, एक धरोहर 

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