पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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आर्कटिक महासागर
Posted on 09 Aug, 2011 09:01 AM

पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित उत्तरीध्रुवीय महासागर या आर्कटिक महासागर, जिसका विस्तार अधिकतर आर्कटिक उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में है. विश्व के पांच प्रमुख समुद्री प्रभागों (पांच महासागरों) में से यह सबसे छोटा और उथला महासागर है.

दक्षिण अमेरिका
Posted on 09 Aug, 2011 08:41 AM दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है।[1] दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३० उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६० दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५० पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१० पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है।[2] इसके उत्तर में
उत्तर अमेरिका
Posted on 09 Aug, 2011 08:38 AM उत्तर अमेरिका (अंग्रेजी: North America; स्पेनी: América del Norte; फ़्रान्सीसी: Amérique du Nord) महाअमेरिका (उत्तर और दक्षिण अमेरिका संयुक रूप से) का उत्तरी महाद्वीप है, जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और पूर्णतः पश्चिमी गोलार्ध में आता है। उत्तर में यह आर्कटिक महासागर, पूर्व में उत्तरी अन्ध महासागर, दक्षिणपूर्व में कैरिबियाई सागर, और पश्चिम में उत्तरी प्रशान्त महासागर से घिरा हुआ है। उत
ऑस्ट्रेलिया
Posted on 09 Aug, 2011 08:33 AM ऑस्ट्रेलिया, सरकारी तौर पर ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल दक्षिणी गोलार्द्ध के महाद्वीप के अर्न्तगत एक देश है जो दुनिया का सबसे छोटा महाद्वीप भी है और दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप भी,[4] जिसमे तस्मानिया और कई अन्य द्वीप हिंद और प्रशांत महासागर में है.N4 ऑस्ट्रेलिया एकमात्र ऐसी जगह है जिसे एक ही साथ महाद्वीप, एक राष्ट्र और एक द्वीप माना जाता है.पड़ोसी देश उत्तर में इंडोनेशिया, पूर्वी तिमोर और पापुआ न्यू गिन
वरुणा-मोरवा: पानी नहीं रसायन का प्रवाह
Posted on 07 Aug, 2011 08:20 AM ज्ञानपुर (भदोही)। गंगा प्रदूषण किसी एक जिले, प्रदेश की नहीं वरन पूरे देश के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर अब तक करोड़ों रुपये फूंके जा चुके हैं लेकिन इन सबके बावजूद जनपद के नगरीय क्षेत्रों से निकलकर गंगा व अन्य नदियों में बहकर जाने वाले गंदे पानी को प्रदूषण मुक्त कर छोड़ने की कोई योजना नहीं बन पायी है। कोई ऐसे ट्रीटमेंट प्लांट की योजना में अवरोध तो दूर बल्कि यह
वरुणा तट पर शुद्ध हवा-पानी का संकट
Posted on 07 Aug, 2011 08:16 AM वाराणसी। रफ्तार टूटने के बाद गंगा में घटाव तेज हो गया है। चौबीस घंटे के दौरान जलस्तर में चार फुट की गिरावट दर्ज की गई। उधर, वरुणा की भी धारा शांत पड़ गई। पानी घटने के बाद दूसरी जगहों पर शरण लिए लोग बीवी-बच्चों के साथ अपने घरों को लौटने तो लगे लेकिन सीलन और बदबू से वहां बीमारी फैलने की आशंका है। दाने-दाने की तो मोहताजी हुई ही, शुद्ध पानी का टोटा पड़ जाने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुरुवार को नक्खी घा
आकाश एक ताल है
Posted on 01 Aug, 2011 09:01 AM आकाश एक ताल है
हम जहाँ भी हैं उसके
घाट पर हैं। अपने संकल्प-विकल्प को
तिलक देते हुए

आकाश एक ताल है
महाताल-
जिसकी गगन-गुफा से अजर रस झरता है
कबीर का
(योगी जिसे पीता है)

आकाश एक ताल है
सुबह-सुबह जिसके एक फूल से
उजाला फैलता है। और रात में
जिसमें असंख्य कुमुदिनी के फूल
खिलते हैं जो हमारी आँखों के तारे हैं।
क्योटो संधि पर अमल क्यों नहीं हो रहा?
Posted on 31 Jul, 2011 11:34 AM क्योटो संधि के तहत औद्योगिक देश ग्रीन हाउस गैसों से होने वाले प्रदूषण को ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

इसके अनुसार इन देशों के इन गैसों, विशेष तौर पर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को अगले दस साल में 5.2 प्रतिशत के स्तर से नीचे लाना है. इन गैसों को जलवायु के परिवर्तन के लिए दोषी माना जाता है.

अमरीका अड़ा

क्या है क्योटो संधि?
Posted on 31 Jul, 2011 11:22 AM पर्यावरण के संबंध में 1992 में एक समझौते के तहत कुछ मानदंड निर्धारित किए गए थे जिनके आधार पर 1997 में क्योटो संधि हुई.

फिर इस संधि के प्रावधानों में कुछ फेरबदल करने के बाद इसे 2002 में जर्मनी में जलवायु पर हुई वार्ता के दौरान अंतिम रूप दिया गया. इस संधि के तहत औद्योगिक देश ग्रीन हाउस समूह की गैसों से होने वाले प्रदूषण को ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
कोप 0011 : मॉन्ट्रियाल सम्मेलन से कोई उम्मीद नहीं - सुनीता नारायण
Posted on 31 Jul, 2011 11:11 AM सुपरिचित पर्यावरणविद सुनीता नारायण का कहना है कि जलवायु परिवर्तन पर मॉन्ट्रियल में होने वाले सम्मेलन से भारत जैसे विकासशील देशों के लिए कोई उम्मीद नहीं है.

उनका कहना है कि विकसित देशों ने विकास के ग़लत तरीक़ों से दुनिया के पर्यावरण को चौपट कर दिया लेकिन अब वे भारत और चीन जैसे देशों पर दबाव डालना चाहते हैं कि वे सब कुछ ठीक करें.
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