पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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कोप 13 : बाली सम्‍मेलन: एक और गंवाया हुआ अवसर
Posted on 31 Jul, 2011 10:43 AM जलवायु परिवर्तन पर बाली सम्मेलन को पलीता लगाने में अमेरिका ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. जैसे तैसे रोडमैप पर सहमति जताई तो अब अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश कह रहे हैं कि कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए विकासशाली देशों को उत्साहित नहीं किया जा रहा है जो चिंता की बात है. यानि कोई न कोई पेंच बनाए बिना अमेरिका को संतुष्टि नहीं मिलने वाली.
कोप 13 : बाली समझौते पर संकट के बादल
Posted on 31 Jul, 2011 10:39 AM नुसा डुआ (बाली): ग्लोबल वॉर्मिन्ग से निपटने के मकसद से 2012 में क्योटो प्रोटोकॉल की जगह लेने वाली नई संधि के रोडमैप पर हुआ समझौता अमेरिकी रवैये से संकट में फंस गया है। अमेरिका ने इसके प्रावधानों पर 'गंभीर चिंता' जताते हुए शिकायत की है कि भारत और चीन जैसे देशों को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में बड़ी कटौती करने को बाध्य करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं। समझौते पर अमेरिका के पलटी मारने से
कोप 13 : बाली में बवाल का हस्र
Posted on 31 Jul, 2011 10:10 AM

इंडोनेशिया के शहर बाली में पिछले 3-14 दिसम्बर को 'जलवायु परिवर्तन' पर संपन्न सम्मेलन फिर विफलता को प्राप्त हुआ। बाली के सम्मेलन से आश लगाए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से चिंतित लोगों के हाथ फिर खाली रह गये। विकसित देशों के अंधाधुध औद्योगीकरण से दुनिया का एक बड़ हिस्सा संकट में है। प्रदूषण के मुख्य अपराधी देश बाली जैसे सम्मेलनों में आते तो जरूर हैं, पर कह वही जाते हैं-' हम तुम्हारी बात नहीं सुने

विडम्बना
Posted on 30 Jul, 2011 09:02 AM बदलियों में पानी घट रहा
नदियों में प्रवाह
बातें भी अब कहाँ रहीं
अथाह
(उथलापन बार-बार दिखता
चरित्र है!)

घाटों पर निरापद न रही
प्यास
उतार पर है आँख का पानी

बेआब झील
एक पूरा शहर उदास करती है!

मिटा दिए गए ताल-पोखर के लिए
Posted on 29 Jul, 2011 09:14 AM पानी के बैरी या
प्यास का दुश्मन ही कहा जाएगा उन्हें
मिटा दिया जिन्होंने पोखर-तालाब

कितनी पुलक से-पुण्याकांक्षा से भी
खुदबाए गए होंगे ये पोखर-ताल
औचक लील गए जिन्हें
मूढ़ता, कटुता और स्वार्थ

पूर्वजों की थाती
बेरहमी-बेअक्ली से
कर दी गयी मटियामेट
तालाब नष्ट करना
पानी के साथ पसीने का अपमान है
और कुल की साधुता की हत्या
हो सकता है
Posted on 27 Jul, 2011 09:21 AM हो सकता है! कल को तुम्हारे हरे-भरे किनारों को
बेदखल कर बनवा दिए जाएँ बड़े-बड़े शापिंगमाल
और कोई वणिज-वक्रता रोक दे तुम्हारी हवा
खड़े कर तुम्हारे आसपास ईमारतों के ढेर
यह भी हो सकता है-कल को कोई धन्नासेठ!
जोत ले तुम्हारी ज़मीन और रातोंरात वहाँ
चमचमाने लगें कई सितारों के होटल

बड़ी झील!
पूँजी की माया!! कल को हो सकता है
झील धरती का सुख है
Posted on 27 Jul, 2011 09:16 AM झील धरती का सुख है
जिस में आकाश लहराता रहता है
अपने बचपन के दोस्त आबो-हवा के साथ

अपनी चाँदनी के लिए
पानी मालकौंस गाता है

चिडि़यों के कोरस में
प्रेम-पत्र की एक पंक्ति अरझ जाती है
किनारे पर बैठे हुए प्रेमी युगल
जिसे सुलझाते आपस में डूबे हुए हैं

हवा एक अलंकार है
लहरें जिससे अपना शृंगार करती हैं

धूप एक छन्द है
पानी बचेगा तो जीवन रचेगा
Posted on 26 Jul, 2011 09:07 AM पानी बचाओ रे
झील बचाओ रे

झील बची तो
पानी बचेगा

पानी बचेगा
तो जीवन रचेगा

जीवन के रचने में
दुनिया सँवरती

दुनिया सँवारो
तो पानी बचाओ रे

पानी बचेगा
तो जीवन रचेगा !

मिश्रित ज्वालामुखी (Composite volcano in Hindi)
Posted on 24 Jul, 2011 01:42 AM मिश्रित ज्वालामुखी, एक लंबा, शंक्वाकार ज्वालामुखी होता है, जिसका निर्माण जम कर ठोस हुए लावा, टेफ्रा, कुस्रन और ज्वालामुखीय राख की कई परतों (स्तर) द्वारा होता है। मिश्रित ज्वालामुखी को ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इनकी रचना ज्वालामुखीय उद्गार के समय निकले मिश्रित पदार्थों के विभिन्न स्तरों पर घनीभूत होने के फलस्वरूप होती है।
ज्वालामुखी
Posted on 23 Jul, 2011 04:28 PM इंसान ने प्रकृति पर विजय पाने के सारे हथियार आजमा लिए हैं। मगर आज भी वह इसमें पूरी तरह से असफल रहा है। प्रकृति आज भी किसी न किसी रूप में इस सृष्टि में अपनी प्रचण्ड ताकत का अहसास कराती रहती है। चाहे वह किसी भयंकर तूफान के रूप में हो या भूकंप या फिर ज्वालामुखी के रूप में। इतिहास गवाह है कि इस पृथ्वी पर ज्वालामुखी पर्वतों ने कई सभ्यताओं को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
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