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पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा
बूँदों का भूमिगत ताजमहल
Posted on 27 Jan, 2018 03:39 PM
मुगल-बादशाह शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में आगरा में ताजमहल बनाया। कहते हैं, दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं- एक, जिन्होंने इस प्रेम स्मारक को देखा है। दो- जिन्होंने इसे नहीं देखा है…!
पानी के मन्दिर
Posted on 25 Jan, 2018 04:31 PM
बीस साल पहले 23 साल का एक नौजवान इन्दौर से अपनी जेब में सेंधवा के सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर का नियुक्ति पत्र लेकर रवाना होता है।
नाम है - श्री तपन भट्टाचार्य।
डबरियाँ : पानी की नई कहावत
Posted on 25 Jan, 2018 03:42 PM...आपने अपने जीवन में कई कहावतें सुनी होंगी!
...उन कहावतों के मायने भी खत्म होते देखे होंगे।
जल संचय की रणनीति
Posted on 23 Jan, 2018 04:34 PM
...आसान लक्ष्य का क्या मजा! लक्ष्य तो कठिन होना चाहिए ताकि चुनौती स्वीकारने में आनंद की अनुभूति भी हो।
बूँदों का स्वराज
Posted on 23 Jan, 2018 04:05 PM
...कैसा अकाल? कैसा सूखा…?
...हम हिम्मत क्यों हारें! हारेगा तो सूखा।
पानी के पहाड़
Posted on 23 Jan, 2018 03:57 PM
...यह कोई कहानी नहीं है।
...यह तो कई ‘कहानियों’ का क्लाइमेक्स है।
रोमांचक! जीवंत! सरप्राइज! जिज्ञासा जगाने वाला! प्रेरणादायी! सत्यमेव जयते! संकल्प! और भी बहुत कुछ...! आप सोच रहे होंगे, भला ऐसा क्या राज है इसमें।
बूँदों की बैरक
Posted on 23 Jan, 2018 03:51 PM
हम इस समय उज्जैन जिले की सीमावर्ती महिदपुर के गाँवों में हैं। काचरिया गाँव से होलकर रियासत का खास रिश्ता रहा है। यहाँ होलकरों की एक विशाल छावनी मौजूद रहती थी। इस छावनी में होलकरों के सैनिकों और अधिकारियों को दुश्मनों से मुकाबले के प्रशिक्षण भी दिये जाते थे। इस छावनी के अवशेष आपको आज भी मिल जाएँगे। यहाँ अभी भी गंगावाड़ी का मेला लगता है।
गाँव की जीवन-रेखा
Posted on 22 Jan, 2018 04:37 PM
थोड़ा आसमान की ओर टकटकी लगाइये ना!
आपको बादल दिख रहे हैं?
क्या बरसात होने लगी है!
तो भी देखिये!
ये नन्हीं-नन्हीं बूँदें इठलाती, गाती, झूमती, मुस्कुराती, मस्ती के साथ चली आ रही हैं!
इनकी ‘जिन्दगी का सफर’ क्या है?
गाँव क्षेत्र में ये बूँदें खेतों में अलग-अलग गिरती हैं।