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पानी की बात चले और कबीर की रचना कोई न सुनाए - ऐसा कैसे हो सकता है। कबीर ने पानी के विविध प्रसंगों के माध्यम से जीवन-दर्शन की बहुत ही सहज ढंग से चर्चा की है।
मैं गंवई गाँव का
वह रेलवे स्टेशन
जहाँ सुखों की एक्सप्रेस
ठहरती नहीं,
धड़धड़ाती निकल जाती है
और हाथ हिलाते रह जाते हैं
इच्छाओं के मारे ग्रामीण जन।