पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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वनोन्मूलन
Posted on 29 Mar, 2018 05:58 PM

पर्यावरण और उसके घटक तथा विभिन्न पारिस्थितिकी अवधारणाओं के विषय में आपने पिछले पाठों में जानकारी प्राप्त की। साथ ही आपने प्राकृतिक पारितंत्र और मानव-निर्मित पारितंत्र का भी ज्ञान प्राप्त किया। मनुष्यों ने बिना सोच-विचार के अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पारितंत्र में परिवर्तन कर लिये हैं। उनकी आवश्यकताओं ने, जो लालच से जुड़ी हुई हैं, पर्यावरण को बहुत हानि पहुँचाई है, जिसका प्रभाव भावी पीढ़ी पर अवश्
मानव समाज
Posted on 27 Mar, 2018 06:34 PM

दस लाख से लेकर बीस लाख वर्ष के बीच जबसे मनुष्य का उद्भव हुआ, मानव पर्यावरण के निकट सम्पर्क में रहने लगे हैं। जैसा कि आपने पाठ-3 में पहले से ही जानते हैं कि प्रारंभ में वे शिकारी तथा संग्राहक (भोजन का संग्रहण करने वाले) थे। धीरे-धीरे समय बदलने के साथ-साथ मानव ने स्थायी तथा सुव्यवस्थित जीवन बिताना शुरू किया। जैसे-जैसे मानव की संख्या में वृद्धि हुई तथा उन्होंने सांस्कृतिक प्रगति की, उन्होंने प्
मानव रूपांतरित पारितंत्र
Posted on 27 Mar, 2018 03:55 PM

मनुष्य की लालसा और उसकी जरूरतों ने प्राकृतिक पारितंत्रों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। मनुष्य ने इन्हें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार रूपांतरित करने का प्रयास किया है। प्राकृतिक पारितंत्रों में रूपांतरण के मुख्य कारण इस प्रकार हैं: (1) बढ़ती हुई जनसंख्या (2) बढ़ती हुई मानवीय आवश्यकताएँ तथा (3) जीवन शैली में परिवर्तन। इस पाठ में आप विभिन्न प्रकार के मानव रूपांतरित पारितंत्रों और अपने अधिकतम उपयोगो
पारितंत्र
Posted on 27 Mar, 2018 02:04 PM

आप जानते हैं कि शायद पृथ्वी सौर मण्डल का ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन का अस्तित्व है। पृथ्वी का वह भाग जो जीवन को बनाये रखता है जैव मण्डल कहलाता है। जैव मण्डल अति विशाल है और इसका अध्ययन एकल इकाई के रूप में नहीं किया जा सकता है। इसे अनेक स्पष्ट क्रियात्मक इकाइयों में विभाजित किया गया है जिन्हें पारितंत्र कहते हैं। इस पाठ में आप पारितंत्र की संरचना और कार्यों के बारे में अध्ययन करेंगे।
पारिस्थितिकी के सिद्धांत
Posted on 27 Mar, 2018 11:57 AM

पिछले मॉड्यूल (मॉडयूल-1) में आपने पर्यावरण की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन किया है। आपने इस बात का भी अध्ययन किया है कि मानव पर्यावरण के साथ किस प्रकार अन्योन्यक्रिया कर रहा है। इस पाठ (यह मॉड्यूल-2 का पहला पाठ है) में आप पारिस्थितिकी, जो विज्ञान की एक प्रतिष्ठित शाखा है, की कुछ मुख्य अवधारणाओं का अध्ययन करेंगे।

उद्देश्य


इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात आपः
प्राकृतिक पर्यावरण का अवक्रमण
Posted on 25 Mar, 2018 03:26 PM

बीस लाख वर्ष पूर्व जब मानव का उद्भव हुआ था, तब प्राकृतिक संसाधन मानव की जरूरतों को देखते हुए प्रचुर मात्र में उपलब्ध थे। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी, अत्यधिक मात्रा में भोजन तथा आश्रय के लिये संसाधनों की जरूरत पड़ी और तब इन्हें पर्यावरण से अधिकाधिक रूप से प्राप्त किया गया। इस पाठ में आप जानेंगे कि मानव क्रियाकलापों के चलते किस प्रकार से प्राकृतिक संसाधनों का अवक्रमण हुआ और जो अब समाप्ति के कगार पर
पर्यावरण और मानव समाज
Posted on 23 Mar, 2018 12:45 PM

मानव जाति (होमो सेपिएंस) का उद्भव लगभग पच्चीस लाख वर्षों से भी अधिक समय पूर्व हुआ था। उनमें मस्तिष्क अत्यंत विकसित होने के कारण वे सोचने की क्षमता रखते थे और अपने निर्णयों का उपयोग करते थे। मानव ने दो पैरों पर सीधे खड़े होकर चलना शुरू किया जिसके कारण उनके हाथ अपने शारीरिक कार्य करने के लिये स्वतंत्र हो गये।
पृथ्वी का उद्भव और पर्यावरण का विकास
Posted on 20 Mar, 2018 03:54 PM

हम एक बहुत ही सुंदर ग्रह पर रहते हैं, जो पृथ्वी के नाम से जाना जाता है। यह ग्रह पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों तथा अन्य जीवों का भी निवास है। हमारी पृथ्वी एक विशाल ब्रह्मांड का एक भाग है। यह ब्रह्मांड लगभग पंद्रह से बीस अरब वर्ष पुराना है। पृथ्वी की आयु लगभग 4 से 5 अरब वर्ष है, जबकि मानव का आविर्भाव कोई 20 लाख वर्ष पहले हुआ था। इस पाठ का अध्ययन करने के बाद आप जानेंगे कि पृथ्वी का उद्गम कैसे हुआ, उ
आजीविका उन्नति के लिये मत्स्य-पालन प्रौद्योगिकी
Posted on 19 Mar, 2018 02:13 PM
प्राचीन युग से ही मात्स्यिकी मानव जाति के लिये भोजन, रोजगार आजीविका तथा आर्थिक लाभ का महत्त्वपूर्ण स्रोत रहा है। मात्स्यिकी दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोगों के लिये आहार एवं लगभग 38 मिलियन से भी ज्यादा लोगों के लिये रोजगार का मुख्य साधन है। इसके अलावा अंतर्स्थलीय मत्स्य पालन का मात्स्यिकी क्षेत्र के रोजगार में सबसे बड़ा योगदान है। विश्व में रोजगार की 15 प्रतिशत भागीदारी मत्स्य पालन क्षेत्र
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