पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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वन विविधता
Posted on 30 Jan, 2019 02:43 PM
पूरा भारत 10 पारिस्थितिकीय जैव-विविधता क्षेत्रों में बँटा हुआ है। पिथौरागढ़ व चम्पावत जिले पश्चिमी हिमालय के पारिस्थितिकी क्षेत्र में शामिल हैं। यह क्षेत्र नेपाल के पश्चिम में काली नदी के किनारे-किनारे पिथौरागढ़-चम्पावत से जम्मू कश्मीर तक फैला हुआ है। 1960 में सामरिक महत्व के कारण अल्मोड़ा जिले की नेपाल व चीन की सीमा से लगी तहसीलों को मिलाकर बनाया गया पिथौरागढ़ जिला, 1997 में पिथौरागढ़ एवं चम्पावत
पिथौरागढ़ चम्पावत भूमण्डलीय स्थिति
जैविक प्रचुरता और प्रतिनिधित्व
Posted on 24 Jan, 2019 05:47 PM
केन्द्रीय विषय वस्तु को छूने से पूर्व, हमारा प्रयास विषय की गहनता व वैश्विक स्वीकार्यता का एक परिचय कराने का रहेगा। कोशिश यह भी रहेगी कि चयनित क्षेत्र की बात करने से पूर्व हम हिमालय, जिसका छोटा सा प्रतिनिधि क्षेत्र है पिथौरागढ़-चम्पावत, के सन्दर्भ में इस विषय वस्तु की झलक देखें।
Palm tree
एक था सरोवर सोर घाटी में
Posted on 07 Jan, 2019 05:09 PM

बचपन में अपने ‘मुलुक’ के बारे में पूछता था तो दादी बताती थीं एक ऐसे मैदान के बाबत, जिसमें मीलों तक पत्थर दिखते ही न थे। पहली बार सोर घाटी देखी तो लगा कि दादी ने अतिश्योक्ति की थी। वर्षों घूमा, सर्वेक्षण किया, अध्ययन किया, किन्तु मैदान न दिखा। दिखे पहाड़ ही पहाड़, पत्थर ही पत्थर। थल-सेनाध्यक्ष जनरल विपिन चन्द्र जोशी के आग्रह पर पानी की तलाश में एक बार निकला तो अकस्मात दादी अम्मा का बताया मैदान प

सरोवर निर्माण प्रक्रिया
पिथौरागढ़ का भूगर्भीय परिचय
Posted on 05 Jan, 2019 11:41 AM

दक्षिणी छोर से यदि आरम्भ करें तो भूगर्भीय दृष्टिकोण से चम्पावत-पिथौरागढ़ क्षेत्र को चार भू-भागों में बाँटा गया है-शिवालिक, लघु हिमालय, उच्च हिमालय तथा टैथिस हिमालय। ये भू-भाग एक-दूसरे से चार प्रमुख भ्रंशों या दरारों द्वारा विभाजित हैं: अग्रगामी भ्रंश (हिमालयन फ्रन्टल फाल्ट-HFF), मुख्य सीमा भ्रंश (मेन बाउन्ड्री थ्रस्ट-MBT), मुख्य मध्य भ्रंश (मेन सेन्ट्रल थ्रस्ट-MCT), तथा हिमाद्रि भ्रंश (ट्रान्स

भूगर्भीय तथा विवर्तनिक मिजाज
पिथौरागढ़ का भौगोलिक स्वरूप
Posted on 04 Jan, 2019 01:18 PM

किसी भी क्षेत्र का भूगोल उसकी पर्यावरणीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक एवं भाषाई स्वरूप के साथ-साथ उसके लोक जीवन के सभी पक्षों को प्रभावित और निर्धारित करता है।

pithoragarh
बहुत जल्दी पकने वाली विपुल उत्पादक धान की किस्में
Posted on 16 Sep, 2018 12:33 PM

अनुकूल देशी धान की किस्में जो कि 100 दिन अथवा उससे कम समय में पकती है। उस वातावरण में जहाँ पर इनकी कास्त की जाती हैं तथा 20 बोरे प्रति एकड़ एवं अधिक (3705 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा अधिक) उत्पादन देती है, जिनका विवरण दिया गया है। इन किस्मों से चुनाव की गई किस्मों का न्यूक्लियस बीज अनुकूलता धान अनुसंधान केन्द्र पर उपलब्ध है। जिनका विभागीय बीज उत्पादक प्रक्षेत्रों पर प्रगुणन कर पर्याप्त मात्रा

Dwarf paddy
मध्य प्रदेश की जल्दी पकने वाली स्थानीय किस्में व उनकी पहचान
Posted on 11 Sep, 2018 02:34 PM

अभी तक एकत्रित कुल 5368 देशी धान किस्मों में से 423 किस्में जल्दी पकने वाली पाई गई हैं, जो अपने क्षेत्र विशेष के वातावरण में 55 से 100 दिन के अंदर पकती हैं, ये किस्में लगभग 7.88 प्रतिशत पाई गई हैं। उनमें से अधिकांश किस्में 2 से 6 बालों के रूप में प्राप्त हुई थी जिनमें कुछ भिन्नता भी संभव है, उनकी विभिन्न विशेषताओं के लिये अध्ययन किया जा रहा है। इनमें स

Popular varieties of paddy in MP
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