उत्तराखंड

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उत्तराखण्डः धुएँ में ओझल थी नैसर्गिक सुंदरता
Posted on 20 May, 2016 11:20 AM
पहाड़ जाने का संयोग बनता है तो दिमाग में नैसर्गिक सुन्दरता का कौंधना लाजिमी होता है। जब इसके विपरीत स्थिति दिखे तो स्यवं की आँखों पर भी भरोसा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। पिछले दिनों मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। अचानक अपने गृह जनपद अल्मोड़ा जाना हुआ। पर्वत शृंखलाओं, हरे-भरे पेड़-पौधों, सीढ़ीनुमा खेत-खलिहानों और हिमालय की तस्वीर अनायास दिमाग में कौंधन
जंगल में आग - वनों को मानव-शून्य बनाने का परिणाम
Posted on 17 May, 2016 12:16 PM
मनुष्य का जन्म प्रकृति में हुआ और उसका विकास भी प्रकृति के सानिध्य में हुआ। इसीलिये प्रकृति और मनुष्य के बीच हजारों साल से सह-अस्तित्व की भूमिका बनी चली आई। गोया, मनुष्य ने सभ्यता के विकासक्रम में मनुष्येतर प्राणियों और पेड़-पौधों के महत्त्व को समझा तो कई जीवों और पेड़ों को देव-तुल्य मानकर उनके संरक्षण के व्यापक उपाय किये। किन्तु जब हमने जीवन में पाश्
बेरुखी झेलती झील
Posted on 15 May, 2016 12:35 PM
देशी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र और नैनीताल की संजीवनी नैनी झील सूखने के कगार पर है। इस बार ठंड के मौसम में ही झील के जलस्तर में जबरदस्त गिरावट आ गई। नैनी झील के पानी का स्तर करीब चार फीट नीचे पहुँच गया है। झील के जलस्तर में पिछले साल के मुकाबले करीब 9 फीट और 2014 के मुकाबले 7.5 फीट ज्यादा गिरावट आ गई है।
गढ़वाल-हिमालय संसाधन; उपयोगिता, प्रतिरूप एवं विकास
Posted on 14 May, 2016 04:23 PM

वनों एवं फसलों पर आधारित कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास निश्चत रूप से स्थानीय विकास में सहायक सिद्ध होगा। जनसंख्या प्रतिनिधित्व एवं आवश्यकता नीति का निर्धारण वास्तविक रूप से आर्थिक विकास में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

‘जीवन निर्वाह कृषि’ हिमालयवासियों की आजीविका का मुख्य साधन है। सन 1991 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या की लगभग 72 प्रतिशत कार्मिक क्षमता मुख्य रूप से प्राथमिक व्यवसाय एवं उससे सम्बन्धित क्रियाकलापों में सन्निहित है। यद्यपि उद्यानिकी, कृषि व्यवसाय के समानान्तर अग्रसित है, तथापि कुल कृषि योग्य भूमि के अनुपात में यह व्यवसाय अत्यधिक कम है तथा प्राप्त उत्पाद घरेलू उपयोग तक ही सीमित है, परिणामस्वरूप इसका स्थान क्षेत्र के आर्थिक जगत में नगण्य है। मानव संसाधन के रूप में पुरुष वर्ग, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये सेवा या पुलिस में समर्पित है।
पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवास की समस्या: प्रभाव एवं निराकरण
Posted on 14 May, 2016 11:16 AM

उत्तराखंड हिमालय में रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है किन्तु कृषि की न्यून उत्पादकता एवं औद्

नैनी झील सूखेगी तो तराई में होगा जल संकट
Posted on 14 May, 2016 09:08 AM


उत्तराखण्ड स्थित पर्यटकों के लिये दुनिया में अपनी पहचान रखने वाली सरोवर नगरी की नैनी झील इस वक्त अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रही है। झील के चारों तरफ डेल्टा उभर आये हैं। इस वर्ष के आरम्भ में बारिश और बर्फबारी में भारी कमी आई है। इस झील को तरोताजा रखने वाले जंगलों में मौजूद प्राकृतिक तालाब सूख चुके हैं।

पहाड़ों पर फिर कुदरत का कहर
Posted on 10 May, 2016 10:54 AM
1. कर्णप्रयाग में 30 घरों में मलबा घुसा, दो वाहन बहे, चार मलबे में दबे
2. श्रीनगर में अलकनन्दा का जल स्तर बढ़ा, ढाई घंटे तक फँसे रहे 40 मजदूर।

विरासत में मिली पर्यावरण प्रेम की सीख
Posted on 05 May, 2016 03:49 PM
निरन्तर खुद के कठिन प्रयासों से वृक्षारोपण करने, पेड़ों को जी
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