उत्तराखंड

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जमरानी की आस आखिर कब होगी पूरी
Posted on 16 Jan, 2018 12:42 PM
जमरानी/काठगोदाम। राजनीतिक गलियारों में जमरानी की हलचल अक्सर छायी रहती है। भाजपा की इस सरकार में एक बार फिर जमरानी की चर्चा आम हो चली है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में नई सरकार के गठन के साथ ही परिसम्पत्तियों के मामले में सरकार शुरुआत में काफी सक्रिय नजर आई, लेकिन मामला अब ठंडा नजर आ रहा है। राज्य बनने के सत्रह साल बाद भी उत्तर प्रदेश के साथ परिसम्पत्तियों का मामला पूरी तरह नहीं निपट
समय से पहले ही आने लगे काफल और बुरांश के फूल
Posted on 11 Jan, 2018 11:49 AM


पहाड़ों में बदलते जलवायु परिवर्तन ने वैज्ञानिकों की चिन्ता बढ़ा दी है। समुद्रतल से आठ से नौ हजार फीट की ऊँचाई पर पाया जाने वाला काफल फल तय समय से पहले ही पेड़ों पर लकदक कर पकने को तैयार हो गया है। साथ ही दिसम्बर के महीने में बुरांश के फूल भी जंगल में खिले हुए दिख रहे हैं, जो एक चिन्ता का विषय बना हुआ है।

बुरांस
उत्तराखण्ड की कोशी को जीआईएस से मिलेगा पुनर्जन्म
Posted on 09 Jan, 2018 12:00 PM


खोजे गए 14 रीचार्ज जोन और 1820 सहायक नाले, 25 साल के शोध के बाद आखिरकार मिल पाई सफलता

 

 

Kosi
उत्तराखण्ड लिखेगा पानी की नई कहानी
Posted on 05 Jan, 2018 12:07 PM
मुख्यमंत्री ने शुरू कराई अनूठी पहल, शौचालयों के फ्लश में डाली रेत से भरी बोतलें
पहाड़ टूट रहे हैं पेड़ों पर
Posted on 29 Dec, 2017 12:16 PM
केदारनाथ मार्ग पर काकड़ा गाड़ से लेकर मौजूदा सेमी-गुप्तकाशी तक के मार्ग को बद
deforestation
उत्तराखण्ड का निजाम केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री के शरण में
Posted on 29 Dec, 2017 11:41 AM


वैसे राज्य सरकारों की निर्भरता केन्द्र पर ही रहती है। लेकिन कुछ काम हैं, जो राज्य सरकार खुद के संसाधनों से संचालित करती है। आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं आया की राज्य सरकार ने खुद के संसाधनों से फलाँ-फलाँ विकास का काम जनता को समर्पित किया है।

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री के साथ उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
उत्तराखण्ड के स्रोतों को रीचार्ज करेगा जीएसआई
Posted on 26 Dec, 2017 10:51 AM

अल्मोड़ा का बड़ा भूभाग इन दोनों लाइनों के मध्य आता है और इनके दायरे में आने वाले जलस्रोतों को ही रीचार्ज क

विस्थापित तो कराह रहे, जनता के रहनुमा आराम फरमा रहे
Posted on 24 Dec, 2017 12:02 PM


जिस पानी से एक सम्पूर्ण सभ्यता, संस्कृति जिन्दा थी, वही पानी उन लोगों को नसीब नहीं हो पा रहा है, जिसे उन्होंने देश के लिये कुर्बान किया था। ऐसी हालात उत्तराखण्ड के टिहरी बाँध विस्थापितों की बनी हुई है। वे अब पुनर्वास होकर नरक जैसी जिन्दगी जीने के लिये मजबूर हैं। जो सुहावने सपने उन्हें सरकारों ने टिहरी बाँध बनने पर दिखाई थी वे सभी सपने उनके सामने चकनाचूर हो गए हैं।

टिहरी बाँध की उँचाई बढ़ने से कुछ और गाँव डूब क्षेत्र में आएँगे
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