जिस पानी से एक सम्पूर्ण सभ्यता, संस्कृति जिन्दा थी, वही पानी उन लोगों को नसीब नहीं हो पा रहा है, जिसे उन्होंने देश के लिये कुर्बान किया था। ऐसी हालात उत्तराखण्ड के टिहरी बाँध विस्थापितों की बनी हुई है। वे अब पुनर्वास होकर नरक जैसी जिन्दगी जीने के लिये मजबूर हैं। जो सुहावने सपने उन्हें सरकारों ने टिहरी बाँध बनने पर दिखाई थी वे सभी सपने उनके सामने चकनाचूर हो गए हैं।
बता दें कि सन 1815 में टिहरी नरेश प्रद्युम्न शाह ने टिहरी की स्थापना भिलंगना और गंगा-भागीरथी के संगम पर इसलिये की कि वहाँ पर उनकी प्रजा कभी पानी और सिंचाई की समस्याओं के लिये नहीं तरसेगी। हुआ भी ऐसा ही। टिहरी की बासमती और आम के बागान इस बात के गवाह थे कि यहाँ पर एक समृद्ध सभ्यता रही होगी। किसे क्या मालूम कि 190 बरस बाद टिहरी के बाशिन्दों को बिजली उत्पादन के लिये आहुति देनी पड़ेगी।
टिहरीवासियों की छाती पर बने एशिया के इस सबसे बड़े बाँध के कारण विस्थापितों को मौजूदा समय में विस्थापित हुई जगह पर ‘पानी के लिये’ ही संघर्ष करना पड़ेगा। पीने के पानी की समस्या, सिंचाई की समस्या, पानी के संसाधनों पर डकैतों की धमकी जैसी पीड़ा विस्थापित टिहरीवासियों पर चौबीसों घंटे खड़ी रहती है। उन्हें जब अपनी जन्मभूमि की याद आती है तो वे टिहरी झील के किनारे जाकर आँसुओं के बूँदों से फिर से टिहरी को नमन करते यही पुकार लगाते हैं कि हे टिहरी की धरती हमने क्या बिगाड़ा था, जो अब ये दिन देखने पड़ रहे हैं। अगर सरकार की कसरत के अनुसार टिहरी बाँध के पानी को अब 825 मीटर ऊपर उठाया जाएगा तो फिर से सवा लाख लोग विस्थापित होंगे। वह भी पूर्व विस्थापितों के अनुसार मूलभूत समस्याओं का सामना करते हुए दिखेंगे।
एक तरफ सरकारें टिहरी बाँध को विकास का मॉडल बताकार दुनिया में ढिंढोरा पीट रही हैं और दूसरी तरफ बाँध के कारण विस्थापित हो चुके टिहरीवासी रात-दिन तिल-तिल करके जी रहे हैं। सत्ता में बैठे मठाधीशों को क्या मालूम कि बाँध विस्थापितों की कभी सुध लेनी पड़ती है।
बाँध से विद्युत उत्पादन भले अपेक्षा से बहुत कम हो रहा हो पर कम-से-कम टिहरी बाँध से हुए विस्थापितों व प्रभावितों की समस्याओं का समयबद्ध निराकरण तो होना ही चाहिए। हालात इस कदर है कि उत्तराखण्ड के गंगा-भागीरथी पर बना बहु प्रचारित टिहरी बाँध प्रभावित अभी भी पानी जैसे मुलभूत अधिकार के लिये तरस रहे हैं, उनकी सुविधाओं पर दबंगों का कब्जा हो रहा है। अर्थात बाँध बनने के 14 सालों बाद भी टिहरी बाँध के पुनर्वास की समस्याएँ बढ़ती ही जा रही हैं और मुख्यमंत्री श्री रावत ने केन्द्रीय बिजली मंत्री से टिहरी झील के पानी को 825 मीटर तक बढ़ाने का प्रस्ताव रख दिया है।
अगर ऐसा होता है तो सवा लाख लोग और विस्थापित होंगे। जबकि टिहरी बाँध विस्थापितों को पुनर्वास स्थलों जैसे हरिद्वार, पथरी, चौदहबीघा में अब तक पुनर्वास नीति के अनुसार मूलभूत सुविधाएँ नहीं मिल पा रही हैं। हरिद्वार जिले में पथरी भाग 1, 2, 3 व 4 में टिहरी विस्थापितों के लगभग 40 गाँवों के लोग पुनर्वासित हैं। इसी तरह सुमननगर विस्थापित क्षेत्र व रोशनाबाद विस्थापित क्षेत्र में भी भागीरथी, भिलंगना नदी घाटी के कितने ही गाँवों जैसे खांड, बड़कोट, सरोट, छाम, सयांसू आदि गाँवों से प्रभावितों को विकास का सपना दिखा कर लाया गया है। पर जो मूलभूत सामुदायिक सुविधाएँ अधिकार रूप में पुनर्वास के साथ ही उन्हें मिलनी चाहिए थी वह 37 साल बाद भी सरकार नहीं दे पाई।
इन विस्थापितों का जीवन दुष्कर होना इस मायने में कह सकते हैं कि भूमिधर अधिकार, स्वास्थ्य, प्राथमिक चिकित्सा, जच्चा-बच्चा केन्द्र, समुचित शिक्षा की व्यवस्था, व्यवस्थित यातायात आदि का अभाव पुनर्वासित स्थानों पर बना हुआ है। और-तो-और जिस बिजली उत्पादन के लिये लोगों ने आहुति दी थी वही बिजली की सुविधा उनसे दूर-दूर रखी गई है।
इस बाबत बिजली नीति के अनुसार 100 यूनिट बिजली मुफ्त मिलनी चाहिए थी, वह भी उन्हें नसीब नहीं हुई। सिंचाई के लिये पास में बहती गंगनहर से वे सिंचाई नहीं कर सकते। मंदिर, पितृकुट्टी, सड़क, गूल आदि की सुविधाएँ भी सालों बाद भी खड़ी दिखाई दे रही है। सुमननगर में भी सिंचाई व पीने के पानी की भयंकर समस्या है। जबकि मात्र एक किलोमीटर के दायरे में टिहरी बाँध से दिल्ली व उत्तर प्रदेश को पानी जा रहा है।
ज्ञात हो कि टिहरी बाँध से हो रहे 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के लाभ से प्रभावितों की समस्याओं का समाधान होना सम्भव है। इससे राज्य सरकार को प्रतिदिन आमदनी भी हो रही है। आज तक लगभग ढाई हजार करोड़ से ज्यादा की आमदनी टिहरी बाँध से राज्य सरकार को हो गई है। इससे ही टिहरी बाँध विस्थापितों के लिये खर्च करने का प्रावधान था। जो 37 वर्ष बाद भी विस्थापितों को नहीं मिल पा रहा है।
टिहरी विस्थापित जन कल्याण समिति के पूरण सिंह राणा, सोहन सिंह गुंसाई, राघवानंद जोशी, जयकिशन न्यूली, अतोल सिंह गुंसाई का कहना है कि विस्थापितों को मूलगाँव जैसा ‘संक्रमणी जेड ए श्रेणी क’ स्तर वाला भूमिधर अधिकार तुरन्त दिये जाएँ ताकि पुनर्वास स्थलों को राजस्व ग्राम घोषित किया जा सके। हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले टिहरी बाँध विस्थापितों की शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, सिंचाई व पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाएँ आज भी मुँह बाए खड़ी हैं।
उनकी माँग है कि इन कार्यों के लिये टिहरी बाँध परियोजना से, जिसमें कोटेश्वर बाँध भी सम्मिलित है से मिलने वाली 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के पैसे का उपयोग किया जा सकता है। टिहरी बाँध से दिल्ली व उत्तर प्रदेश जाने वाली नहरों से बाँध प्रभावितों को पानी दिये जाने का प्रावधान होना चाहिए। इधर ऊर्जा मंत्रालय की विस्थापितों बाबत जलविद्युत नीति 2008 में प्रावधान है कि विस्थापितों को 10 साल तक 100 यूनिट मुफ्त बिजली या नकद सहायता राशि दी जानी चाहिए।
विस्थापितों के संसाधनों पर रसूखदारों का कब्जा
रोशनाबाद सामुदायिक भवन, प्राथमिक स्कूल इमारत पर किसी नवोदय नगर विकास समिति का कब्जा है। सड़क, सिंचाई व पीने के पानी का अभाव, स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल व गन्दे नाले की व्यवस्था नहीं है। पीने के पानी के कनेक्शन के लिये 5000 और हर महीने 300 रुपया विस्थापितों को देने होते हैं।
चंद्रमोहन पाण्डे सुपरिटेंडेंट इंजीनियर ने स्वीकार किया कि पुनर्वास विस्थापित क्षेत्र में समस्याओं का अम्बार है, अधिशासी अभियन्ता ने भी स्वीकार किया कि नवोदय नगर समिति ने सामुदायिक भवन एवं ओवर हेड टैंक पर कब्जा कर रखा हैै। कहा कि वे त्वरित गति से समाधान करवाने का प्रयास करेंगे। जबकि इस शिकायत पर नवोदय नगर समिति के कुछ लोगों ने अतुल गोसाई के प्लाट के पानी का नल उखाड़ कर अपने साथ ले गए और धमकाया कि यहाँ से चले जाओ।
टइन घटनाक्रमों की जानकारी पुनर्वास निदेशक श्रीमती मोनिका, टिहरी विधायक व कैबिनेट मंत्री धन सिंह नेगी, हरिद्वार के पूर्व विधायक अमरीश, प्रताप नगर के पूर्व विधायक विक्रम सिंह नेगी को है। मगर विस्थापितों की समस्या जस-की-तस बनी है।
TAGS |
tehri dam in hindi, tehri dam facts in hindi, tehri dam case study in hindi, tehri dam construction in hindi, tehri dam movement in hindi, tehri dam photo in hindi, tehri dam map in hindi, tehri dam video in hindi, tehri dam images in hindi, tehri dam protest in hindi, tehri dam project case study in hindi, tehri dam andolan information in hindi, tehri dam case study ppt in hindi, tehri dam advantages and disadvantages in hindi, tehri dam images in hindi, tehri dam photo in hindi, resettlement and rehabilitation of project affected persons in hindi, resettlement and rehabilitation of people, its problems and concerns. case study in hindi, resettlement and rehabilitation of tehri dam in hindi, tehri dam project case study in hindi, resettlement and rehabilitation of project affected persons tehri dam case study in hindi, tehri dam case study ppt in hindi, why are dams constructed in hindi, social impact of tehri dam in hindi, tehri dam migration in hindi, resettlement and rehabilitation of project affected persons in hindi, resettlement and rehabilitation of people, its problems and concerns. case study in hindi, tehri dam movement in hindi, rehabilitation of tehri dam in hindi. |
/articles/vaisathaapaita-tao-karaaha-rahae-janataa-kae-rahanaumaa-araama-pharamaa-rahae