Posted on 23 Jul, 2013 06:33 PM1.जनपद के यमुनापार इलाके में लग रहे ताप बिजली घरों के खिलाफ शुरू होगा आन्दोलन 2. गंगा व यमुना से भारी मात्रा में पानी लेने का होगा तगड़ा विरोध
पर्यावरणविद् पहले ही यह सिद्ध कर चुके हैं कि ताप बिजली घरों से निकलने वाली राख में पारे की मात्रा होती है। यह पारा जन-जीवन के लिए अत्यधिक खतरनाक होता है। महज 20 ग्राम पारा एक हेक्टेयर से लेकर बीस हेक्टेयर तक की जमीन को बंजर बना देता है। जैसा कि पर्यावरणविद् सुनीता नारायण की टीम द्वारा सोनभद्र स्थित पावर प्लांटों से निकली राख व गंदे पानी का अध्ययन किया गया तो पता चला कि यह इलाका अब पर्यावरण प्रदूषण की दृष्टि से पूरे भारत में छठें स्थान पर है। यमुना व गंगा का पानी ताप विद्युत घरों को देने का मामला इलाहाबाद में आन्दोलन का सबब बनने वाला है। 21 जुलाई को स्वराज विद्यापीठ में करीब 50 जनसंगठनों ने ताप बिजली घरों द्वारा इन दोनों नदियों से जल दोहन व पर्यावरण प्रदूषण फैलाने के खिलाफ जन संघर्ष छेड़ने का ऐलान किया। इलाहाबाद जनपद के यमुनापार इलाके में महज 30 किमी. के अंतराल में तीन ताप विद्युत घर स्थापित किये जा रहे हैं। ताप विद्युत घरों द्वारा गंगा-यमुना नदी से भारी मात्रा में पानी के दोहन के आंकड़ें चिंताजनक हैं। यह आंकड़ें बता रहें हैं कि बिजली के बदले यहां सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय क्षति होगी जो भविष्य में जल, जंगल-जमीन व जीव-जंतुओं के लिये विनाशकारी साबित होगी।
Posted on 30 Jun, 2013 03:52 PMनोएडा-ग्रेटर नोएडा इलाके में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा कंस्ट्रक्शन के लिए भूजल का इस्तेमाल नहीं करने की चेतावनी रियल एस्टेट सेक्टर पर भारी पड़ सकती है। अमित त्यागी की रिपोर्ट
Posted on 27 May, 2013 01:09 PMइंडिया टीवी इलाहाबाद के पत्रकार इमरान लईक ने आउटर पर बेरोजगार किशोरों की पलटन; रिपोटर्रों की भाषा में अवैध वेंडर द्वारा बेचे जा रहे बोतल बंद पानी पर एक शानदार एक्सक्लूसिव खबर शूट की है। फेसबुक पर इसी स्टोरी का एक मुखड़ा व उसकी तीन-चार फोटो भी नजर आयी। यह खबर हमें यह बताती है कि तमाम लड़के जो बोतलबंद पानी इस समय यात्रियों को पिला रहे हैं, वह पेप्सी का एक्वाफिना नहीं है और न ही कोक का केनली।
Posted on 20 May, 2013 12:07 PMप्राचीन काल से ही तालाबों, पोखरों, जोहड़, नदियां आदि प्रकृति की देन है। सृष्टि के आरम्भ में लोग कृषि एवं जीवनयापन के लिए इन्हीं के किनारे बसते थे। जिससे जीवनयापन आसान हो सके। लेकिन अब प्रदूषण, कब्ज़ा, कूड़ा-करकट भराव आदि विकृति समाज में आ गई है। जिससे इन प्राकृतिक धरोहरों को जैसे मानव ने नष्ट करने के लिए ठान लिया है। जिसका दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियाँ अवश्य भुगतेंगी। इसी प्रकार मेरठ- करनाल सड़क मा
Posted on 17 May, 2013 01:42 PMसेवा में प्रेषित 1-माननीय प्रधानमंत्री जी भारत सरकार
2-केन्द्रीय कृषि मंत्री जी भारत सरकार
3-केन्द्रीय मंत्री जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार
4-श्री शिवपाल यादव जी सिंचाई मंत्री उ0प0 सरकार
5-श्री रेवती रमण सिंह सांसद, इलाहाबाद
6-प्रमुख सचिव सिंचाई उ.प्र. शासन 7-आयुक्त इलाहाबाद मंडल इलाहाबाद
वाण सागर नहर परियोजना उ.प्र. में व्याप्त घोर वित्तीय अनियमितता की जांच केंद्रीय जांच अन्वेषण ब्यूरो (CBI) या सीएजी (कैग) से कराने के संबंध में।
महोदय केंद्र सरकार के वित्तीय सहयोग से उत्तर प्रदेश में संचालित वाण सागर नहर परियोजना इंजीनियरों व ठेकेदारों की मिली भगत से भष्ट्राचार की भेट चढ़ गई है। सन् 1990-91 से प्रारंभ यह परियोजना 24 साल बाद भी पूरी नहीं की जा सकी। प्रारंभ में महज 669 करोड़ की लागत से तैयार की जाने वाली इस परियोजना में अब तक करीब 3100 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन अधिकतर कार्य अभी भी अधूरे पड़े हैं।