उत्तर प्रदेश

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लायन सफारी होगी दुनिया भर में लोकप्रिय
Posted on 06 Oct, 2013 01:47 PM डकैतों की शरणस्थली यमुना के बीहड़ में बब्बर शेर अगले कुछ महीनों में ही दहाड़ेंगे। यमुना के किनारे करीब 2912 एकड़ ज़मीन में फैला हुआ य
हिंडन नदी में कालोनियों की ‘बाढ़’
Posted on 04 Oct, 2013 03:43 PM आमतौर पर हिंडन नदी दो बड़ी समस्याओं से जूझ रही है। एक है, शहर व औद्योगिक गंदे नालों से नदी में जाने वा
पर्यावरण एवं जल संरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम
Posted on 02 Oct, 2013 04:07 PM पर्यावरण और जल संरक्षण प्रशिक्षण1 अक्टूबर 2013 को ‘पर्यावरण मित्र -जल’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण शिक्षण केन्द्र लखनऊ व भारत उदय एजूकेशन
पॉवर प्लांटों का जन विरोध
Posted on 10 Sep, 2013 10:18 AM यमुनापार की उपजाऊ ज़मीन पर भू माफियाओं और पूँजीपतियों की गिद्ध नजर लगी हुई है। सरकार व पूँजीपतियों द्वारा किसानों को भूमिहीन बनाने की साजिश हो रही है। किसानों में फूट डालकर व उन्हें झूठी लालच देकर उनकी ज़मीन बड़ी आसानी से छीनी जा रही है, लेकिन अब आगे ऐसा नहीं होगा। विस्थापन विरोधी जन संघर्ष मोर्चा किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देगा। जल्द ही इस मोर्चें में करीब एक लाख किसानों, मज़दूरों को जोड़ा जाएगा। जिससे जिले में किसानों की लड़ाई को देश की राजधानी दिल्ली तक लड़ी जा सके।जिले में स्थापित हो रहे तीन दैत्याकार पॉवर प्लांटों के लिए व्यापक पैमाने पर भूमि अधिग्रहण से विस्थापित इलाहाबाद के मेजा, बारा व करछना तहसील के किसान और मज़दूर अब बड़े आन्दोलन के मूड में हैं। इस संबंध में किसानों ने सोमवार को बैठक कर ‘विस्थापन विरोधी जन संघर्ष मोर्चा’ का गठन किया। किसानों ने कहा कि आगे की लड़ाई इसी बैनर से लड़ी जाएगी। बैठक के दौरान मोर्चे की कमेटी गठित की गई। 11 सदस्यीय कमेटी में विस्थापन का दंश झेल रहे उन सभी किसानों को शामिल किया गया है, जो पिछले करीब एक साल से भूमि अधिग्रहण व मुआवज़े के सवाल पर आन्दोलन कर रहे हैं। मेजा एनटीपीसी से विस्थापित किसान मूलचंन्द्र को सचिव तथा राजकुमार यादव को कोषाध्यक्ष चुना गया। छोटे लाल सिंह, शिवसागर बिन्द, जगजीवन लाल, रमाकांत निषाद, राजु कुमार निषाद, रामअनुग्रह, लाल बहादुर, रमाकांत यादव व लालजी मुसहर को कमेटी का सदस्य चुना गया है।
पत्थर जैसी जिंदगी है पत्थर तोड़ने वालों की
Posted on 06 Sep, 2013 11:09 AM अवैध खनन पर चर्चा में अक्सर मज़दूरों की अनदेखी कर दी जाती है। लेकिन विंध्य क्षेत्र की पत्थर खदानों में काम करने वाले आदिवासी मजदूर कुछ दिनों से आंदोलन की राह पर हैं। नेता, नौकरशाही और ठेकेदारों की तिकड़ी ने इन्हें एक तरह से बंधुआ मजदूर बना रखा है। इनकी व्यथा-कथा बयान कर रही हैं सीमा आज़ाद।
दुर्गा ने मोर्चा संभाला तो हो गई निलंबित
Posted on 26 Aug, 2013 04:15 PM नोएडा में अवैध खनन के खिलाफ पहली बार इतना हो-हल्ला मचा है। दरअसल,
अवैध पर संगठित उद्योग
Posted on 26 Aug, 2013 03:46 PM दिल्ली और उससे लगे इलाकों में जहां एक तरफ रियल एस्टेट कारोबार का रकबा बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों और नदियों के तट पर अवैध खनन। राष्ट्रीय हरित पंचाट (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने भी इस पर चिंता जताई है। गौतमबुद्ध नगर सदर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल की इस बाबत सख्ती सपा के कुछ स्थानीय छुटभैयों को अखर गई और उसे निलंबित कर दिया गया। इस घटनाक्रम से अवैध खनन को लेकर चिंता सतह पर आ गई है।
आर्सेनिक से बचाव के लिए जरूरी है कुएँ का पानी
Posted on 10 Aug, 2013 03:19 PM आर्सेनिक ग्रसित इलाके बलिया और भोजपुर में वैज्ञानिक पीने योग्य पानी के लिए पारंपरिक कुओं की ओर लौटने की सलाह दे रहे हैं। गैर-सरकारी संगठन ‘इनर वॉयस फ़ाउंडेशन’ और 95 वर्षीय धनिकराम वर्मा की पहल से कुओं को साफ किया जा रहा है। बलिया नगरपालिका ने भी शहर के 25 कुओं का जीर्णोंद्धार करने की घोषणा की है। उत्तर प्रदेश का बलिया और बिहार का भोजपुर जिला आर्सेनिक की चपेट में है। आर्सेनिक युक्त पानी पीने से यहां के लोग पहले मेलानोसिस (शरीर के विभिन्न अंगों पर काले धब्बे पड़ना), फिर केटोसिस (काले धब्बों का गांठ में तब्दील होना और उसमें मवाद भर जाना) और अंततः कैंसर से पीड़ित होकर मरने को विवश हैं। कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कूल ऑफ एन्वायरमेंटल स्टडीज के निदेशक प्रोफेसर दीपांकर चक्रवर्ती ने ‘शुक्रवार’ को बताया, ‘बलिया और भोजपुर का शाहपुर इलाक़ा एशिया के सर्वाधिक आर्सेनिक ग्रस्त इलाकों में से एक है।’ पिछले दो दशकों के दौरान इस इलाके में कम-से-कम 2000 लोगों की मौत आर्सेनिक युक्त पानी पीने से हो चुकी है।

दरअसल 1990 के दशक में केंद्र और राज्य सरकारों ने पूरे देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पीने योग्य पानी पहुंचाने के लिए हैंडपंप (नलकूप) लगवाने शुरू कर दिए। डॉक्टरों ने भी अपने मरीज़ों को कुएँ का पानी नहीं पीने और साफ पानी के लिए नलकूप का पानी इस्तेमाल करने के लिए कहना शुरू कर दिया।
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