उत्तर प्रदेश

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दिमागी बुखार यानी इंसेफेलाइटिस - हर-साल की तबाही (Dimagi Bukhar Or Encephalitis - Every year's catastrophe)
Posted on 19 Aug, 2017 10:56 AM
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मस्तिष्क ज्वर पीड़ित मासूमों की अकाल मौतों ने देश को हिला कर रख दिया है। इसलिये बीमारी भले उनकी सांसें टूटने की पहली वजह बताई जाती रही हो, लेकिन ऑक्सीजन गैस सिलिंडर की जानबूझकर बनाई कमी ने उनको समय से पहले ही मार दिया। अब यह बचाव के लिये व्यर्थ की लीपापोती है कि बच्चे बीमारी से ही मरे। इसलिये अगर कोई कार्रवाई होती है तो उसके दो ही प्रस्थान-बिं
सिक्के के दो पहलू हैं गंगा एवं भारत
Posted on 09 Aug, 2017 03:51 PM
सदियों से गंगा मानव जाति को जीवन जीने की कला सिखा रही है। मनीषियों ने गंगा को देव संस्कृति का जीवंत प्रतीक कहा है। उनके अनुसार गंगा संवेदनों का जीवंत स्वरूप है। वास्तव में गंगा केवल जल नहीं, पूरा हिंदुस्तान उसमें दिखाई देता है। यह अद्भुत साम्य है कि पवित्रता की श्खिर गंगा के स्वर्ग से अवतरण और गायत्री जयंती की तिथि एक ही है, या यूँ कहें कि एक ही महासत
निर्मल हिण्डन उद्गम यात्रा से प्रमाणित हुआ हिण्डन का वास्तविक उद्गम
Posted on 09 Aug, 2017 11:11 AM
पचास के दशक से यमुना नदी की प्रमुख सहायक नदी हिण्डन का उद्गम सहारनपुर में पुर का टांडा गाँव के जंगल को माना जाता रहा है, लेकिन नई खोज से हिण्डन नदी के उद्गम को लेकर चल रही जद्दोजहद आखिर अब समाप्त हो चुकी है। ब्रिटिश गजेटियर, सेटेलाइट मैपिंग और ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हायड्रोलॉजी’, रुड़की के अनुसार हिण्डन का वास्तविक स्थल शिवालिक हिल्स के नीचे की पहाड़ियाँ हैं। यहाँ पानी घने जंगल और कुछ झरनों से बहता है, जिससे कि हिण्डन नदी बनती है। यह नदी सहारनपुर जनपद की बेहट तहसील के मुजफ्फराबाद ब्लॉक के ऊपरी भाग के निचले हिस्से से निकलती है। इस धारा को यहाँ बसे वन गुर्जर कालूवाला खोल व गुलेरिया के नाम से जानते हैं जोकि आगे चलने पर हिण्डन बनती है,
जल मंथन (Water Churning in Hindi)
Posted on 06 Aug, 2017 11:34 AM

भावी पीढ़ी के लिये बन रहे बड़े संकट का कारक क्या है सबको पता है। जल का, विशेषकर पेयजल की

जल समस्या के कारण और निवारण (Water Problem: Causes and Prevention in Hindi)
Posted on 05 Aug, 2017 04:53 PM

दूर संचार माध्यमों, प्रचार साधनों के माध्यम से जल-संकट की समस्या जन-जन तक पहुँचाकर जन-मान

पर्यावरण चेतना : एक प्रयास जागरुकता का
Posted on 05 Aug, 2017 11:11 AM

किसी विद्वान ने सत्य कहा है कि पर्यावरण को यथावत छोड़ दिया जाए तो वह निरंतर लाखों सालों त

सिंचाई के अभाव में अब नहीं सूखने दिए जाएंगे बुन्देलखण्ड के खेत
Posted on 22 Jun, 2017 12:49 PM
उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह से ‘दैनिक भास्कर’ की विशेष बातचीत
अल्लाबक्शपुर में जारी कैंसर का कहर
Posted on 17 Jun, 2017 03:43 PM
कैंसर की गिरफ्त में फँसे एक और मरीज ने दम तोड़ा, 18 दिन बीतने के बाद भी विभाग ने नहीं ली सुध
पर्यावरण रक्षक पलाश
Posted on 13 Jun, 2017 04:20 PM
पलाश का वैज्ञानिक नाम ‘ब्यूटिया मोनोस्पर्मा’ है। पलाश, भारत का एक सुपरिचित वृक्ष है। यह मझोला 10 से 15 फुट ऊँचा पतझड़ी वृक्ष है। इसके पत्तों में एक डंठल में तीन पत्तक होते हैं। शायद इसी कारण ‘ढाक के तीन पात’- वाली कहावत लोक जीवन में मशहूर हुई।
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