अल्लाबक्शपुर में जारी कैंसर का कहर


कैंसर की गिरफ्त में फँसे एक और मरीज ने दम तोड़ा, 18 दिन बीतने के बाद भी विभाग ने नहीं ली सुध

ब्रजघाट गंगानगरी से जुड़े हाइवे किनारे वाले गाँव अल्लाबक्शपुर में कैंसर के कहर ने 9 हजार की आबादी को बुरी तरह खौफजदा किया है। क्योंकि महज 21 दिनों के भीतर 27 मई तक गाँव में महिलाओं समेत 99 मरीजों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकांश लिवर और आंतों के कैंसर से पीड़ित थे। गढ़मुक्तेश्वर। महज 12 दिनों में महिलाओं समेत 99 लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद भी गढ़ क्षेत्र के गाँव अल्लाबक्शपुर में कैंसर का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसने चार दिन पहले महिला की जान लेने के बाद एक और मरीज की जिंदगी छीन ली है। गाँव में अब भी कई ग्रामीण बीमारी की गिरफ्त में फँसे हुए हैं।

ब्रजघाट गंगानगरी से जुड़े हाइवे किनारे वाले गाँव अल्लाबक्शपुर में कैंसर के कहर ने 9 हजार की आबादी को बुरी तरह खौफजदा किया है। क्योंकि महज 21 दिनों के भीतर 27 मई तक गाँव में महिलाओं समेत 99 मरीजों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकांश लिवर और आंतों के कैंसर से पीड़ित थे। इतना सबकुछ होने के बाद भी कैंसर का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसने 12 जून को लिवर कैंसर से पीड़ित चल रही किसान अफरोज खां की पत्नी फरजाना को मौत की नींद सुलाने के बाद तड़के में मजदूर खलील अब्बासी 50 साल की जिंदगी छीन ली। परिजनों ने बताया की तीन माह पहले करायी गई जाँच में आंतों में कैंसर और सिर में ट्यूमर की पुष्टि होने पर मेरठ के निजी चिकित्सक से इलाज कराया जा रहा था। परिजनों की मानें तो भैंस बेचने के साथ ही ब्याज पर कर्ज लेकर इलाज कराया गया, लेकिन फिर भी खलील की जान नहीं बच पाई।

तीन सप्ताह में 99 की गई जान : महज तीन सप्ताह के भीतर 27 मई तक कैंसर के कहर ने गाँव में महिलाओं समेत 99 मरीजों की जान ले ली थी। जिनमें आस मुहम्मद, शरीफ, बुंदू, इलियास, कनीज, महफूदा, अफसरी, शफातुल्ला, इदरीस, खालिद, संतबीर शामिल हैं, जबकि 12 जून को फरजाना और 15 जून को मजदूर खलील की मौत हो गई है। पर्यावरणविद प्रो. अब्बास अली कहते हैं कि फैक्ट्रियों के दुष्प्रभाव समेत कीटनाशकों का अन्धाधुन्ध इस्तेमाल होने के करीब तीन सौ फुट गहराई वाला पानी अब पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह पाया है। इसलिये हेपेटाइटिस और कैंसर से प्रभावित गाँवों में टंकी से पेयजल सप्लाई दिलाना बेहद जरूरी हो गया है। बीमारों में शमशाद, मरगूब, अफसाना, मुस्तकीना, फरजाना, खलील, तौसीफ, जब्बार, नरेश समेत करीब दो दर्जन ग्रामीण इस संगीन बीमारी की गिरफ्त में फसे हुए हैं। जिनमें कई को मेरठ-दिल्ली के अस्पतालों से परिजन घर ले आए हैं।

Path Alias

/articles/alalaabakasapaura-maen-jaarai-kaainsara-kaa-kahara

Post By: Hindi
×