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पचास के दशक से यमुना नदी की प्रमुख सहायक नदी हिण्डन का उद्गम सहारनपुर में पुर का टांडा गाँव के जंगल को माना जाता रहा है, लेकिन नई खोज से हिण्डन नदी के उद्गम को लेकर चल रही जद्दोजहद आखिर अब समाप्त हो चुकी है। ब्रिटिश गजेटियर, सेटेलाइट मैपिंग और ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हायड्रोलॉजी’, रुड़की के अनुसार हिण्डन का वास्तविक स्थल शिवालिक हिल्स के नीचे की पहाड़ियाँ हैं। यहाँ पानी घने जंगल और कुछ झरनों से बहता है, जिससे कि हिण्डन नदी बनती है। यह नदी सहारनपुर जनपद की बेहट तहसील के मुजफ्फराबाद ब्लॉक के ऊपरी भाग के निचले हिस्से से निकलती है। इस धारा को यहाँ बसे वन गुर्जर कालूवाला खोल व गुलेरिया के नाम से जानते हैं जोकि आगे चलने पर हिण्डन बनती है, जबकि पुर का टांडा से निकलने वाला पानी का स्रोत सहारनपुर जनपद के ही खजनावर में आकर हिण्डन में मिल जाता है। यह हिण्डन नदी का सहायक स्रोत है। इसमें पानी मात्र बरसात में ही आता है।
निर्मल हिण्डन उद्गम यात्रा 5 अगस्त, 2017 को उत्तर प्रदेश सरकार की हिण्डन समिति के अध्यक्ष व मेरठ के मण्डलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार की हिण्डन समिति के उपाध्यक्ष व सहारनपुर के मण्डलायुक्त दीपक अग्रवाल, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की सलाहकार श्रीमति अनीता सिंह, जिलाधिकारी सहारनपुर, जिला वानिकी अधिकारी, सहारनपुर, हिण्डन समिति के सदस्य सचिव एस एन सिंह, निर्मल हिण्डन अभियान के सदस्य व नीर फाउंडेशन के संचालक रमन कान्त तथा गंगा विचार मंच, शामली के उमर सैफ के साथ प्रारम्भ हुई।
गौरतलब है कि अपने सभी तर्कों का आधार देते हुए नीर फाउंडेशन द्वारा हिण्डन समिति के अध्यक्ष तथा मेरठ के मण्डलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार से अनुरोध किया था कि वे हमारी बातों का यकीन करते हुए सिंचाई विभाग की टीम हमारे साथ भेज दें, जिससे कि हम अपनी खोज को प्रमाणित कर सकें। हमारे अनुरोध पर मण्डलायुक्त महोदय ने स्वयं ही सभी अधिकारियों के साथ हिण्डन उद्गम जाने के लिये तैयार हो गए। इससे उत्साहित होकर नीर फाउंडेशन ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा, भारत सरकार के डायरेक्टर जरनल यू.पी. सिंह से भी आग्रह किया गया कि वे भी हमारे साथ एनएमसीजी की एक टीम हमारे साथ भेज दें, लेकिन एनएमसीजी ने किसी को नहीं भेजा। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की सलाहकार श्रीमति अनीता सिंह इस यात्रा में हमारे साथ रहीं।
![हिण्डन उद्गम यात्रा](https://farm5.staticflickr.com/4346/36045343170_86284fab18.jpg)
यहाँ से पूरी टीम कालूवाला टोंगिया गाँव के निकट वन चोकी पहुँची। कालूवाला खोल अर्थात हिण्डन नदी में बरसात का पानी अधिक आने के कारण सभी गाड़ियों का आगे जाना संभव नहीं था क्योंकि कालूवाला टोंगिया गाँव से आगे कालूवाला खोल अर्थात हिण्डन नदी के बैड में करीब 8 किलोमीटर चलकर हाण्डा-कुन्डी व बरसनी नदी तक पहुँचना था। बैड में फॉरेस्ट विभाग की गाड़ी एक किलोमीटर तक ही चल सकी, यहाँ से निर्मल हिण्डन की पूरी टीम ने डॉ. प्रभात कुमार के नेतृत्व में पैदल ही गन्तव्य तक पहुँचे। हालाँकि उधर से वापस आते समय ट्रैक्टर ट्रॉली से कालूवाला टोंगिया गाँव तक आए।
कालूवाला टोंगिया से नदी के बैड से लेकर बरसनी नदी तक आठ किलोमीटर तक कालूवाला खोल अर्थात हिण्डन नदी की चौड़ाई लगभग 100 मीटर है। इस खोल अर्थात नदी में कई छोटी-छोटी धाराएँ मिलती रहती हैं। पेड़ों की जड़ों से रिसता हुआ पानी सीधे नदी की मुख्य धारा में आकर मिलता रहता है। बैड के चारों ओर अलग-अलग प्रजातियों के वृक्ष मौजूद हैं। रास्ते में दोनों ओर पहाड़ियाँ, तितलियाँ, गिरगिट व रुके पानी में मछलियाँ जगह-जगह दिखती हैं। बैड की धाराओं में से निकलकर तथा पत्थरों से चढ़कर निर्मल हिण्डन की टीम ने दोनों धाराओं को देखा।
कालूवाला खोल गुलेरिया अर्थात हिण्डन नदी की दोनों धाराओं बरसनी व हाण्डा-कुन्डी को देखने के बाद डॉ. प्रभात कुमार ने माना कि यही वास्तविक हिण्डन धारा है, क्योंकि यह पानी ही हिण्डन नदी में बहता है। जबकि पुर का टांडा से निकलने वाली धारा बहुत छोटी और संकरी है जिसमें कि पानी भी नहीं है। उन्होंने बताया कि आगे हमारा प्रयास होगा कि इस बड़ी धारा को ही हिण्डन माना जाए। इसके लिये जो भी कार्य कानूनी रूप से आवश्यक हैं उन सबको किया जाएगा। आज की यात्रा से निर्मल हिण्डन के कार्य को नए तरीके से करने की जरूरत है।
![हिण्डन उद्गम यात्रा](https://farm5.staticflickr.com/4403/35607220644_4760b5786a.jpg)
निर्मल हिण्डन अभियान के सदस्य व नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन कान्त बताते हैं कि हम पिछले एक वर्ष से इन धाराओं को चिन्हित करके इनपर कार्य कर रहे थे। हम इस तर्क के आधार पर कार्य कर रहे थे कि नदी ही समुद्र में मिलती है न कि समुद्र नदी में मिलता है। उत्तर प्रदेश सरकार की हिण्डन समिति के अध्यक्ष के तौर पर डॉ. प्रभात कुमार का पूरी टीम के साथ इन स्रोतों पर पहुँचना तथा उनको तथ्यों के आधार पर सही मानना बताता है कि हम सही थे। इस दौरे से हिण्डन को एक नया जीवन देने में मदद मिलेगी। अब हिण्डन के लिये नए स्तर से कार्य योजना तैयार हो सकेगी। हम इन धाराओं पर कार्य करेंगे। इस क्षेत्र को हम इको सेंसेटिव जोन मानकर कार्य करेंगे। इससे किसी भी प्रकार की छेड़-छ़ाड़ न करके प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए कार्य करेंगे। जिससे कि हर समय हिण्डन में साफ पानी बहता रह सके। खजनावर से ऊपर के क्षेत्र का सम्पूर्ण अध्ययन करके उसमें छोटे चेक-डैम बनाने तथा वृक्षारोपण का कार्य भी करेंगे। हमारी योजना यहाँ बसे वन गुर्जरों के बच्चों को पढ़ाने के लिये हिण्डन निर्मल स्कूल बनाने की भी है। हम हिण्डन उद्गम व वहाँ की अन्य धाराओं का चिन्हांकर करके शीघ्र ही शिलालेख स्थापित करेंगे।
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उल्लेखनीय है कि मार्च, 2017 में मेरी हिण्डन-मेरी पहल की टीम ने ब्रिटिश गजेटियर तथा सेटेलाइट नक्शे को आधार बनाकर हिण्डन उद्गम यात्रा प्रारम्भ की थी। यह यात्रा कठिन और जोखिम भरी थी। यहाँ पहुँचने के दो रास्ते हैं। पहला रास्ता सहारनपुर-छुटमलपुर-देहरादून मार्ग पर मोहण्ड स्थित वन चेक पोस्ट से शिवालिक वन क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद आता है। मोहण्ड वन चौकी से करीब दस किलोमीटर चलने के पश्चात कालूवाला टोंगिया गाँव की वन चोकी आती है जहाँ से कालूवाला खोल अर्थात हिण्डन नदी के बैड में प्रवेश कर जाते हैं। दूसरा रास्ता मुजफ्फराबाद ब्लॉक से होकर गाँवों से होता हुआ कालूवाला खोल अर्थात हिण्डन नदी के किनारे-किनारे चलते हुए कालूवाला टोंगिया पहुँचता है। बरसात में मोहण्ड वाले रास्ते से जाना कठिन है क्योंकि रास्ते में सलोनी नदी व हिण्डन नदी दोनों का बैड पड़ता है जिन पर कि कोई पुल नहीं बना है।
![हिण्डन उद्गम यात्रा](https://farm5.staticflickr.com/4334/35607219654_e4f3f48f3c.jpg)
![हिण्डन उद्गम यात्रा](https://farm5.staticflickr.com/4415/36045344350_05e1f34326.jpg)
निदेशक, 9411676951
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