तमिलनाडु

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खुले में शौच मुक्त निर्मल भारत बनाने के लिये प्रधान मंत्री जी से निवेदन
Posted on 20 Apr, 2018 02:09 PM


माननीय प्रधानमंत्री महोदय
श्री नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी जी,


तमिलनाडु में स्थित तिरुची के सेनिटेशन के क्षेत्र से जुड़ी गैर सरकारी संगठन 'ग्रामालय' की ओर से भारत के नए प्रधानमंत्री जी को उनकी ऐतिहासिक विजय पर हार्दिक बधाइयाँ।

Toilet
सफाई की जिद से बनी गाँव की लीडर
Posted on 29 Jan, 2018 12:34 PM

अपने काम के बारे में खुद जिक्र करने से कई लोग मुझे घमंडी समझते हैं, मगर उन्हें अंदाजा नहीं कि जिस बदलाव को

आकाश में टंगी आँखें खोज सकती हैं समुद्र में छिपे सांस्कृतिक अवशेष (Geospatial techniques help in marine archaeology)
Posted on 01 Dec, 2017 09:32 AM
वास्को-द-गामा (गोवा) : कृत्रिम उपग्रहों और रिमोट सेंसिंग तकनीक वाली भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग प्राकृतिक व सांस्कृतिक संसाधनों को समझने के लिये बड़े पैमाने पर हो रहा है। अब भारतीय वैज्ञानिकों ने इस प्रौद्योगिकी का उपयोग तमिलनाडु के तट पर समुद्र में डूबे खण्डहरों को खोजने के लिए किया है।
नहीं छोड़ना चाहते थे पानी, कावेरी पंचाट के आदेश के कारण मजबूर - मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या
Posted on 04 Jul, 2017 10:45 AM
कर्नाटक भी जलाभाव वाले जिलों को पेयजल की आपूर्ति करने के साथ
kaveri
जल संकट की चपेट में दक्षिणी राज्य
Posted on 08 Apr, 2017 03:05 PM
उत्तरी कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के
मुंडम : मौखिक परम्परा का प्रकृति गान
Posted on 19 Feb, 2017 12:16 PM
आदिवासी परम्पराओं को आधुनिक समाज पुरातनपंथी, अवैज्ञानिक और बीते समय की बात कहता रहा है। लेकिन, असल में जनजातीय समाज की परम्पराओं, गीतों, त्योहारों, भोजन, वस्त्र, जीवनशैली का गम्भीरता से अध्ययन करें तो हम पाएँगे कि उनकी प्रत्येक परम्परा प्रकृति को उसके मूल रूप में अक्षुण्ण रखने का एक प्रयास है
कावेरी - बैर मिट पाएगा
Posted on 31 Dec, 2016 10:54 AM
अनुपम मिश्र लेखक, सम्पादक, फोटोग्राफर। पर अनुपम जी को तो देश गाँधीवादी और पानी-पर्यावरण के जानकार के तौर पर ही पहचानता है। 1948 में महाराष्ट्र के वर्धा में प्रसिद्ध जनकवि भवानी प्रसाद मिश्र और सरला मिश्र के घर अनुपम जी का जन्म हुआ था। 1968 में गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली, के प्रकाशन विभाग में सामाजिक काम और पर्यावरण पर लेखन कार्य से जुड़े। तब से ही गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान की पत्रिका गाँधी मार्ग पत्रिका का सम्पादन करते रहे। कुछ जबरदस्त लेख, कई कालजयी किताबें, उनकी रचना संसार का हिस्सा बनीं। उनकी कालजयी पुस्तक 'आज भी खरे हैं तालाब' को खूब प्यार मिला, मेरी जानकारी में हिन्द स्वराज के बाद इसी पुस्तक ने कार्यकर्ताओं की रचना की, सैंकड़ों पानी के कार्यकर्ता। पानी-पर्यावरण के कार्यकर्ताओं ने अनुपम जी का लेखन और विचार का खूब उपयोग किया अपने काम के लिये। आज वो हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके विचार हमारे बीच हैं, हम उनके सभी लेख धीरे-धीरे पोर्टल पर लाएँगे, ताकि विचार यात्रा निरन्तर जारी रहे। - कार्यकारी संपादक

कावेरी नदीकावेरी नदीकावेरी की गिनती हमारे देश की उन सात नदियों में की जाती है, जिनका नाम देश भर में सुबह स्नान के समय या किसी भी मांगलिक कार्य से पहले लिया जाता है। इस तरह पूरे देश में अपनी मानी गई यह नदी आज प्रमुख रूप से दो राज्यों के बीच में ‘मेरी है या तेरी’ जैसे विवाद में फँस गई है। इसमें दो प्रदेश- कर्नाटक और तमिलनाडु के अलावा थोड़ा विवाद केरल व पुदुचेरी का भी है। कुल मिलाकर नदी एक है। उसमें बहने वाला पानी सीमित है या असीमित है, यह लालच तो उसका है, जो इसमें से ज्यादा-से-ज्यादा पानी अपने खेतों में बहता देखना चाहता है।

सत्रह साल विवाद में फँसे रहने के बाद जब पंचाट का फैसला आया तो शायद ही कुछ क्षणों के लिये ऐसी स्थिति बनी होगी कि अब यह विवाद सुलझ गया है। घोषणा होते ही एक पक्ष का सन्तोष और दूसरे पक्ष का असन्तोष सड़कों पर आ गया।
Kaveri
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