सलिल मुखिया
सलिल मुखिया
मुंडम : मौखिक परम्परा का प्रकृति गान
Posted on 19 Feb, 2017 12:16 PMआदिवासी परम्पराओं को आधुनिक समाज पुरातनपंथी, अवैज्ञानिक और बीते समय की बात कहता रहा है। लेकिन, असल में जनजातीय समाज की परम्पराओं, गीतों, त्योहारों, भोजन, वस्त्र, जीवनशैली का गम्भीरता से अध्ययन करें तो हम पाएँगे कि उनकी प्रत्येक परम्परा प्रकृति को उसके मूल रूप में अक्षुण्ण रखने का एक प्रयास है