श्रीनगर जिला

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कहां से लाऊं हिम्मत जीने की
Posted on 30 Oct, 2014 02:54 PM हमारे घर के जख्मी लोगों के इलाज में 90 हजार रुपए लगे हैं जोकि हमने
पुंछ: बाढ़ की भयावह तस्वीर
Posted on 23 Sep, 2014 10:30 AM लोगों के व्यक्तिगत नुकसान के अलावा पुंछ जिले को संरचनागत नुकसान भी
झीलें बचाई होती तो जन्नत के यह हाल ना होते
Posted on 21 Sep, 2014 04:24 PM कश्मीर का अधिकांश झीलें आपस में जुड़ी हुई थीं और अभी कुछ दशक पहले तक यहां आवागमन के लिए जलमार्ग का इस्तेमाल बेहद लोकप्रिय था। झीलों की मौत के साथ ही परिवहन का पर्यावरण-मित्र माध्यम भी दम तोड़ गया। ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण की मार, अतिक्रमण के चलते कई झीलें दलदली जमीन में बदलती जा रही हैं। खुशलसार, गिलसार, मानसबल, बरारी नंबल, जैना लेक, अंचर झील, वसकुरसर, मीरगुड, हैईगाम, नरानबाग,, नरकारा जैसी कई झीलों के नाम तो अब कश्मीरियों को भी याद नहीं हैं। कश्मीर का अधिकांश भाग चिनाब, झेलम और सिंधु नदी की घाटियों में बसा हुआ है। जम्मू का पश्चिमी भाग रावी नदी की घाटी में आता है। इस खूबसूरत राज्य के चप्पे-चप्पे पर कई नदी-नाले, सरोवर-झरने हैं। विडंबना है कि प्रकृति के इतने करीब व जल-निधियों से संपन्न इस राज्य के लोगों ने कभी उनकी कदर नहीं की। मनमाने तरीके से झीलों को पाट कर बस्तियां व बाजार बनाए, झीलों के रास्तों को रोक कर सड़क बना ली।

यह साफ होता जा रहा है कि यदि जल-निधियों का प्राकृतिक स्वरूप बना रहता तो बारिश का पानी दरिया में होता ना कि बस्तियों में कश्मीर में आतंकवाद के हल्ले के बीच वहां की झीलों व जंगलों पर असरदार लोगों के नजायज कब्जे का मसला हर समय कहीं दब जाता है, जबकि यह कई हजार करोड़ रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जा का ही नहीं, इस राज्य के पर्यावरण को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देने का मामला है। कभी राज्य में छोटे-बड़े कुल मिला कर कोई 600 वेटलैंड थे जो अब बमुश्किल 12-15 बचे हैं।
Buller Lake
हमारे ही पापों की बाढ़
Posted on 21 Sep, 2014 10:07 AM पानी के रास्तों में लगातार रुकावट और पानी की जगहों पर कब्जा ‘पानी’ को बर्दाश्त नहीं है। झीलों, तालाबों और वेटलैंड पर कब्जा करके हमने पानी की जगहों को कम किया है। परिणामतः पानी हमारी जगहों में यानी हमारे घरों में घुसने लगा है। मुंबई, लेह-लद्दाख, बाड़मेर और केदारनाथ के बाद कश्मीर में आई बाढ़ को प्राकृतिक आपदा कहकर भूलने की कोशिश कर रहे हैं। पर क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है। ये ऐसी जगहें हैं या तो प
Flood in Kashmir
सर्वनाश में सर्वसम्मति
Posted on 13 Sep, 2014 01:01 PM एक दिन होगी प्रलय भी
मत रहेगी झोपड़ी
मिट जाएंगे नीलम-निलय भी
...मौत रानी के यहां उस दिन बड़े दीपक जलेंगे।

भवानीप्रसाद मिश्र
Jammu Kashmir Flood
जब नदियां करने लगीं तांडव...
Posted on 09 Sep, 2014 12:58 PM कश्मीर में बाढ़ एक सामान्य मौसमी बदलाव होता है जिससे कोई असाधारण भय या आशंका पैदा नहीं होती। घाटी में बहने वाली प्रमुख नदी वितस्ता या झेलम शायद ही कभी रौद्र रूप धारण करती हो। लोग इस सरल और शांत नदी के साथ जीना सीख गए हैं, वे भी जिनके तटवर्ती घरों के आंगन में बरसात में कभी-कभी यह प्रवेश कर ही जाती है। नदी का घरों में घुसना भी इतना शांत होता है मानो जैसे आने
पानी के बिना जिंदगी बनी अज़ाब
Posted on 19 Aug, 2014 08:41 AM जल प्रदूषित होने का मुख्य कारण मनुष्य द्वारा औद्योगिक कचरे को जलधार
टाइमबम
Posted on 18 Aug, 2014 12:28 PM दुनिया भर की सभ्यताओं के विकास में नदियों का योगदान किस कदर रहा है, यह बताने के लिए इतिहास की किताबों में अनेकों घटनाएं दस्तावेजों की भांति मौजूद हैं। सिंधु घाटी से निकले हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से लेकर नील नदी की छत्रछाया में पले-बढ़े मैसोपोटामिया के आधुनिक मिस्त्र बनने तक का सफरनामा भी बताता है कि सिर्फ नदियों की मदद से ही मानव ने जीवनयापन की बुनियादी जरूरत
बदहाल विरासत
Posted on 25 Jul, 2014 11:28 AM Martand Sun Templeजब से कश्मीर में दहशतगर्दी कुछ थमी है, गर्मियों में सैलानियों का जमघट रहने लगा है। कभी-कभी तो इतने लोग पहुंच जाते हैं कि होटलों में कमरे कम पड़ जाते है
किसानों के साथ मिट्टी के बोझ को कम करती जैविक खेती
Posted on 29 Apr, 2014 12:21 PM

एक अनुमान के मुताबिक फिलहाल करीब 350 एकड़ भूमि पर जैविक खेती की जा रही है। लेकिन अभी भी पंचायत

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