प्रदीप सती

प्रदीप सती
टाइमबम
Posted on 18 Aug, 2014 12:28 PM
दुनिया भर की सभ्यताओं के विकास में नदियों का योगदान किस कदर रहा है, यह बताने के लिए इतिहास की किताबों में अनेकों घटनाएं दस्तावेजों की भांति मौजूद हैं। सिंधु घाटी से निकले हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से लेकर नील नदी की छत्रछाया में पले-बढ़े मैसोपोटामिया के आधुनिक मिस्त्र बनने तक का सफरनामा भी बताता है कि सिर्फ नदियों की मदद से ही मानव ने जीवनयापन की बुनियादी जरूरत
क्षतिपूर्ति से हितपूर्ति
Posted on 17 Aug, 2014 04:17 PM
हजारों करोड़ रु. के जिस कैंपा फंड का मकसद उद्योगों के चलते जंगलों को हुए नुकसान की भरपाई करना है वह छत्तीसगढ़ में जेबें भरने का जरिया बन गया है।
उत्तराखंड त्रासदीः क्या हुआ, क्या बाकी
Posted on 02 Jun, 2014 09:10 AM
उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय इलाकों में बादल के कहर ने आपदा प्रबंधन तंत्र के दावों और वादों की धज्जियां उड़ा दी। संकट को भापने, बचाव के उपाय, जानकारियों का आदान-प्रदान तथा राहत के मोर्चे पर तंत्र पूरी तरह असफल रहा। 16 जून को आपदा का एक साल पूरा हो जाएगा। ऐसे में आपदा प्रबंधन तंत्र की ओर निगाहें जाना स्वाभाविक है।केदारघाटी समेत उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय इलाकों में बीते साल जो प्राकृतिक आपदा आई थी उसके असर की भयावहता के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र को भी काफी हद तक जिम्मेदार माना गया था। इसने संकट को भांपने में शुरुआती चूक तो की ही, बचाव और राहत के मोर्चे पर भी यह बुरी तरह पस्त पड़ गया था।

इस भयानक आपदा को हुए अब साल भर होने को है। केदारनाथ सहित उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा शुरू होने वाली है। इसलिए सरकार और खास तौर पर उसके आपदा प्रबंधन तंत्र की तैयारियों की तरफ निगाहें टिकना स्वाभाविक है। उम्मीद की जा रही है कि इतनी बड़ी आपदा से सबक सीखकर प्रदेश सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग अब पहले से बेहतर तरीके से तैयार होगा।
उत्तराखंड त्रासदीः क्या हुआ, क्या बाकी
Posted on 02 Jun, 2014 09:10 AM
उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय ईलाकों में बादल के कहर ने आपदा प्रबंधन त
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