सोनभद्र जिला

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36 वर्षों के बाद भी सरकारों ने नहीं ली सुध, फ्लोराइड ने सोनभद्र को किया अपाहिज
Posted on 18 Apr, 2016 01:09 PM


विकास और विनाश की बिसात में फसा मानव
नागरिकों का टूटा भरोसा, हताशा के साथ झुंझलाहट

कनहर नदी को बहने दो, हमको जिन्दा रहने दो
Posted on 04 May, 2015 12:42 PM (कनहर बाँध विरोधी आन्दोलन के धरना स्थल से भेजी गई किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच, सिंगरौली की सदस्य एकता की रिपोर्ट)

1976 में जब पहली बार कनहर और पागन नदी के संगम स्थल पर बाँध बनाए जाने की घोषणा हुई, तभी से आसपास के लगभग 100 से अधिक गाँवों के लोग, जो कि ज्यादातर आदिवासी हैं, अपने-अपने अस्तित्व का संघर्ष कर रहें हैं। कभी मुखर विरोध और कभी पैसे की कमी के कारण बन्द होते बाँध के काम ने मानों पिछले चार दशक से इन ग्रामिणों के सामने धरना प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। रिपोर्ट लिखे जाने के दौरान धरना स्थल पर दिनांक 18 अप्रैल 2015 को सुबह पुलिस ने दुबारा फायरिंग की जिसमें दर्जनों लोगों के मारे जाने की खबर है। धरना स्थल पर पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया जिससे मरे हुए और घायल साथियों को धरना स्थल से हटा पाना भी सम्भव नहीं हुआ।

खबर मिली है कि कनहर नदी में पुलिस द्वारा मृत और घायल साथियों को प्रोक्लेन मशीन द्वारा दफनाया जा रहा है ताकि सबूत मिटाया जा सके। यह एक अत्यन्त ही आपातकालीन स्थिति है। यह रिपोर्ट पढ़ने वाले साथियों से अनुरोध है कि अपने-अपने स्तर से तत्काल उचित प्रयास शुरू करें। डी.एम. सोनभद्र को फोन करके अथवा एसएमएस से इस असंवैधानिक और अमानवीय कृत्य की भर्त्सना करें। उनका फोन नम्बर 9454417569 है।
तालाबों, पोखरों और झीलों का होगा सीमांकन
Posted on 25 Apr, 2015 10:48 AM डीएम ने तय की अधिकारियों की जिम्मेदारी, ग्राम पंचायत स्तर पर गठित टीम देगी रिपोर्ट
आरओ प्लांट के लिये तरस रहा परासी गाँव
Posted on 24 Apr, 2015 03:14 PM एनजीटी के निर्देश पर गाँव का किया गया था चयन
सामूहिक खेती ने दिखाया स्व उन्नति का रास्ता
Posted on 14 Apr, 2013 10:46 AM भूमिहीन आदिवासियों को कभी भी समाज की मुख्य धारा में नहीं जोड़ा गया, बावजूद इसके उन्होंने अपनी उन्नति के रास्ते खुद तलाशे और परती की भूमि को सामूहिकता के आधार पर सुधार कर खेती प्रारम्भ की।

परिचय

पर्यावरण संतुलन बनाए रखने हेतु किया वनारोपण
Posted on 13 Apr, 2013 03:10 PM विकास के दौर में वनों के अंधा-धुंध कटान से पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हुआ। ऐसी स्थिति में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण का कार्य सीधे तौर पर तो किसी को व्यक्तिगत लाभ नहीं देती परंतु भविष्य के लिए समूचे क्षेत्र को एक बेहतर पर्यावरण के साथ आजीविका भी प्रदान करने में सक्षम है।

परिचय

सामूहिक प्रयास से बंधी निर्माण
Posted on 05 Apr, 2013 11:47 AM समाज की मुख्य धारा से कटे आदिवासी भुईया जाति के 55 परिवारों ने स्वयं के प्रयास से बसनीया नाला पर बंधी निर्माण किया और अपनी सिंचाई की समस्या हल की।

संदर्भ


ऊँचे पहाड़ व उबड़-खाबड़ ज़मीन पर खेती करने वालों के लिए सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की होती है। यहां पर रहने वालों के लिए जितना मुश्किल पानी संग्रह करना होता है, उससे अधिक मुश्किल पानी का उपयोग करना होता है। कुछ ऐसी ही स्थिति सोनभद्र जिले के दुद्धी विकासखंड अंतर्गत कलिंजर ग्राम सभा की है। बसनीया नाला के दोनों तरफ उबड़-खाबड़ जमीनों पर स्थित ग्राम सभा कलिंजर में 55 आदिवासी परिवार भुईया जाति के रहते हैं। ये भूमिहीन आदिवासी परिवार पूर्वजों से ही धारा-20 के अंतर्गत पट्टा की भूमि पर रहते हैं, खेती करते हैं। विडम्बना ही है कि बरसों बीत जाने के बाद भी जमीनों का हक इनको नहीं मिल पाया है। कुछ तो इनकी अज्ञानता और कुछ सरकारी उपेक्षा ने इन्हें भूमिहीनों की कतार में खड़ा किया है।
जल स्तर को ऊंचा करने का स्वयं का प्रयास
Posted on 05 Apr, 2013 10:41 AM बगल में नदी होते हुए भी गर्मियों में सूखा की स्थिति झेलने वाले जनपद सोनभद्र के गांव बीडर के लोगों ने स्वयं के प्रयास से कुएँ, तालाबों की खुदाई की और जल स्तर बढ़ाने का स्व प्रयास किया।

संदर्भ


पहाड़ों से घिरी गहरी बावनझरिया नदी के समीप अवस्थित ग्राम सभा बीडर जनपद सोनभद्र के विकास खंड दुद्दी का एक गांव है। इस गांव की विडम्बना यह है कि 200-300 मीटर की ढलान के बाद 15 मीटर गहरी नदी (जिसमें वर्ष भर पानी रहता है। बगल में होने के बावजूद गांव सूखा की परिस्थितियों को झेलता है।

जनपद सोनभद्र की आजीविका का मुख्य साधन खेती, खेती आधारित मजदूरी है। यहां पर वर्षा आधारित खेती होने के कारण वर्षा न होने की स्थिति में लोगों के खेत सूखे रहते हैं। नतीजतन लोगों की आजीविका एवं उसके साथ-साथ उनका जीवन-यापन बहुत मुश्किल हो जाता है।
भूमि समतलीकरण
Posted on 04 Apr, 2013 03:43 PM ऊंची नीची भूमि के कारण खेतों से बहुत सा पानी बेकार बह जाता है, जिसने सूखे विंध्य को और सूखा बनाया। तब लोगों ने भूमि समतलीकरण की तकनीक अपनाकर सूखे से मुकाबला प्रारम्भ किया।

संदर्भ


भूमि समतलीकरण से आशय है ऊंची-नीची ज़मीन को बराबर करके उसकी मेंड़ को बांधना ताकि ज़मीन की उर्वरा शक्ति एवं जल धारण क्षमता बढ़े। भूमि एवं जल प्रबंधन की यह एक पुरानी व कारगर परंपरा है, जो खेती के आधुनिक दौर में बहुत प्रचलन में नहीं है। परंतु आज जब पानी की एक-एक बूंद महत्वपूर्ण है, इस परंपरा को पुनः प्रचलन में लाना अति आवश्यक हो गया है और इसी दिशा में प्रयास करते हुए इसे प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
कनहर बचाओ आन्दोलन ने गति पकड़ी
Posted on 14 Mar, 2013 11:41 AM

प्रस्तावित कनहर बांध परियोजना से गांव के गांव नष्ट हो जायेंगे। यह बात ध्यान देने की है कि जो गांव नष्ट हो रहे

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