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‘कड़वी हवा’ का जिक्र एक मीठा एहसास
Posted on 13 Apr, 2017 03:37 PM

64वें राष्ट्रीय पुरस्कार में फिल्म कड़वी हवा की सराहना



कड़वी हवाकड़वी हवाइस बार के नेशनल अवार्ड में सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाने वाले फिल्म निर्देशक नील माधब पांडा की ताजा फिल्म ‘कड़वी हवा’ का विशेष तौर पर जिक्र (स्पेशल मेंशन) किया गया।

स्पेशल मेंशन में फिल्म की सराहना की जाती है और एक सर्टिफिकेट दिया जाता है, बस! बॉलीवुड से गायब होते सामाजिक मुद्दों के बीच सूखा और बढ़ते जलस्तर के मुद्दों पर बनी कड़वी हवा की सराहना और सर्टिफिकेट मिलना राहत देने वाली बात है।

फिल्म की कहानी दो ज्वलन्त मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती है-जलवायु परिवर्तन से बढ़ता जलस्तर व सूखा। फिल्म में एक तरफ सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड है तो दूसरी तरफ ओड़िशा के तटीय क्षेत्र हैं। बुन्देलखण्ड पिछले साल भीषण सूखा पड़ने के कारण सुर्खियों था। खबरें यह भी आई थीं कि अनाज नहीं होने के कारण लोगों को घास की रोटियाँ खानी पड़ी थी। कई खेतिहरों को घर-बार छोड़कर रोजी-रोजगार के लिये शहरों की तरफ पलायन करना पड़ा था।
मिले विलुप्त चंद्रभागा नदी के साक्ष्य
Posted on 10 Nov, 2016 11:27 AM
कोणार्क के सूर्य मन्दिर की पुरानी तस्वीरों में कई जगह उसके आस
water spring
चन्द्रभागा नदी के अस्तित्व के मिले सबूत
Posted on 28 Oct, 2016 04:49 PM
ओड़िशा का कोणार्क सूर्य मन्दिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने इस मन्दिर को हेरिटेज का दर्जा दिया है। इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ भी प्रचलित हैं। चूँकि सूर्य मन्दिर अब भी शान से खड़ा है तो इसके पीछे की पौराणिक कहानियों पर लोगों को आसानी से भरोसा हो जाता है।
कोणार्क सूर्य मन्दिर
ओडिशा का भूविज्ञान
Posted on 20 Oct, 2016 12:55 PM
भारतीय प्रायद्वीप से दक्षिण पूर्वी छोर पर स्थित समुद्र तट पर बसा ओडिशा यूँ तो कालाहांडी की अति गर्मी के कारण जाना जाता है, पर यहाँ विकास की असीम संभावनाएं हैं। इस राज्य में अर्थव्यवस्था सुधारने हेतु प्राकृतिक संसाधन एवं खनिज हैं, उद्योगों के लिये ईंधन है, कृषि के लिये मृदा है तथा सिंचाई एवं ऊर्जा उत्पादन हेतु जल है। नदियों में नदी महानदी, ब्राह्मणी एवं वैतरणी के साथ इस राज्य से होकर बहती है।
Mahanadi
महानदी विवाद : कुदरत की लक्ष्मण रेखा की अनदेखी करता विकास
Posted on 30 Sep, 2016 12:43 PM


महानदी की पहचान, मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और ओड़िशा राज्यों की पानी की माँग की पूर्ति के सबसे बड़े स्रोत के रूप में है। तकनीकी लोगों के अनुसार इसका लगभग 50.0 घन किलोमीटर पानी ही उपयोग में लाया जा सकता है। कहा जा सकता है कि महानदी, पानी के मामले में सम्पन्न और दो राज्यों के बीच प्रवाहित होने के कारण अन्तरराज्यीय नदी है।

महानदी के पानी का विवाद, रास्ता किधर है
Posted on 20 Sep, 2016 12:00 PM
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बीच अब महानदी के पानी को लेकर तलवारें खींचती जा रही है। एक तरफ छत्तीसगढ़ का कहना है कि वह अपने बड़े हिस्से में से अब तक केवल 25 फीसदी पानी का ही इस्तेमाल कर रहा है तो दूसरी तरफ उड़ीसा का कहना है कि छत्तीसगढ़ में महानदी पर 13 छोटी-बड़ी परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं। इससे उनके राज्य को यथोचित मात्रा में पानी नहीं मिल सकेगा।
महानदी के जल-बँटवारे पर विवाद
Posted on 19 Sep, 2016 03:57 PM
अभी कावेरी नदी का जल-विवाद थमने भी नहीं पाया है कि महानदी के जल-बँटवारे पर विवाद खड़ा हो गया। छत्तीसगढ़ और ओड़िशा राज्यों के बीच चल रहा यह विवाद भी 33 साल पुराना है। महानदी के जल-बँटवारे को लेकर पहला समझौता अविभाजित मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और ओड़िशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक के बीच 28 अप्रैल 1983 को हुआ था।
महानदी के पानी में फैला राजनीति का रोग
Posted on 19 Sep, 2016 03:37 PM
महानदी के पानी को राजनीति का रोग लग गया है। कावेरी के जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु का विवाद अभी शान्त नहीं हुआ था कि महानदी के पानी को लेकर छत्तीसगढ़ और ओड़िशा आमने-सामने आ गए। इस तरह देश में जल विवाद का मुद्दा गरमा गया। कावेरी की तरह ही महानदी जल विवाद भी अचानक सामने नहीं आया है। बल्कि यह विवाद भी काफी पुराना और अविभाजित मध्य प्रदेश के जमाने से ही
40 बरस से चरम पर पहुँच रहा महानदी विवाद
Posted on 04 Sep, 2016 04:15 PM
1. महानदी के कछार को लेकर ओड़िशा और छत्तीसगढ़ के बीच करीब चार दशकों से विवाद चल रहा है।
2. केन्द्र इस प्रकरण में कई बार हस्तक्षेप कर चुका है। 28 अप्रैल, 1983 को दोनों राज्यों के बीच समझौता भी हो चुका है।
3. तब अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह और ओड़िशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिवंगत जेबी पटनायक ने हस्ताक्षर भी किये थे।

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