ओडिशा

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सस्ता, सुलभ, सरल ज्ञान
Posted on 17 Sep, 2018 06:28 PM गोंडों का काटा तालाब (फोटो साभार - डाउन टू अर्थ)द्रविड़ मूल की सबसे प्रमुख जनजाति गोंड भारत की अनार्य जनजातियों में सबसे महत्त्वपूर्ण है। गोंड साम्राज्य स्थापित करने में माहिर थे। नौवीं शताब्दी तक मध्य प्रान्त के सम्पूर्ण पूर्वी भाग और सम्बलपुर के एक बहुत बड़े क्षेत्र में गोंडों का साम्राज्य स्थापित हो
गोंडों का काटा तालाब
Biomass of invasive weed can help treat toxic waste
Posted on 23 Aug, 2018 03:16 PM


Prosopis Juliflora is an invasive weed with abundant spread in India. Called Seemai Karuvelam in Tamil and Vilayati Babul in Hindi, it has outstanding capability to survive and grow on dry arid and saline lands.

Researchers at IIT Madras
पुरी में मिले लुप्त हो चुकी नदी के निशान
Posted on 09 Aug, 2018 04:10 PM
नदी मानचित्र पुरी (फोटो साभार : इंडिया साइंस वायर) नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन में ओडिशा के पुरी शहर में पानी के एक पुराने प्रवाह मार्ग के निशान मिले हैं, जिसके बारे में शोधकर्ताओं का मानना है कि ये निशान लुप्त हो चुकी सारदा नदी के हो सकते हैं, जिसका उल्लेख ऐतिहासिक ग्रन्थ
नदी मानचित्र पुरी (फोटो साभार : इंडिया साइंस वायर)
ਮੋਟੇ ਅਨਾਜ ਆਧਾਰਿਤ ਜੈਵ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਖੇਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ - ਖਾਧ ਸੰਪ੍ਰਭੂਤਾ ਵੱਲ ਇੱਕ ਕਦਮ
Posted on 29 Mar, 2016 11:24 PM
ਮੋਟੇ ਅਨਾਜ ਉਚ ਪੋਸ਼ਣ ਯੁਕਤ ਖਾਧ ਫ਼ਸਲਾਂ ਜੋ ਜਲਵਾਯੂ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦੀਆਂ ਸਥਿਤੀ
विश्व जल
अभिलेखों की कालकोठरी
Posted on 26 Mar, 2015 03:10 PM नरेगा में अधिनियम और दिशा-निर्देश वस्तुतः पारदर्शी सुरक्षा उपायों
फसल वाले तालाब
Posted on 22 Feb, 2015 10:15 PM ओडिशा एक खेतिहर राज्य है और वह इस समय फसल की बीमारियों से भयंकर लड़ाई में उलझा हुआ है। जहाँ तीन हजार से ज्यादा किसान पिछले दशक के दौरान आत्महत्या कर चुके हैं, वहीं हाल के वर्षों में ऐसे मामलों की संख्या अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी है। इससे सरकार और कृषक जगत के सामने एक नयी समस्या खड़ी हो गई है। सरकार ने किसानों को इस मुसीबत से बचाने के कई उपायों का ऐलान किया है, वहीं कृषक समुदाय भी इस बुराई से निपटने के
समृद्धि की पाइप
Posted on 02 Feb, 2015 12:31 AM भारत के सबसे पिछड़े जिलों में से एक जिले के गाँव ने यह दिखा दिया कि उनके इलाके को पिछड़ा रखने वाले स्थायी रूप से पड़ने वाले सूखे के स्रोत को भी मोड़ा जा सकता है। ओडिशा के नूआपड़ा जिले के बैंसादानी गाँव के बुधुराम पहड़िया एक नयी सफलता की कहानी लिख रहे हैं। वह और उनके गाँव के लोगों ने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिससे उन्हें गर्व महसूस होता है। उन्होंने दिखा दिया कि न्यूनतम समर्थन व प्रोत्साहन क
दुर्लभ बीजों का रखवाला
Posted on 24 Dec, 2012 02:12 PM देश में खेती छोटे किसानों के हाथों से छूटकर बड़े निजी कारर्पोरेट घरानों के कब्जे में जा रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों से पीढ़ियों से खेती में लगे हमारे किसानों के हजारों वर्षो के ज्ञान, उनके द्वारा अपनाए जा रहे खेती के नए-नए तरीकों और जैव विविधता को ही धीरे-धीरे नष्ट कर दिया है। ऐसे में देबल देब जैस लोगों के प्रयास भले ही छोटे नजर आए पर देश के खाद्य उत्पादन प्रक्रिया के पर्यावरणीय व सामाजिक रूप से ठप्प हो जाने पर देश में भोजन की पूर्ति के लिए ये कदम काफी महत्वपूर्ण होंगे। ओडिशा के रायगड़ा जिले में एक बसाहट के बाहर केरोसीन लैंप से रोशन, दो कमरों वाली झोपड़ी, इस आदिवासी इलाके में किसी दूसरे किसान की झोपड़ी की ही तरह है। पर इस झोपड़ी के अंदर घुसते ही, एक कोने में, खाट के नीचे रखे, परची लगे हजारों मिट्टी के बरतन देखकर आप हैरान हो जायेंगे। इन बरतनों में चावल की 750 से ज्यादा दुर्लभ प्रजातियों का खजाना है। इस बीज बैंक के रखवाले हैं- देबल देब। जो पिछले 16 सालों से इन दुर्लभ प्राकृतिक बीजों का संग्रहण एवं संरक्षण कर रहे हैं। उनका एकमात्र सहारा वे किसान हैं जो आज भी इन्हीं विरासती बीजों पर निर्भर हैं। झोपड़ी से ही लगा हुआ उनका एक छोटा- सा खेत है, जहां देब अपने बीजों को संरक्षित करने के लिये इन प्रजातियों को उगाते हैं। यह जमीन बमुश्किल आधा एकड़ है। मतलब साफ है देब को हर प्रजाति के लिये कोई चार वर्ग मीटर की जमीन मिल पाती है जिसमें वे धान की सिर्फ 64 बालियां उगा सकते हैं।
ओडिशा के आदिम निवासियों का संघर्ष
Posted on 06 Jul, 2012 04:27 PM

प्रभावशाली लोगों द्वारा हथियाई गई जमीनों को वापस लेना बड़ी चुनौती है क्योंकि वे न्यायालय के आदेशों के बावजूद अभी

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