न्यू टिहरी

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नदियों के पास रहने वाले समाज की अनदेखी
Posted on 19 Apr, 2013 12:06 PM नदियों पर बांधों की श्रृंखलाएं बनाने की परियोजनाओं को महत्व दिए जाने से नदियों से लोगों का रिश्ता टूटकर निजी कंपनियों और पूंजीपति वर्ग के हाथों में नदियां चली जाएंगी। पानी और जंगल का जिस तरह रिश्ता है, उसे बरकरार रखना भी जलनीति का मुख्य बिन्दु होना चाहिए। गाड़-गदेरों व नदियों से पानी को मोड़कर सिंचाई नहरों मे आने वाले पानी का इस्तेमाल बहु उपयोगी होना चाहिये। प्रत्येक सिंचाई नहर से एक घराट चलाकर अथवा टरबाईन चलाकर बिजली बनाने का प्रयोग हमारे प्रदेश में मौजूद हैं। जिसका अनुकरण सरकार को जलनीति बनाते समय करना चाहिए। वर्षा जल संग्रहण के पारंपरिक तरीकों से सरकार को सीखना होगा। उत्तराखंड राज्य समेत सभी हिमालयी राज्यों में सुरंग आधारित जल विद्युत परियोजनाओं के कारण नदियों का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ गया है। ढालदार पहाड़ी पर बसे हुए गाँवों के नीचे धरती को खोदकर बांधों की सुरंग बनाई जा रही है। जहां-जहां पर इस तरह के बांध बन रहे हैं वहां पर लोगों द्वारा सवाल उठाये जा रहे हैं कि, मुर्दाघाटों की पवित्रता पानी के बिना कैसे बचेगी़? इन बांधों का निर्माण करने के लिए निजी कंपनियों के अलावा एनटीपीसी और एनएचपीसी जैसी कमाऊ कंपनियों को बुलाया जा रहा है। राज्य सरकार ऊर्जा प्रदेश का सपना भी इन्हीं के सहारे पर देख रही है। ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए पारंपरिक जल संस्कृति और पारंपरिक संरक्षण जैसी बातों को बिलकुल भुला दिया गया है। इसके बदले रातों रात राज्य की तमाम नदियों पर निजी क्षेत्रों के हितों में ध्यान में रखकर नीति बनाई जा रही है। निजी क्षेत्र के प्रति सरकारी लगाव के पीछे भी, दुनिया के वैश्विक ताक़तों का दबाव है। दूसरी ओर इसे विकास का मुख्य आधार मानकर स्थानीय लोगों की आजीविका की मांग को कुचला जा रहा है। बांध बनाने वाली व्यवस्था ने इस दिशा में संवादहीनता पैदा कर दी है।
टिहरी बांध प्रभावितों की नई सम्पशार्विक नीति पुराने अनुभवों के आधार पर बने
Posted on 13 Mar, 2013 10:50 AM वास्तव में जरुरत तो टिहरी बांध परियोजना जिसमें कोटेश्वर बांध भी आत
भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में प्रस्तावित जल विद्युत परियोजना को ग्रामीणों ने नकारा
Posted on 08 Oct, 2012 05:05 PM

झाला-कोटी जलविद्युत परियोजना के विरोध का केन्द्र अगुण्डा गाँव है। इसके आसपास कोटी, तितरूणा, आदि गाँव है। झाला कोटी जल विद्युत परियोजना का निर्माण अमेरिकन कम्पनी बार्कले को सौंपा गया है। नदी बचाओ अभियान की ओर से सुरेश भाई के नेतृत्व में जब उनसे परियोजना की डीपीआर मांगी तो उन्होंने बहुत आनाकानी के बाद में लगभग 300 पेज वाली डीपीआर अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध करवायी। इस डीपीआर को हिन्दी भाषा में उपलब्ध करवाने के लिये कम्पनी को लोगों ने निर्देश दिये हैं।

31 जुलाई को टिहरी के जिलाधिकारी डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा से भिलंगना ब्लॉक के अगुण्डा, कोटी, थाती, रगस्या, आगर गाँव के ग्राम प्रधानों ने नई टिहरी में मुलाकात की थी। साथ में क्षेत्र के जाने माने समाज सेवी बिहारी लाल और नदी बचाओ अभियान के सुरेश भाई की पहल से यह बैठक जिलाधिकारी के साथ इसलिये रखी गयी थी कि ग्रामीणों के परियोजना विरोधी तर्क को प्रशासन भली-भाँती समझ ले और इसका प्रस्ताव स्थगित करने हेतु शासन को भेज देवें। इसी माँग को ध्यान में रखकर ग्रामीणों ने जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी तथा उतराखंड के मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन भी भिजवाया था।
सभी प्रभावितों के लिये पुनर्वास नीति एक हो!
Posted on 29 Sep, 2012 02:35 PM नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के समय भी पुर्नवास कि स्थिति भी बहुत खराब थी। जगह-जगह पुनर्वास के लिए आन्दोलन चल रहे थे। वादियों ने अगले दिन ही 30 अक्टूबर 2005 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। लगभग 7 वर्ष से चल रहे मुकदमें में 40 से ज्यादा आदेशों द्वारा विस्थापितों के पुनर्वास की प्रक्रिया आगे बढ़ी साथ ही टिहरी बांध का जलाशय अभी भी 820 मीटर से ऊपर भरने की इजाजत नहीं है। उत्तराखंड में भागीरथी पर बने टिहरी बांध पर सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमें की अंतिम सुनवाई चालू हो गई है। माननीय न्यायाधीश ने अक्टूबर 2005 से चल रहे एन0 डी0 जुयाल व शेखर सिंह बनाम भारत सरकार, टीएचडीसी व अन्य मुकदमें में अंतिम सुनवाई की शुरुआत करते हुये 22-8-2012 को पहले वादियों से उनके सभी मुद्दों पर बिंदुवार जानकारी चाही जिनको बांध का जलाशय के पूरा भरने से पहले बांध प्रयोक्ता, टिहरी जलविद्युत निगम को पूरा करना चाहिये। जिनके लिए उन्हें तीन हफ्ते का समय दिया गया था।
गंगा पर बड़े बांधो का भ्रम
Posted on 31 Mar, 2012 04:54 PM

अलंकनंदा गंगा पर बने पहले निजी बांध (जे.पी.

अब देवसारी प्रोजेक्ट से गुस्सा
Posted on 30 Mar, 2012 12:45 PM

‘माँटू’ जनसंगठन और ‘भूस्वामी संघर्ष समिति’ का सवाल यह है कि जिस परियोजना की जनसुनवाई तीन साल में पूरी नहीं हो पा

फलेंडा जल विद्युत परियोजना : उच्च न्यायालय ने अपनाया सख्त रुख
Posted on 07 Feb, 2012 04:06 PM टिहरी गढ़वाल में भिलंगना नदी पर आंध्रप्रदेश की स्वास्ति कंपनी द्वारा बनाई जा रही 22.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चल रहे मामले में न्यायालय ने अब अपना रुख कड़ा कर लिया है। प्रदेश सरकार और केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ना-नुकुर को देखते हुए अब न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति यू.सी.
रोजगार का केंद्र बने टिहरी झील
Posted on 07 Feb, 2012 03:32 PM टिहरी बाँध विस्थापितों के अधिकारों के लिये सक्रिय ‘माटू जन संगठन’ और नागेन्द्र जगूड़ी, जगदीश रावत तथा रणवीर सिंह राणा आदि सामाजिक कार्यकर्ताओं ने टिहरी जिला पंचायत के अध्यक्ष रतन सिंह गुनसोला को एक पत्र लिख कर टिहरी व कोटेश्वर बाँध की झील में पर्यटन के लिये लाइसेंस स्थानीय निवासियों को देने की माँग की है। दैनिक अखबारों में पर्यटन विकास के नाम पर दिये गये विज्ञापन के संदर्भ में लिखे गये पत्र में आश
समस्थानिक तकनीकों द्वारा टिहरी जलाशय से जल रिसाव के स्रोतों का आंकलन
Posted on 26 Dec, 2011 09:23 AM टिहरी बाँध का निर्माण गंगा की मुख्य सहायक नदी भागीरथी पर किया गया है। टिहरी बाँध की ऊंचाई 855 फीट (260.5 मी.) है तथा यह विश्व का पाँचवा एवं एशिया क्षेत्र में सबसे ऊँचा, मृदा व चट्टानों से निर्मित बाँध है। वर्तमान में टिहरी बाँध प्रचालन स्थिति में है। बाँध के अनुप्रवाह एवेटमेंट में जल दबाव कम करने के लिए जल निकासी गैलरियों का एक जाल निर्मित किया गया है। जलाशय के भराव एवं खाली होने के दौरान विभिन्न
टिहरी बांध का जलाशय भरने से पहले पुनर्वास करो : सर्वोच्च न्यायालय
Posted on 09 Nov, 2011 10:12 AM ‘‘पुनर्वास तर्कों का विषय नहीं है। देश में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्वक रोटी, कपड़ा और रहने के लिये स्थान प्राप्त करने का हक है। प्रत्येक व्यक्ति के विकास से ही समाज का विकास होता है।’’ ये शब्द सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर0 एम0 लोधा ने न्यायमूर्ति एच0 एल0 गोखले के साथ, टिहरी 3 नवंबर को बांध संबंधी एन. डी. जयाल एंव शेखर सिंह बनाम केन्द्र सरकार और राज्य सरकार तथा अन्य मुकदमों की सुनवाई के दौरान कहे।

इसके साथ ही बांध कंपनी टिहरी जलविद्युत निगम (टीएचडीसी) द्वारा झील का जलस्तर 830 मीटर तक किये जाने का निवेदन नामंजूर कर दिया। अदालत ने टीएचडीसी को पुनर्वास के लिये उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा पुनर्वास पूरा करने के लिये मांगी गई 102.99 करोड़ की राशि देने का आदेश दिया।
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