कर्नाटक

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नहीं छोड़ना चाहते थे पानी, कावेरी पंचाट के आदेश के कारण मजबूर - मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या
Posted on 04 Jul, 2017 10:45 AM
कर्नाटक भी जलाभाव वाले जिलों को पेयजल की आपूर्ति करने के साथ
kaveri
गहरे पानी धान
Posted on 22 Jun, 2017 10:58 AM
अनुवाद - संजय तिवारी
जल संकट की चपेट में दक्षिणी राज्य
Posted on 08 Apr, 2017 03:05 PM
उत्तरी कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के
कावेरी - बैर मिट पाएगा
Posted on 31 Dec, 2016 10:54 AM
अनुपम मिश्र लेखक, सम्पादक, फोटोग्राफर। पर अनुपम जी को तो देश गाँधीवादी और पानी-पर्यावरण के जानकार के तौर पर ही पहचानता है। 1948 में महाराष्ट्र के वर्धा में प्रसिद्ध जनकवि भवानी प्रसाद मिश्र और सरला मिश्र के घर अनुपम जी का जन्म हुआ था। 1968 में गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली, के प्रकाशन विभाग में सामाजिक काम और पर्यावरण पर लेखन कार्य से जुड़े। तब से ही गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान की पत्रिका गाँधी मार्ग पत्रिका का सम्पादन करते रहे। कुछ जबरदस्त लेख, कई कालजयी किताबें, उनकी रचना संसार का हिस्सा बनीं। उनकी कालजयी पुस्तक 'आज भी खरे हैं तालाब' को खूब प्यार मिला, मेरी जानकारी में हिन्द स्वराज के बाद इसी पुस्तक ने कार्यकर्ताओं की रचना की, सैंकड़ों पानी के कार्यकर्ता। पानी-पर्यावरण के कार्यकर्ताओं ने अनुपम जी का लेखन और विचार का खूब उपयोग किया अपने काम के लिये। आज वो हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके विचार हमारे बीच हैं, हम उनके सभी लेख धीरे-धीरे पोर्टल पर लाएँगे, ताकि विचार यात्रा निरन्तर जारी रहे। - कार्यकारी संपादक

कावेरी नदीकावेरी नदीकावेरी की गिनती हमारे देश की उन सात नदियों में की जाती है, जिनका नाम देश भर में सुबह स्नान के समय या किसी भी मांगलिक कार्य से पहले लिया जाता है। इस तरह पूरे देश में अपनी मानी गई यह नदी आज प्रमुख रूप से दो राज्यों के बीच में ‘मेरी है या तेरी’ जैसे विवाद में फँस गई है। इसमें दो प्रदेश- कर्नाटक और तमिलनाडु के अलावा थोड़ा विवाद केरल व पुदुचेरी का भी है। कुल मिलाकर नदी एक है। उसमें बहने वाला पानी सीमित है या असीमित है, यह लालच तो उसका है, जो इसमें से ज्यादा-से-ज्यादा पानी अपने खेतों में बहता देखना चाहता है।

सत्रह साल विवाद में फँसे रहने के बाद जब पंचाट का फैसला आया तो शायद ही कुछ क्षणों के लिये ऐसी स्थिति बनी होगी कि अब यह विवाद सुलझ गया है। घोषणा होते ही एक पक्ष का सन्तोष और दूसरे पक्ष का असन्तोष सड़कों पर आ गया।
Kaveri
खेती में बदलाव से सुलझेगा कावेरी विवाद
Posted on 29 Oct, 2016 11:10 AM
पिछले दिनों कावेरी जल विवाद को लेकर हुई हिंसक झड़प से पता चलता है कि पानी कितना जरूरी है। यह झड़प इस ओर भी इशारा करता है कि आने वाले दिनों में पानी को लेकर किस हद तक संघर्ष हो सकता है।

कावेरी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए अब यह बहुत जरूरी हो गया है कि पानी की किल्लत की समस्या को गम्भीरता से लिया जाये और इसका माकूल हल तलाशा जाये ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

कावेरी जल विवाद के पीछे मोटे तौर पर इस नदी के पानी पर तमिलनाडु और कर्नाटक का मालिकाना हक वजह है।
कावेरी नदी जल बँटवारे पर विवाद
नदियों पर लड़ें नहीं, मिलकर रक्षा करें
Posted on 20 Sep, 2016 04:18 PM

नदी के जल के बँटवारे के न्यायसंगत समाधान के साथ ही नदी की रक्षा के लिये भी विभिन्न राज्यो

कावेरी के पानी में फिर उबाल
Posted on 18 Sep, 2016 03:10 PM
कावेरी नदी के पानी पर कर्नाटक और तमिलनाडु में फिर आग भड़की हुई है, पानी के नाम पर दोनों राज्य पिछले दो हफ्ते से सुलग रहे हैं, तमिलनाडु को दस दिन तक 15 हजार क्यूसेक पानी देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही कर्नाटक में खासतौर से मंड्या, मैसूर और बंगलुरु में उग्र प्रदर्शन होने लगे, यहाँ से तमिलनाडु और केरल जाने वाली सड़क पर यातायात बाधित कर दिया ग
कावेरी पर कलह, पहला हक किसका
Posted on 17 Sep, 2016 11:41 AM
एक लोककथा है, जिसमें राजा के पास लोग जाते हैं और शिकायत करते हैं कि उनके गाँव के पास से बहने वाली नदी पर एक शराब बनाने वाले ने बाँध बनाकर पानी रोक दिया है। इससे उन्हें पीने का पानी नहीं मिल रहा इस पर राजा नदी से पूछते हैं तो नदी कहती है कि उस पर सबसे पहला अधिकार शराब बनाने वाले का नहीं बल्कि वहाँ के समाज का है।
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