केरल

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सन्नाटे की गूँज
Posted on 17 Jan, 2017 01:23 PM
यात्रा एक पर्यावरण आंदोलन की, जिसने विकास योजनाओं को देखने, परखने का नजरिया ही बदल डाला
अनबोडू कोच्चि के युवाओ ने बदली एरनाकूलम के तालाबों की तस्वीर
Posted on 19 Jun, 2016 11:23 AM
चेन्नई में बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने के बाद भी 'अनबोडू कोच
Water Crisis in Kerala
Posted on 18 Apr, 2016 01:15 PM
Every one is aware of the snake boat race on the Pamba River held every year at Aranmula during the Onam festival. This race draws a huge number of tourists both domestic and foreign. Sadly, this race could not take place last Onam in 2003, because of scarcity of sufficient water in the river.
त्याग दी परम्परा ताकि नदी साफ हो सके
Posted on 08 Apr, 2016 10:37 AM
पंबा नदीफोटो साभार - नया इंडिया
ਖਾਧ ਸੁਰਖਿਆ ਲਈ ਘਰੇਲੂ ਬਗੀਚੀ
Posted on 13 Mar, 2016 07:06 PM
ਕੇਰਲ ਵਿੱਚ, ਰਾਜ ਸਰਕਾਰ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹਰਿਤ ਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਪਹਿਲ ਗਤੀ ਪਕ
पवित्र नदी पम्पा की सफाई
Posted on 03 Aug, 2015 04:07 PM हम नदियों के प्रदूषण को हटाने के लिये युद्धस्तर पर कार्य करने को त
पारम्परिक कट्टा प्रणाली : जल संरक्षण का पालना
Posted on 21 Jun, 2015 11:36 AM जल संरक्षण के इस तरह के प्रयास का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है क्य
खोयी हुई सदी : दूसरी बरसात
Posted on 04 Dec, 2014 11:27 AM बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी। कम हो जाती...फिर तेज हो जाती।...दरवाजे पर ताला पड़ा था। मतलब कोई आया नहीं। न गौतम आया...न कोपर...न कोई और।...किसी तरह ताला खोला।...दरवाजा खोलकर अंधेरे में स्विच टटोला। ऑन किया तो कोई असर नहीं हुआ। स्विच को कई बार ऊपर नीचे किया। कुछ नहीं हुआ। अचानक समझ में आ गया...
नियंत्रित उत्पादन
Posted on 16 Dec, 2013 04:01 PM ऐसी अनेक सच्चाईयां सामने आई हैं, जो किसी सुदूर आदिवासी क्षेत्र की कहानी नहीं है। यह समृद्ध केरल के त्रिशूर जिले के कत्तीखुलम गांव की कहानी है। जहां केरल पुलिस के शर्मनाक-बर्बरतापूर्ण कार्य था। 1976 में त्रिशूर जिले के खत्तीकुडंम गांव में जापान की कंपनी के साथ जुड़ी हुई ‘नीत्ता गैलेटिन इंडिया लिमिटेड‘ कंपनी जब से चालू हुई तब से क्षेत्र का पानी, हवा, मिट्टी खराब हो रहा हैं। कैंसर से कई लोग मारे गए। सरकार की एक समिति को एनजीएल ने स्वयं बताया कि पास के कुओं का पानी पीने लायक नहीं है।5 दिसंबर को केरल उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा की एनजीएल कंपनी ‘नियंत्रित उत्पादन’ कर सकती है चूंकि अभी तक की तमाम समितियों ने कहा है कि प्रदूषण है इसलिए नेशनल एंवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी संस्थान) से जांच कराई जाए। नीरी की रिर्पोट दो महिने के आ जानी चाहिए। कंपनी के गेट के बाहर धरना जारी है। एक नंवबर से 2 सत्याग्रही अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। 7 नवंबर को पुलिस ने स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें उठाया तो 2 अन्य लोग बैठे। 11 नवंबर को केरल के उद्योगमंत्री ने कहा हम कंपनी को इस तरह नहीं चलने देंगे। वो मशीनें बदले और प्रदूषण रोकें।
आमंत्रण : विकास एवं राजनीति – विकल्प
Posted on 30 Oct, 2012 11:25 AM तिथि- 17-19 नवम्बर, 2012
स्थान- सल्सबील ग्रीन स्कूल, किरालूर, त्रिचूर, केरल


विकल्प क्या है? यह सवाल आज हर किसी गोष्ठी या संघर्ष के दायरे में एक चर्चा का विषय बना है। एक ओर जहां राजनैतिक पार्टियों का तीव्रगति से नैतिक पतन हो रहा है तो दूसरी ओर उदारवादी नीतियों का जनता पर प्रहार बढ़ता जा रहा है। जवाब में पूरे देश में जनता ने सरकार और उसकी पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ मोर्चे खोल दिए हैं, जो कि न सिर्फ विकास परियोजना के प्रभावों को चुनौती दे रहे हैं बल्कि इस पूरे विकास के अवधारणा पर सवाल या निशान उठा रहे हैं। ये संघर्ष जल, जंगल, जमीन व खनिज जैसे संसाधनों पर लोगों के अधिकार, संसाधनों के इस्तेमाल में लोगों कि पहल, योगदान कि मांग के साथ-साथ उनके दोहन में सावधानी बरतने की भी मांग उठा रहे हैं। समता, न्याय, स्थिरता एवं प्रबंधन जैसे मूल्यों व सिद्धांतों के आधार पर प्रद्यौगिकी विकास एवं उसकी उचित प्रक्रिया व कार्य संरचना बनानी चाहिए एवं इसी आधार से ही उत्पादों, सेवाओं व लाभ का वितरण होना चाहिए। हमारे निरंतर संघर्ष ने आर्थिक एवं सामाजिक विकल्प की कई संरचना को उभारा है, लेकिन राजनैतिक विकल्प कैसा हो?
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