Posted on 04 Apr, 2013 09:40 PMविकास और जनसरोकार के मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला साल-दर-साल आगे बढ़ता ही जा रहा है| हालाँकि इस बार हम अपने तय समय से थोडा देर से करने जा रहे हैं, लेकिन कई बार मार्च में संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्र और बजट की आपाधापी में फंसने के कारण बहुत सारे साथी आ नहीं पाते थे| तो इस बार सोचा थोडा लेट चलें, लेकिन सब मिल सकें|
आप सब जानते ही हैं कि यह सफ़र सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी से शुरू हुआ| बांधवगढ़, चित्रकूट,महेश्वर, छतरपुर, फिर पचमढ़ी के बाद इस बार हम केसला में यह आयोजन करने जा रहे हैं| इस बार कई दौर की बैठकों के बाद केसला संवाद के लिए जो विषय चुना गया है, वह है|
Posted on 15 Feb, 2013 11:38 AM1. शासन को तत्काल रेल उत्खनन एवं बोल्डर की खुदाई, मिट्टी की खुदाई बंद करवा देना चाहिए। 2. जन जागरण की अति आवश्यकता है। 3. नदी में जहर या करंट फैलाने वाले व्यक्तियों पर आपराधिक मामला कायम होना चाहिए। 4. पलकमती के किनारों पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए जिसकी जवाबदारी स्थानीय नागरिकों, ग्रामीणों को दी जानी चाहिए।
Posted on 15 Feb, 2013 11:36 AMकहते हैं कि जल ही जीवन है लेकिन हम इस पर विचार नहीं करते क्योंकि पलकमती नदी के सर्वे के दौरान ग्रामीण लोगों से मिलने और उनसे बात करने में लगा कि जो व्यक्ति वन क्षेत्र में निवास करते वह पूरी तरह से नदी के जल पर निर्भर हैं, लेकिन अपने गांव के किनारे से बहने वाली नदी का आज जो हाल है उसके बारे में जरा सा ध्यान नहीं है। वहीं एक तरफ अगर हमने मैदानी क्षेत्र वाले ग्रामीण व्यक्तियों से नदी के बारे में जानक
Posted on 08 Feb, 2013 06:35 PMहोशंगाबाद, 8 फरवरी 2013। नर्मदा और तवा के संगम स्थल बांद्राभान में ‘तृतीय अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव’ की शुरुआत हुई। नदियों की संरक्षण और शुद्धिकरण की दिशा तय करने के लिए बांद्राभान में चार दिवसीय नदी महोत्सव आज 8 फरवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलेगा। कार्यक्रम में 60 से भी अधिक नदियों पर काम करने वाले लोग भागीदारी कर रहे हैं। विभिन्न नदियों और पानी पर काम करने वाले लगभग 1000 लोग इस पूरे आयोजन में भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन आरएसएस के सरसंघसंचालक मोहन भागवत ने किया और सत्र की अध्यक्षता साहित्यकार और नर्मदा समग्र के अध्यक्ष अमृतलाल बेगड़ ने की। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए श्री बेगड़ ने कहा कि जीवन की उत्पत्ति पानी में हुई। पर धीरे-धीरे पानी से जीवन समाप्त होता जा रहा है। कार्यक्रम का दृष्टिकोण रखते हुए भागवत जी ने कहा, ‘नदियों की चिंता सारे विश्व की चिंता है। मूल बात दृष्टिकोण की है, दृष्टि गड़बड़ हो जाने से हम प्रकृति के साथ जीना भूल गए हैं जिससे मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ गया है।’ उद्घाटन सत्र का संचालन दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान से जुड़े अतुल जैन ने किया और संयोजन नर्मदा समग्र के अनिल माधव दवे ने किया।
Posted on 26 Dec, 2012 11:12 AM‘नर्मदा समग्र’ नर्मदा को सुंदर और पवित्र रखने का एक प्रयास है। पर्यावरण संतुलन के सूत्र में नदी का अपना एक महत्व है। वर्तमान दौर नदियों के लिए बहुत अच्छा नहीं प्रतीत हो रहा है। कटते जंगल, अंधाधुंध शहरी नालों का नर्मदा में गिराए जाना, नदी तटों पर कब्ज़े की होड़, सूखते चुएं आदि इन व्यवहारों से नर्मदा जैसी प्राचीन नदी भी नहीं बच पा रही है। ‘नर्मदा समग्र’ इस पुण्य सलिला के सभी आयामों पर आपसी संवाद, संयुक्त प्रयास, सबकी सहभागिता चाहता है। अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव इसी क्रम में एक कड़ी है। अनिल माधव दवे इस प्रयास के सूत्रधार हैं।
स्थान : बाद्राभान, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश तारीख : 08-10 फरवरी 2013
उद्गम से संगम तक बहने वाली हर छोटी-बड़ी नदी, किसी भी एक क्षेत्र, प्रांत या देश की नहीं है, हम सबकी है। उसमें बदलाव सभी को प्रभावित करता है। इसलिए चिंता सभी को करनी होगी। इस महोत्सव में हम नदी, उसके प्रति हमारी नीतियों और नियमों पर विचार करेंगे। नेतृत्व के विभिन्न आयामों की भूमिका तलाशेंगे। अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार संकल्प लेंगे।